नेस्ले के शेयर 7 फरवरी तक के तीन महीने में 13 पर्सेंट चढ़े थे, लेकिन उसके बाद के 7 ट्रेडिंग सेशन में इसमें करीब 12 पर्सेंट की गिरावट आ चुकी है
कंपनी के शेयर पिछले एक साल के अर्निंग पर शेयर के लिहाज से 60 और वन ईयर फॉरवर्ड अर्निंग के हिसाब से 55 के पीई पर ट्रेड कर रहे हैं
नेस्ले इंडिया में कई म्यूचुअल फंड भी फंस गए हैं। इसमें उनकी होल्डिंग 3.1 पर्सेंट है, जो कई साल का पीक लेवल है
[ ज्वलित व्यास | ईटीआईजी ]
नेस्ले इंडिया की ग्रोथ तेज बने रहने पर मार्केट एनालिस्टों को शक है। कंपनी के शेयर 7 फरवरी तक के तीन महीने में 13 पर्सेंट चढ़े थे, लेकिन उसके बाद के 7 ट्रेडिंग सेशन में इसमें करीब 12 पर्सेंट की गिरावट आ चुकी है। दिसंबर 2018 क्वॉर्टर में कंपनी के रिजल्ट से भी इसके मार्जिन पर दबाव बढ़ने का संकेत मिला है। कंपनी को कच्चे माल पर अधिक पैसा खर्च करना पड़ रहा है और उसके मार्केटिंग और ऐडवर्टाइजिंग खर्चों में भी बढ़ोतरी हुई है। मार्केट एनालिस्टों का कहना है कि नए प्रॉडक्ट्स लॉन्च करने से आने वाली तिमाहियों में भले ही नेस्ले इंडिया की आमदनी में अच्छी बढ़ोतरी हो, लेकिन उसके मार्जिन में कमी आ सकती है।
नेस्ले इंडिया के शेयर पिछले एक साल के अर्निंग पर शेयर के लिहाज से 60 और वन ईयर फॉरवर्ड अर्निंग के हिसाब से 55 के पीई पर ट्रेड कर रहे हैं। दिसंबर 2018 क्वॉर्टर में कमजोर प्रदर्शन के बाद कंपनी के शेयर का इसने महंगे वैल्यूएशन पर टिके रहना मुश्किल है। नेस्ले इंडिया में कई म्यूचुअल फंड भी फंस गए हैं। इसमें उनकी होल्डिंग 3.1 पर्सेंट है, जो कई साल का पीक लेवल है। इसमें से काफी शेयर उन्होंने दिसंबर 2018 क्वॉर्टर में खरीदे हैं। नेस्ले इंडिया के पिछले पांच साल के वैल्यूएशन को देखने पर पता चलता है कि इसके लिए 55 से अधिक पीई पर टिके रहना हमेशा मुश्किल रहा है।
कंपनी का वित्त वर्ष जनवरी से दिसंबर के बीच रहता है। प्रॉफिटेबिलिटी के लिहाज से 2018 उसके लिए यादगार साल रहा। पिछले साल नेस्ले इंडिया का ऑपरेटिंग मार्जिन 25 पर्सेंट बना रहा, जो एक दशक में सबसे अधिक है। हालांकि, दिसंबर 2018 क्वॉर्टर में खराब प्रदर्शन के बाद यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या कंपनी इतना ऊंचा मार्जिन मेंटेन कर पाएगी? दिसंबर क्वॉर्टर में यह घटकर 20.7 पर्सेंट रह गया था। सालाना आधार पर इस तिमाही में कंपनी के मार्जिन में 3.8 पर्सेंट की गिरावट आई। इस वजह से कंपनी की प्रॉफिट ग्रोथ 2 पर्सेंट कम हो गई, जबकि मार्केट एनालिस्ट इसमें 15 पर्सेंट बढ़ोतरी का अनुमान लगा रहे थे। नेस्ले इंडिया ने कई नए प्रॉडक्ट्स लॉन्च किए हैं। इनके विज्ञापन पर कंपनी को काफी पैसा खर्च करना पड़ रहा है, जिससे उसके मार्जिन में कमी आई है। कंपनी ने 2018 में कुछ नई कैटेगरी में भी एंट्री की है। कच्चे माल की लागत में लगातार बढ़ोतरी का भी मार्जिन पर बुरा असर हुआ है। एनालिस्ट शॉर्ट टर्म में मार्केटिंग खर्च के नॉर्मल लेवल पर आने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन मार्जिन में जल्द रिकवरी की संभावना नहीं दिख रही है।