बॉलिवुड अभिनेत्री और एक्स मिस इंडिया नेहा धूपिया दिल्ली की रहने वाली हैं। हालांकि मुंबई का रुख किए उन्हें पांच साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी दिल्ली में बिताये हुए वक्त की यादें उनके जेहन में ताजा हैं। दिल्ली के बारे में क्या सोचती हैं नेहा, एक मुलाकात में उन्होंने चंद्र मोहन शर्मा को बताया:मेरा मानना है कि दिल्ली वालों का अपनापन और इस शहर की खूबियां किसी बेगाने को भी अपना बनाने का दम रखती हैं। मैं इसी शहर की तंग गलियों से साउथ दिल्ली की खुली हवादार वादियों तक में बड़ी हुई हूं। फिर जब मेरा रिश्ता ग्लैमर की दुनिया से जुड़ा, तो मुझे दिल वालों के इस शहर के लोगों का अपनापन और नजदीक से देखने का मौका मिला। देर रात तक चलने वाली फैशन और ग्लैमर जगत की पार्टियों में हर रोज कुछ अनजाने लोगों से मिलने का मौका मिलता और इनका अपनापन झट अपनी ओर आकर्षित कर लेता। बचपन की सहेलियों और कॉलेज के दोस्तों के संग गुजारे वक्त की यादें आज भी मुझे इस शहर की ओर खींचती हैं। मुझे आज भी उस दिन का पल-पल याद है, जब मुंबई से मिस इंडिया का ताज पहनकर मैं दिल्ली पहुंची थी। तब मेरा ऐसा जोरदार स्वागत हुआ था, जिसे मैं जिंदगीभर नहीं भुला पाऊंगी। यही वजह है कि पिछले करीब पांच साल से मुंबई को अपनी कर्मस्थली बनाने के बाद आज भी हर वक्त मुझे दिल्ली की याद आती है। मैं हमेशा ऐसे मौके की तलाश में रहती हूं, जो मुझे दिल्ली जाने का चांस दिला दे। दिल्ली को याद करने पर मैं दोस्तों के साथ सरोजनी नगर और जनपथ की शॉपिंग के मजे को सबसे ज्यादा मिस करती हूं। कनॉट प्लेस में लगने वाली सेल का भी हमें बहुत इंतजार रहता था और तब मैं जी भरकर शॉपिंग करती थी। आज भी मुझे शॉपिंग करने का मजा मुंबई की बजाय दिल्ली में ही आता है। फिर बंगाली मार्केट की चाट का स्वाद भी मुझे अभी तक भूला नहीं है। यकीन मानिए, अपनी हर फिल्म के प्रमोशन के लिए मुझे दिल्ली आना इस कदर पसंद है कि कई बार मैं अपनी पॉकेट से टिकट और रहने का इंतजाम करके दिल्ली आती हूं। पिछले दिनों मैं दिल्ली जिमी शेरगिल के साथ अपनी फिल्म 'दिल्ली हाइट्स' की शूटिंग के सिलसिले में आई थी। वैसे, मेरे लिए दिल्ली और मैं दिल्ली के लिए हमेशा एक जैसे रहेंगे। हां, इतना फर्क जरूर आ गया है कि सिलेब्रिटी बन जाने की वजह से मैं भीड़ में या अपनी मनचाही मार्केट सरोजनी नगरी में शॉपिंग करने नहीं जा सकती हूं। वरना, दिल तो अब भी यही करता है कि चांदनी चौक और बंगाली मार्केट में जाकर एक बार फिर बंगाली रेस्तरां के बाहर खड़ी होऊं और आलू की टिक्की और चटपटी चाट का जायका लूं। सच कहूं, तो मैं दिल्ली की जिंदादिली और यहां के अपनेपन की दीवानी हूं। कुछ ऐसा है इस शहर में कि यहां आने वाला हर इंसान बस इसी का ही होकर रह जाता है।
दिल्ली की दीवानी हैं नेहा
नवभारत टाइम्स 10 Oct 2006, 7:59 pm
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