उदयपुर
देश में सूचना का अधिकार भले ही सवाल कर किसी भी सरकारी एजेंसी की सूचनाएं एकत्रित करने के लिए बनाया हो। लेकिन यही आरटीआई आप के नागरिक होने के विषय पर ही सवाल खड़ा कर दे तो, उदयपुर में कुछ ऐसा ही हुआ है। यहां नगर निगम अब आरटीआई लगाने वाले लोगों को यह सर्टिफिकेट बांटने लगा है कि वह भारतीय है या नहीं। दरअसल निगम के सहायक लोक सूचना अधिकारी ने एक एडवोकेट की ओर से लगाई आरटीआई में यह स्पष्ट रूप से लिखकर दिया है कि एडवोकेट की संस्था नागरिक शब्द की परिभाषा में नहीं है। यानी साधारण शब्दों में समझें, तो निगम की ओर से इसमें नागरिकता को लेकर सवाल उठाया गया है। Rajasthan corona update : 2000 से ज्यादा कोरोना संक्रमितों का आने का सिलसिला बरकरार, अब धीरे- धीरे घट रही है संख्या
यह है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार बाहुबली कॉलोनी निवासी एडवोकेट युगल किशोर दशोरा ने नगर निगम में सूचना के अधिकार के अन्तर्गत एक प्रार्थना पत्र पेश किया था।इसमें उन्होंने प्लॉट संख्या 1048, 1049 हिरणमगरी सेक्टर 4 उमेश शर्मा द्वारा पेश प्रार्थना पत्र, जारी नोटिस और लीज डीड निरस्त करने के आदेश की फोटो प्रतियां मांगी की थी। इस पर निगम के सहायक लोक सूचना अधिकारी ने इसका जवाब देते हुए लिखा है कि सूचना के अधिकार में सूचना प्राप्त करने का अधिकार केवल और केवल भारतीय नागरिक को ही है। आवेदक स्वयं एडवोकेट है और एडवोकेट की संस्था नागरिक शब्द को परिभाषित में नहीं आती है, इसी कारण सूचना नहीं दी जा सकती है।
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निगम कर रहा है टालमटोल की कोशिश
उल्लेखनीय है कि निगम के सहायक लोक सूचना अधिकारी की ओर से दिए गए इस जवाब अब चर्चा का विषय बन गया है। वहीं इस रवैये से यह साफ हो गया है कि निगम जवाब देने के बजाए इस तरह के तर्क देकर बात को टालना चाहता है। अब जानकार इस मामले में कह रहे है कि निगम को समझना चाहिए कि आरटीआई लगाने वाले किसी ना किसी व्यवसाय से जुड़ा हुआ होता है। यहां यह हैरत की बात है कि निगम का मुखिया एक सेवानिवृत चीफ इंजीनियर है और प्रशासन भी एक आईएएस के हाथ में है। फिर भी इस तरह का जवाब कई लोगों के लगे नहीं उतर रहा है।
देश में सूचना का अधिकार भले ही सवाल कर किसी भी सरकारी एजेंसी की सूचनाएं एकत्रित करने के लिए बनाया हो। लेकिन यही आरटीआई आप के नागरिक होने के विषय पर ही सवाल खड़ा कर दे तो, उदयपुर में कुछ ऐसा ही हुआ है। यहां नगर निगम अब आरटीआई लगाने वाले लोगों को यह सर्टिफिकेट बांटने लगा है कि वह भारतीय है या नहीं। दरअसल निगम के सहायक लोक सूचना अधिकारी ने एक एडवोकेट की ओर से लगाई आरटीआई में यह स्पष्ट रूप से लिखकर दिया है कि एडवोकेट की संस्था नागरिक शब्द की परिभाषा में नहीं है। यानी साधारण शब्दों में समझें, तो निगम की ओर से इसमें नागरिकता को लेकर सवाल उठाया गया है।
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जानकारी के अनुसार बाहुबली कॉलोनी निवासी एडवोकेट युगल किशोर दशोरा ने नगर निगम में सूचना के अधिकार के अन्तर्गत एक प्रार्थना पत्र पेश किया था।इसमें उन्होंने प्लॉट संख्या 1048, 1049 हिरणमगरी सेक्टर 4 उमेश शर्मा द्वारा पेश प्रार्थना पत्र, जारी नोटिस और लीज डीड निरस्त करने के आदेश की फोटो प्रतियां मांगी की थी। इस पर निगम के सहायक लोक सूचना अधिकारी ने इसका जवाब देते हुए लिखा है कि सूचना के अधिकार में सूचना प्राप्त करने का अधिकार केवल और केवल भारतीय नागरिक को ही है। आवेदक स्वयं एडवोकेट है और एडवोकेट की संस्था नागरिक शब्द को परिभाषित में नहीं आती है, इसी कारण सूचना नहीं दी जा सकती है।
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