नई दिल्ली (भाषा): महारथी लालकृष्ण आडवाणी अपने आधुनिक रथ पर सवार होकर बुधवार को कन्याकुमारी से 7872 किमी लंबी अपनी 33 दिवसीय 'भारत उदय यात्रा' पर निकलेंगे और इस दौरान प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दो बार अमृतसर तथा अयोध्या में उनके काफिले का स्वागत करेंगे।आडवाणी इससे पूर्व 1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक विवादास्पद राम मंदिर रथयात्रा पर निकले थे और उसके बाद 1997 में देश की आजादी के 50 साल पूरे होने पर मुंबई के अगस्त क्रांति मैदान से दिल्ली तक स्वर्ण जयंती रथयात्रा निकाली थी। यह भी एक इत्तेफाक है कि इनकी तीनों बड़ी रथयात्राएं सात सात वर्ष के अंतराल पर निकलीं।उप प्रधानमंत्री का यह आधुनिक रथ घोड़े नहीं बल्कि मशीन खींचेंगी। दरअसल यह स्वराज माजदा की एक पुरानी मिनी बस है जिसे 20 लाख रुपये से अधिक की लागत से अत्याधुनिक इलैक्ट्रानिक उपकरणों, फैक्स मशीनों, इंटरनेट और मनोरंजन के लिए डीवीडी मिनी थियेटर से लैस किया गया है।इसमें एक लिफ्ट भी लगाई गई है और आडवाणी जहां-जहां रुक कर भाषण देंगे, यह मंचनुमा लिफ्ट उन्हें रथ से काफी ऊंचा उठा देगी। न केवल रथ बल्कि उसके आसपास तक के इलाके में उचित प्रकाश व्यवस्था करने के लिए 'रथ' में फ्लड लाइटों का इंतजाम करने के साथ ही शक्तिशाली लाउडस्पीकर भी लगाए गए हैं।आडवाणी का यह आधुनिक रथ भाजपा के लिए काफी शुभ माना जाता है। इसी बस को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और बाद में पूर्व केन्द्रीय मंत्री और छत्तीसगढ़ के विवादास्पद नेता दिलीप सिंह जूदेव अपने-अपने राज्यों के विधानसभा चुनाव के प्रचार के लिए इस्तेमाल कर चुके हैं। रथ को पार्टी के लिए शुभ मानते हुए इसे फिर से इस्तेमाल तो किया जा रहा है लेकिन इस बार इसका पूरी तरह से कायाकल्प कर दिया गया है।पहले यह 'रथयात्रा' अटल संदेश नाम से होने वाली थी, लेकिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा अपने नाम का इस्तेमाल करने से मना किए जाने पर इसे 'विजय यात्रा' और अंतत: 'भारत उदय यात्रा' के नाम से करने पर आम सहमति बनी।पार्टी अध्यक्ष एम. वेंकैया नायडू द्वारा बुधवार को कन्याकुमारी में हरी झंडी दिखाए जाने से यात्रा का शुभारंभ होगा। पहले चरण में यह यात्रा 17 दिन में 4125 किमी का रास्ता तय करके 26 मार्च को अमृतसर में समाप्त होगी जहां प्रधानमंत्री वाजपेयी पहले से ही उनके स्वागत के लिए मौजूद होंगे। ये दोनों नेता स्वर्ण मंदिर जाकर मत्था टेकेंगे और फिर जलियांवाला बाग में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद एक विशाल रैली को संबोधित करने के साथ यात्रा का पहला चरण संपन्न हो जाएगा।27 से 29 मार्च तक आडवाणी विश्राम करेंगे और इस बीच गांधीनगर जाकर अपने चुनाव क्षेत्र से अपना नामांकन भरेंगे। इसके बाद 30 मार्च से वह गांधीजी की जन्मस्थली पोरबंदर से अपनी इस यात्रा के दूसरे चरण की शुरूआत करेंगे जो कुल 16 दिनों में 3747 किमी का रास्ता तय करते हुए श्री जगन्नाथपुरी में संपन्न होगी। इस यात्रा का कार्यक्रम और रास्ता तय करने में मुख्य भूमिका पार्टी महासचिव प्रमोद महाजन की है। उन्होंने बताया कि अपनी इस पूरी यात्रा में उप प्रधानमंत्री लोकसभा के 121 चुनाव क्षेत्रों से होकर गुजरेंगे। ये वो क्षेत्र हैं जहां थोड़ा सा ध्यान देने से पार्टी को कुछ लाभ हो सकता है।आडवाणी की यह यात्रा 20 राज्यों और केन्द्र शासित क्षेत्रों से होकर गुजरेगी जिनमें प्रमुख हैं : तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा। उप प्रधानमंत्री को 'रथ यात्राएं' निकालना काफी भाता है और इस यात्रा का कार्यक्रम तय किए जाने के बाद उन्होंने कहा भी, 'मैं स्वाभाविक रूप से एक रथयात्री हूं लेकिन सरकार में मंत्री बन जाने के बाद मजबूरन विमान यात्री बन गया।' आडवाणी ने तीन बड़ी रथयात्राओं के अलावा 1993 में 80वें संविधान संशोधन विधेयक के विरुद्ध मैसूर से भोपाल तक की जनादेश यात्रा निकाली। इसके बाद 1996 में वह पुन: केरल के कलादि से लखनऊ तक की रथयात्रा पर निकले।प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और राजग के वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को उनकी बुधवार से कन्याकुमारी से शुरू होने वाली दो चरणों की 'भारत उदय यात्रा' के लिए शुभकामनाएं दीं।
बुधवार से शुरू होगी आडवाणी की भारत उदय यात्रा
नवभारतटाइम्स.कॉम 9 Mar 2004, 2:21 pm
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