मुंबई
महाराष्ट्र में भिवंडी के नवी बस्ती के पास पाइप लाइन स्थित एक चॉल में रहने वाली 13 वर्ष ,12 वर्ष और 10 वर्ष की तीन नाबालिग सगी बहनें अपने विकलांग पिता की गरीबी बर्दाश्त नहीं कर पाईं। तीनों बहनें 17 अक्टूबर को अचानक अपने घर से निकल गईं और शहर के दूसरे इलाके में जाकर भीख मांगने लगीं। इधर, उनकी बड़ी बहन की शिकायत पर भिवंडी शहर पुलिस की टीम उन्हें भिवंडी, पड़घा, गणेशपुरी, अंबाड़ी, वाड़ा, कल्याण और ठाणे सहित आसपास के इलाकों में खोज रही थी। आखिरकार पुलिस ने उन्हें भीख मांगते हुए पकड़कर उनके माता-पिता के पास पहुंचा दिया है। पुलिस के अनुसार, सबेरा शेख ने भिवंडी शहर पुलिस स्टेशन में 17 अक्टूबर को शिकायत दर्ज कराई कि उनकी तीन नाबालिग बहनों के बालपन का फायदा उठाते हुए कोई उन्हें लेकर चला गया है। तीनों के अपहरण के मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने जांच शुरू की।
नाबालिग बहनों की तलाश को बनाई स्पेशल टीम
तीन नाबालिग बहनों की तलाश करने के लिए पुलिस आयुक्त विवेक फणसलकर, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त पश्चिम प्रादेशिक विभाग अनिल कुंभारे, पुलिस उपायुक्त राजकुमार शिंदे और पश्चिम विभाग के सहायक पुलिस आयुक्त किसन गावित ने भिवंडी शहर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सुभाष कोकाटे के मार्गदर्शन में सहायक पुलिस निरीक्षक जमीर शेख और पुलिस उपनिरीक्षक हनीफ शेख के नेतृत्व में पुलिस की टीम बनाई गई।
हिंदुस्तानी मस्जिद के पास भीख मांगते मिली एक लड़की
पुलिस को दोनों टीमों ने आसपास के इलाकों में तलाश की, लेकिन उनका कोई पता नहीं चला। 22 अक्टूबर को सहायक पुलिस निरीक्षक जमीर शेख की टीम ने हिंदुस्तानी मस्जिद के पास 10 वर्ष की एक लड़की को भीख मांगते हुए देखा। पुलिस टीम ने उससे जब पूछताछ की, तो उनसे अपना नाम रौशन शेख (10) बताया।
पुलिस ने नाबालिग बहनों को परिवार को सौंपा
रौशन शेख ने अपनी दोनों बड़ी बहन शबनम शेख (12) और मिसबाह शेख (13) के बारे में बताया कि वे दोनों भोईवाड़ा पुलिस स्टेशन अंतर्गत समरू बाग़ तालाब के पास हैं। पुलिस ने तीनों नाबालिग बहनों को उनके माता-पिता के हवाले कर दिया है।
समझी पिता की मजबूरी
पुलिस ने बताया कि तीनों नाबालिग लड़कियों को समझा बुझाकर जब उनसे घर से भागने का कारण पूछा गया तो, उन्होंने बताया कि उनके पिता रफीक मो. शेख विकलांग हैं। जिसके कारण वह कुछ कामधंधा नहीं कर सकते हैं। घर की गरीबी देखकर तीनों बहनों ने स्वंय घर छोड़कर भीख मांगने का निर्णय लिया है।
समाजसेवकों से मदद की आस
पुलिस ने तीनों नाबालिग मासूम लड़कियों को फिर वहीं पहुंचा दिया है, जहां से वह लड़कियां अपना घर छोड़कर निकली थीं। स्थानीय लोगों का कहना है कि तीनों मासूम लड़कियां अपने माता-पिता के पास पहुंच गईं, लेकिन उनकी गरीबी नहीं गई। उन्हें फिर उन्हीं मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। पुलिस को स्थानीय समाजसेवकों और दानवीरों के माध्यम से उनकी आर्थिक मदद कराने की आवश्यकता है।
महाराष्ट्र में भिवंडी के नवी बस्ती के पास पाइप लाइन स्थित एक चॉल में रहने वाली 13 वर्ष ,12 वर्ष और 10 वर्ष की तीन नाबालिग सगी बहनें अपने विकलांग पिता की गरीबी बर्दाश्त नहीं कर पाईं। तीनों बहनें 17 अक्टूबर को अचानक अपने घर से निकल गईं और शहर के दूसरे इलाके में जाकर भीख मांगने लगीं। इधर, उनकी बड़ी बहन की शिकायत पर भिवंडी शहर पुलिस की टीम उन्हें भिवंडी, पड़घा, गणेशपुरी, अंबाड़ी, वाड़ा, कल्याण और ठाणे सहित आसपास के इलाकों में खोज रही थी। आखिरकार पुलिस ने उन्हें भीख मांगते हुए पकड़कर उनके माता-पिता के पास पहुंचा दिया है।
नाबालिग बहनों की तलाश को बनाई स्पेशल टीम
तीन नाबालिग बहनों की तलाश करने के लिए पुलिस आयुक्त विवेक फणसलकर, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त पश्चिम प्रादेशिक विभाग अनिल कुंभारे, पुलिस उपायुक्त राजकुमार शिंदे और पश्चिम विभाग के सहायक पुलिस आयुक्त किसन गावित ने भिवंडी शहर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सुभाष कोकाटे के मार्गदर्शन में सहायक पुलिस निरीक्षक जमीर शेख और पुलिस उपनिरीक्षक हनीफ शेख के नेतृत्व में पुलिस की टीम बनाई गई।
हिंदुस्तानी मस्जिद के पास भीख मांगते मिली एक लड़की
पुलिस को दोनों टीमों ने आसपास के इलाकों में तलाश की, लेकिन उनका कोई पता नहीं चला। 22 अक्टूबर को सहायक पुलिस निरीक्षक जमीर शेख की टीम ने हिंदुस्तानी मस्जिद के पास 10 वर्ष की एक लड़की को भीख मांगते हुए देखा। पुलिस टीम ने उससे जब पूछताछ की, तो उनसे अपना नाम रौशन शेख (10) बताया।
पुलिस ने नाबालिग बहनों को परिवार को सौंपा
रौशन शेख ने अपनी दोनों बड़ी बहन शबनम शेख (12) और मिसबाह शेख (13) के बारे में बताया कि वे दोनों भोईवाड़ा पुलिस स्टेशन अंतर्गत समरू बाग़ तालाब के पास हैं। पुलिस ने तीनों नाबालिग बहनों को उनके माता-पिता के हवाले कर दिया है।
समझी पिता की मजबूरी
पुलिस ने बताया कि तीनों नाबालिग लड़कियों को समझा बुझाकर जब उनसे घर से भागने का कारण पूछा गया तो, उन्होंने बताया कि उनके पिता रफीक मो. शेख विकलांग हैं। जिसके कारण वह कुछ कामधंधा नहीं कर सकते हैं। घर की गरीबी देखकर तीनों बहनों ने स्वंय घर छोड़कर भीख मांगने का निर्णय लिया है।
समाजसेवकों से मदद की आस
पुलिस ने तीनों नाबालिग मासूम लड़कियों को फिर वहीं पहुंचा दिया है, जहां से वह लड़कियां अपना घर छोड़कर निकली थीं। स्थानीय लोगों का कहना है कि तीनों मासूम लड़कियां अपने माता-पिता के पास पहुंच गईं, लेकिन उनकी गरीबी नहीं गई। उन्हें फिर उन्हीं मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। पुलिस को स्थानीय समाजसेवकों और दानवीरों के माध्यम से उनकी आर्थिक मदद कराने की आवश्यकता है।