किशनगंज: लोकसभा चुनाव के लिए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने 'चुनावी जंग' का ऐलान कर दिया है। आगामी लोकसभा चुनावों में बिहार के सीमांचल क्षेत्र से अधिक उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है। पार्टी अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को इसका ऐलान किया। ओवैसी के ऐलान से तेजस्वी यादव की टेंशन बढ़ सकती है। असदुद्दीन ओवैसी ने राजद नेता तेजस्वी यादव पर तीखा हमला करते हुए कहा कि बिहार विपक्ष भारतीय जनता पार्टी को नहीं हरा सकता है। उन्होंने सारी विश्वसनीयता खो दी है। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'हम अधिक संसदीय सीटों पर उम्मीदवार उतारने की सोच रहे हैं, क्योंकि मैं जानता हूं कि आप (बिहार विपक्ष) बीजेपी को नहीं हरा सकते।'
दरअसल सीमांचल की सीटें मुस्लिम बहुल मानी जाती हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल की चार विधानसभा सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद से ही सीमांचल में एआईएमआईएम का जनाधार बढ़ा है। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने और एआईएमआईएम का सीमांचल की चारों सीटों पर प्रत्याशी उतारने से बीजेपी को फायदा हो सकता है। मुस्लिम वोटर राजद के साथ रहता है, लेकिन ओवैसी की पार्टी का प्रत्याशी अगर यहां से खड़े हुए तो वो महागठबंधन के वोट काट सकते हैं।
झारखंड में भी लोकसभा चुनाव में उतरेगी AIMIM: ओवैसी
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने कहा, 'इसके अलावा मैंने झारखंड के पार्टी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात की है। हम 2024 के लोकसभा चुनाव में आदिवासी राज्य की दो से तीन सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रहे हैं।' बता दें, एआईएमआईएम प्रमुख बिहार के सीमांचल क्षेत्र के तीन दिवसीय दौरे पर हैं, जिसे मुसलमान बहुल क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। सीमांचल क्षेत्र में बिहार के चार उत्तरपूर्वी जिले पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार आते हैं।
किशनगंज में प्रस्तावित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के परिसर के बारे में ओवैसी ने कहा, 'किशनगंज में एएमयू परिसर अब काम नहीं कर रहा है... इसके लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार जिम्मेदार है। अगर केंद्र और राज्य सरकार, दोनों मामले को गंभीरता से लें तो किशनगंज में एएमयू परिसर के निर्माण की राह में आने वाली प्रशासनिक और तकनीकी बाधाओं को आसानी से हल किया जा सकता है।'
दरअसल सीमांचल की सीटें मुस्लिम बहुल मानी जाती हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल की चार विधानसभा सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद से ही सीमांचल में एआईएमआईएम का जनाधार बढ़ा है। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने और एआईएमआईएम का सीमांचल की चारों सीटों पर प्रत्याशी उतारने से बीजेपी को फायदा हो सकता है। मुस्लिम वोटर राजद के साथ रहता है, लेकिन ओवैसी की पार्टी का प्रत्याशी अगर यहां से खड़े हुए तो वो महागठबंधन के वोट काट सकते हैं।
सीमांचल की चारों सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना: ओवैसी
ओवैसी ने कहा कि हम आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार के सीमांचल क्षेत्र से अधिक संसदीय सीट पर उम्मीदवार उतारने की योजना बना रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में हमने इस क्षेत्र में केवल एक सीट पर चुनाव लड़ा था और वह किशनगंज सीट थी। उन्होंने कहा कि इस बार किशनगंज के अलावा हम तीन और सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की योजना बना रहे हैं। अंतिम निर्णय बहुत जल्द लिया जाएगा। बता दें, सीमांचल में लोकसभा की चार सीटें किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार हैं।झारखंड में भी लोकसभा चुनाव में उतरेगी AIMIM: ओवैसी
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने कहा, 'इसके अलावा मैंने झारखंड के पार्टी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात की है। हम 2024 के लोकसभा चुनाव में आदिवासी राज्य की दो से तीन सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रहे हैं।' बता दें, एआईएमआईएम प्रमुख बिहार के सीमांचल क्षेत्र के तीन दिवसीय दौरे पर हैं, जिसे मुसलमान बहुल क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। सीमांचल क्षेत्र में बिहार के चार उत्तरपूर्वी जिले पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार आते हैं।किशनगंज में प्रस्तावित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के परिसर के बारे में ओवैसी ने कहा, 'किशनगंज में एएमयू परिसर अब काम नहीं कर रहा है... इसके लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार जिम्मेदार है। अगर केंद्र और राज्य सरकार, दोनों मामले को गंभीरता से लें तो किशनगंज में एएमयू परिसर के निर्माण की राह में आने वाली प्रशासनिक और तकनीकी बाधाओं को आसानी से हल किया जा सकता है।'