Republic Day Shayari in hindi 2020: गणतंत्र दिवस के मौके पर लोग एक दूसरे को राष्ट्रभक्ति से जुड़े संदेश भेजते हैं कई लोगों को शायरी खासतौर पर पसंद आती है जो गणतंत्र दिवस के मौके पर काफी संदेश के रूप में भेजी जाती है। यहां हम आपको गणतंत्र दिवस के मौके पर भेजी जाने वाली ऐसी ही शायरी के बेहतरीन आइडिया दे रहे हैं।
वो शमा जो काम आये अंजुमन के लिए,
वो जज्बा जो कुर्बान हो जाये वतन के लिए,
रखते है हम वो हौसले भी जो मर मिटे हिंदुस्तान के लिए ।
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है।
महान देशभक्तों के बलिदान से आजाद हुए हैं हम,
इसलिए उनकी कुर्बानियों पर फिदा हैं हम
देशभक्तों के बलिदान से मिली आजादी हमको
नमन उन वीर शहीदों को जिन्होंने दी कुर्बानी अपनी
आज कोई पूछे तो गर्व से कहेंगे तिरंगा है हमारा
आजादी से पहले नहीं था ये लम्हा हमारा
बचपन भी एक दौर था
गणतंत्र दिवस में एक शोर था
आज नहीं जाने क्या हुआ देश को
इंसानों में मजहबी बैर हो गया
यही अरमान है बस मेरा
आउंगा में वापस जरूर
जिंदा आऊं या मुर्दा आऊं
लेकिन तिरंगा में लिपटकर आऊं
वतन की मिट्टी में हमारे भी नाम होंगे
जब वतन के नाम पर हम कुर्बान होंगे
रोज नहीं मिलते मौके देश के नाम कुर्बान होने के
वरना खाक तो मिट्टी में सभी होते हैं
नहीं सिर्फ जश्न मनाना, नहीं सिर्फ झंडे लहराना,
ये काफी नहीं है वतन पर, यादों को नहीं भुलाना,
जो कुर्बान हुए उनके लफ़्ज़ों को आगे बढ़ाना,
खुदा के लिए नही ज़िन्दगी वतन के लिए लुटाना,
हम लाएं है तूफ़ान से कश्ती निकाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के
वो शमा जो काम आये अंजुमन के लिए,
वो जज्बा जो कुर्बान हो जाये वतन के लिए,
रखते है हम वो हौसले भी जो मर मिटे हिंदुस्तान के लिए ।
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है।
महान देशभक्तों के बलिदान से आजाद हुए हैं हम,
इसलिए उनकी कुर्बानियों पर फिदा हैं हम
देशभक्तों के बलिदान से मिली आजादी हमको
नमन उन वीर शहीदों को जिन्होंने दी कुर्बानी अपनी
आज कोई पूछे तो गर्व से कहेंगे तिरंगा है हमारा
आजादी से पहले नहीं था ये लम्हा हमारा
बचपन भी एक दौर था
गणतंत्र दिवस में एक शोर था
आज नहीं जाने क्या हुआ देश को
इंसानों में मजहबी बैर हो गया
यही अरमान है बस मेरा
आउंगा में वापस जरूर
जिंदा आऊं या मुर्दा आऊं
लेकिन तिरंगा में लिपटकर आऊं
वतन की मिट्टी में हमारे भी नाम होंगे
जब वतन के नाम पर हम कुर्बान होंगे
रोज नहीं मिलते मौके देश के नाम कुर्बान होने के
वरना खाक तो मिट्टी में सभी होते हैं
नहीं सिर्फ जश्न मनाना, नहीं सिर्फ झंडे लहराना,
ये काफी नहीं है वतन पर, यादों को नहीं भुलाना,
जो कुर्बान हुए उनके लफ़्ज़ों को आगे बढ़ाना,
खुदा के लिए नही ज़िन्दगी वतन के लिए लुटाना,
हम लाएं है तूफ़ान से कश्ती निकाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के