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लंबी उम्र के लिए मां ब्रह्मचारिणी देवी को ऐसे करें खुश

चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि को मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा करने का विधान है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 29 Mar 2017, 8:47 am
आज चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि है और शास्त्रों के अनुसार इस दिन मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा करने का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडलु है। शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
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लंबी उम्र के लिए मां ब्रह्मचारिणी देवी को ऐसे करें खुश


हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। अपनी इस तपस्या की अवधि में इन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यन्त कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया। उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में नवरात्र के दूसरे दिन इनके इसी रूप की पूजा और स्तवन किया जाता है।

भोग : नवरात्र के इस दूसरे दिन मां भगवती को चीनी का भोग लगाने का विधान है। ऐसा विश्वास है कि चीनी के भोग से उपासक को लंबी आयु प्राप्त होती है और वह निरोगी रहता है और उसमें अच्छे विचारों का आगमन होता है। मां पार्वती के कठिन तप को मन में रखते हुए संघर्ष करने की प्रेरणा प्राप्त होती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा निम्न मंत्र के माध्यम से की जाती है-

दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।


अर्थात् जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमंडल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें।

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