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Navratri Knaya Pujan Date : कन्या पूजन की तारीख विधि और नियम जानें

Navratri Knaya Pujan Vidhi : नवरात्रि का समापन कन्या पूजन के साथ किया जाता है। अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन किया जाता है। तो आइए जानें कन्या पूजन की तारीख, विधि और महत्व।

Authored byआयुषी त्यागी | नवभारतटाइम्स.कॉम 1 Oct 2022, 4:44 pm
नवरात्रि की पूजा बिना कन्या पूजन के सफल नहीं मानी जाती है। कहते हैं कन्या पूजन नहीं किया जाए तो व्रत का फल अधूरा ही मिलता है। शारदीय और चैत्र नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन किया जाता है। इस दिन 9 कन्याओं को माता स्वरूप मानते हुए उनका पूजन किया जाता है। तो आइए जानते हैं कन्या पूजा की तारीख महत्व और विधि।
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यूं तो नवरात्रि में हर दिन कन्याओं को भोजन कराने का विधान हैं। लेकिन, अगर आप सभी दिन कन्या पूजन नहीं कर पाते हैं तो षष्ठी से लेकर नवमी तक भी कन्या पूजन कर सकते हैं। यदि यह भी संभव न हो तो अष्टमी और नवमी को कन्याओं को भोजन कराना चाहिए। कन्याओं की संख्या विषम यानी 1,5, 7 और 9 संख्या होनी चाहिए। इस बार अष्टमी तिथि 3 अक्टूबर 2022 यानी सोमवार को है। वहीं, नवमी तिथि 4 अक्टूबर 2022 यानी मंगलवार को है। सुबह से लेकर दोपहर तक कन्या पूजन करना उत्तम रहता है। साथ ही इस दौरान कन्याओं की उम्र का विशेष ख्याल रखें। 3 से 9 साल तक कन्याओं का पूजन करना चाहिए। यदि इस उम्र की कन्या न मिल पाएं तो ऐसी स्थिति में आप 10 साल की कन्याओं को भी जिमा सकते हैं।

कैसे करें कन्या पूजन
कन्या पूजन में सबसे पहले कन्याओं के चरण धोने चाहिए। इसके बाद उन्हें तिलक लगाएं और फिर आसन पर बैठाएं और फिर उन्हें भोजन कराएं। कन्या पूजन में कन्याओं को उपहार में लाल वस्त्र भेट किए जाते हैं। दरअसल, माता रानी को लाल वस्त्र बेहद प्रिय हैं। यदि आप वस्त्र नहीं दे पाते हैं तो आप लाल रंग की चुन्नी भी उन्हें उपहार के रूप में दे सकते हैं। ऐसा करने से भी आपको देवी मां का आशीर्वाद मिलेगा। इसके अलावा उन्हें एक फल भी उपहार के रूप में जरूर दें। आप केला, सेब, अनार आदि कोई भी फल दे सकते हैं।

चावल और जीरा भी दें
मान्यताओं के अनुसार, कन्याओं को जीरा या चावल कपड़े में बांधकर देना चाहिए। इससे घर परिवार में सुख समृद्धि बनी रहेगी।

श्रृंगार का सामान भी करें आर्पितनवरात्रि पूजन के बाद कन्याओं को श्रृंगार की सामग्री देनी चाहिए। श्रृंगार के सामान में लाल चूड़ियां, बिंदी, नेल पेंट, लिपस्टिक, काजल, आदि सामान दे सकते हैं। मान्यता है कि कन्याओं को दिया गया श्रृंगार सीधे मां देवी को अर्पित होता है।
लेखक के बारे में
आयुषी त्यागी
आयुषी त्यागी को मीडिया के विभिन्न संस्थानों में इनका 6 साल का कार्यानुभव रहा है। ज्योतिष और धर्म पर बीते 2 सालों से काम का अनुभव है। इन्होंने वैदिक ज्योतिष, अंकज्योतिष और टैरो के साथ हस्तरेखा और वास्तु एवं फेंगशुई पर भी अध्ययन किया है और अपने ज्ञान और अनुभव से लोगों को उचित ज्योतिषीय उपाय बताकर परेशानियों से निकलने में सहायता करती है। इसके अलावा इन्होंने राजनीतिक विषयों पर पर भी मीडिया संस्थानों में काम किया है। खाली समय में धर्म-ग्रंथों का अध्ययन और चिंतन करने के साथ ही यात्रा और संगीत का भी आनंद लेती हैं।... और पढ़ें

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