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इस नवरात्र लीजिए मां चामुंडेश्वरी का आशीर्वाद साथ ही देखें मैसूर का विश्व प्रसिद्ध दशहरा उत्सव

Authored byRakesh Jha | नवभारतटाइम्स.कॉम 5 May 2022, 7:46 am

शारदीय नवरात्रि शुरू होने में बस कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। 29 सितंबर से 9 दिनों तक मां की भक्ति का पर्व चलेगा। सभी श्रद्धालुजन मां की आराधना करेंगे। इस दौरान अलग-अलग मंदिरों में मां के दर्शनों का विशेष महत्व है। इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर भारत के खूबसूरत राज्य कर्नाटक में भी है। इस मंदिर में भक्तजन ना सिर्फ नवरात्र के दौरान दर्शन करने जाते हैं बल्कि नवरात्र के बाद दशमी के दिन होने वाला दशहरा यहां का प्रमुख आकर्षण है।

  • धार्मिक मान्यता

    धार्मिक मान्यता

    चामुंडेश्वरी मंदिर कर्नाटक के मैसूर में चामुंडी नामक पहाड़िया पर स्थित धार्मिक स्थान है। यह मंदिर चामुंडेश्वरी देवी को समर्पित है। चामुंडेश्वरी देवी को दुर्गाजी का ही रूप माना जाता है। चामुंडी पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर दुर्गा जी द्वारा राक्षस महिषासुर के वध का प्रतीक माना जाता है। चामुंडी पहाड़ी पर महिषासुर की एक ऊंची मूर्ति है और उसके बाद मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। यह मां के 51 शक्तिपीठों में से एक है, यह 18 वां महाशक्ति पीठ है, मान्यतानुसार, यहां माता के बाल गिरे थे।

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  • पौराणिक कथा

    पौराणिक कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नामक राक्षस को ब्रह्माजी से वरदान मिला कि उसकी मृत्यु एक स्त्री के हाथों होगी। वर मिलने के बाद महिषासुर ने देवताओं और ऋषियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया, तब दुखी देवताओं ने महिषासुर से छुटकारा पाने के लिए मां भगवती की आराधना की। देवी मां ने देवताओं की प्रार्थना करने पर महिषासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया। देवी भगवती और महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ। देवी ने सभी असुरी सेना का वध कर अंत में महिषासुर का सिर काट दिया। देवी के इस रूप को चामुंडा नाम दिया गया।

  • दशहरा महोत्सव

    दशहरा महोत्सव

    नवरात्र के दौरान चामुंडेश्वरी देवी के मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। नवरात्रि के बाद दशमी के दिन होने वाला दशहरा महोत्सव न सिर्फ भारत ही बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। मैसूर में 600 सालों से अधिक पुरानी परंपरा वाला यह पर्व धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। मैसूर में दशहरा उत्सव का प्रारंभ चामुंडी पहाड़ियों पर विराजने वाली देवी चामुंडेश्वरी के मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और दीप प्रज्ज्वलन के साथ होता है। यहां पर श्रद्धालु मां से अपनी मनोवांछित इच्छा की पूर्ति के लिए आते हैं।

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  • चामुंडेश्वरी मंदिर का महत्त्व

    चामुंडेश्वरी मंदिर का महत्त्व

    चामुंडेश्वरी मंदिर में आयोजित होने वाला दशहरा का उत्सव हर वर्ष बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। असत्य पर सत्य की जीत का यह त्यौहार वैसे तो देश भर में मनाया जाता है। परंतु इसका रंग मैसूर में बड़ा ही निराला दिखाई पड़ता है। दस दिन तक मनाया जाने वाला यह उत्सव देवी मां चामुंडा द्वारा महिषासुर के वध का प्रतीक है। इस दौरान यहां पर कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

  • दशहरे पर निकलती है मां की सवारी

    दशहरे पर निकलती है मां की सवारी

    दशहरे के दिन मनाए जाने वाले उत्सव को जंबो सवारी कहा जाता है। इस दिन सबकी नजरें हाथी पर निकलने वाले सुनहरे रंग के हौदे पर टिकी होती हैं। मान्यतानुसार पुराने जमाने में इस हौदे का उपयोग मैसूर के राजा अपनी शाही गज सवारी के लिए करते थे। हालांकि अब साल में केवल एक बार विजयादशमी के जुलूस में इस हौदे का प्रयोग माता की सवारी के लिए किया जाता है। विजयादशमी के मौके पर मैसूर का राज दरबार आम लोगों के लिए खोल दिया जाता है। यह दिन मैसूरवासियों के लिए बेहद खास होता है, यहां पर भव्य जुलूस निकाला जाता है।। इस अवसर पर यहां दस दिनों तक बेहद धूमधाम से उत्सव मनाए जाते हैं।

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