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ईरान-सऊदी परमाणु सहयोग का जिक्र कर भारत को ज्ञान क्यों दे रहा पाकिस्तानी मीडिया, समझें

पाकिस्तानी विशेषज्ञ आज कल भारत-पाकिस्तान के बीच दोस्ती की पहल कर रहे हैं। इसके लिए वे ईरान और सऊदी अरब के बीच हुए परमाणु समझौते का उदाहरण दे रहे हैं। पाकिस्तानी विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ईरान और सऊदी अरब एक हो कर काम कर सकते हैं तो भारत पाकिस्तान क्यों नहीं।

Curated byप्रियेश मिश्र | नवभारतटाइम्स.कॉम 16 May 2024, 8:11 pm
इस्लामाबाद: पाकिस्तानी मीडिया में इन दिनों ईरान-सऊदी अरब परमाणु सहयोग की खूब चर्चा हो रही है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने तो ईरान-सऊदी परमाणु सहयोग के आधार पर पाकिस्तान और भारत के बीच दोस्ती को लेकर एक लेख भी प्रकाशित किया है। इस लेख में बताया गया है, "परमाणु क्षेत्र में ईरान और सऊदी अरब के बीच हालिया राजनयिक जुड़ाव ने ऐतिहासिक रूप से विवादास्पद क्षेत्रों में सुलह और सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा शुरू कर दी है। यह विकास एक केस स्टडी के रूप में कार्य करता है, जो सवाल उठाता है: यदि ईरान और सऊदी अरब जैसे पूर्व प्रतिद्वंद्वी परमाणु सहयोग के मार्ग पर चल सकते हैं, तो परमाणु प्रतिद्वंद्वियों पाकिस्तान और भारत के लिए समान रास्ते पर विचार क्यों नहीं किया जाता?
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ईरान और सऊदी अरब के बीच उभरती दोस्ती को दोनों देशों के बीच सहयोग करने और खुला दिमाग रखने का प्रतीक माना जा रहा है। यह दोनों देशों के दृष्टिकोण में एक मौलिक बदलाव को रेखांकित करती है। दशकों की दुश्मनी के बावजूद, दोनों देश विशेष रूप से परमाणु प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैज्ञानिक सहयोग की रणनीतिक अनिवार्यताओं और पारस्परिक लाभों को पहचान रहे हैं। ऐसे में लेख में बताया गया है कि लंबे समय से परमाणु शत्रु रहे पाकिस्तान और भारत के लिए, ईरान-सऊदी सहयोग एक उदाहरण हो सकता है। इस तरह के सहयोग के लाभ राष्ट्रीय सीमाओं से कहीं आगे तक फैले हुए हैं और क्षेत्रीय स्थिरता, वैज्ञानिक उन्नति और ऊर्जा सुरक्षा पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

लेख के अनुसार, इस चर्चा के मूल में संवाद और विश्वास-निर्माण उपायों की अनिवार्यता निहित है। जिस तरह ईरान और सऊदी अरब सहयोग के रास्ते तलाशने के लिए रचनात्मक बातचीत में लगे हुए हैं, उसी तरह पाकिस्तान और भारत परमाणु मामलों पर सार्थक बातचीत शुरू कर सकते हैं। इसमें परमाणु सुरक्षा प्रोटोकॉल, संयुक्त अनुसंधान पहल और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग जैसे क्षेत्र शामिल हो सकते हैं। ऊर्जा सुरक्षा परमाणु सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण चालक के रूप में काम कर सकती है।

लेख में बताया गया है कि पाकिस्तान और भारत दोनों बढ़ती ऊर्जा मांगों का सामना कर रहे हैं, और परमाणु ऊर्जा एक व्यवहार्य और टिकाऊ समाधान प्रस्तुत करती है। अपने संसाधनों और विशेषज्ञता को एकत्रित करके, ये देश अपने परमाणु कार्यक्रमों में तेजी ला सकते हैं, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम कर सकते हैं और पर्यावरणीय प्रभावों को कम कर सकते हैं।
लेखक के बारे में
प्रियेश मिश्र
नवभारत टाइम्स डिजिटल में डिजिटल कंटेंट राइटर। पत्रकारिता में दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला जैसी संस्थाओं के बाद टाइम्स इंटरनेट तक 5 साल का सफर जो इंदौर से शुरू होकर एनसीआर तक पहुंचा है पर दिल गौतम बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर और गोरक्षनाथ की धरती गोरखपुर में बसता है। देश-विदेश, अंतरराष्ट्रीय राजनीति/कूटनीति और रक्षा क्षेत्र में खास रुचि। डिजिटल माध्यम के नए प्रयोगों में दिलचस्पी के साथ सीखने की सतत इच्छा।... और पढ़ें

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