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जीवन जीने की कला

जो आज है, उसे जियो। जीवन जीने की कला का सबसे बड़ा रहस्य यही है।

नवभारत टाइम्स 1 Feb 2017, 10:32 am

बहुत पुरानी बात है। एक राजा था। वह बात-बात में फांसी की सजा का हुक्म दिया करता था। इस कारण लोग काफी परेशान थे और उसके नाम से ही भयभीत रहा करते थे। लेकिन उस राजा की एक खूबी भी थी। वह मरने वाले की हर अंतिम ख्वाहिश को जरूर पूरा करता था। एक बार उसके मंत्री से कुछ गलती हो गई। राजा ने उसे भी फांसी पर लटकाने का हुक्म दे दिया। मंत्री के घरवालों को जब यह बात पता चली तो उनके घर मातम छा गया।

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जीवन जीने की कला


फांसी का दिन नजदीक आ गया। फांसी वाले दिन राजा ने मंत्री से उसकी अंतिम ख्वाहिश पूछी तब मंत्री बोला, 'महाराज एक वर्ष के लिए आप अपना घोड़ा मुझे दे दीजिए।' राजा बहुत गुस्सा हुआ। वह बोला, 'तुमको तो अभी फांसी पर लटकाना है और तुम हो कि एक वर्ष के लिए मेरा घोड़ा मांग रहे हो।' तब मंत्री बोला, 'मेरे पास एक ऐसी गुप्त कला है जिसके सहारे मैं घोड़े को उड़ने वाला घोड़ा बना सकता हूं, लेकिन यदि मैं मर गया तो ये गुप्त कला भी मेरे साथ चली जाएगी।'

राजा बोला, 'एक वर्ष की ही तो बात है। अगर घोड़ा सचमुच उड़ने लगा तो मुझे काफी प्रसिद्धि मिलेगी, लेकिन घोड़ा नहीं उड़ा तो एक वर्ष बाद तुम्हारी यह सजा बरकरार रहेगी। तुम्हें फांसी दे दी जाएगी।' जब मंत्री घर पहुंचा तो उसके परिजन उसे जिंदा देख आश्चर्यचकित होने के साथ ही बहुत खुश भी हुए। मंत्री की पत्नी ने पूछा यह सब कैसे हुआ। पूरा घटनाक्रम जानने के बाद उसने सवाल किया कि एक वर्ष बाद क्या होगा।

मंत्री बोला, 'एक वर्ष किसने देखा है। हो सकता है राजा युद्ध में लड़ते हुए मारा जाए। हो सकता है घोड़ा ही मर जाए। हो सकता है राजा अपना पूरा राज-पाट ही किसी अन्य राजा से हार जाए। इसलिए जो आज है, उसे जियो। जीने की कला का सबसे बड़ा रहस्य यही है।'

संकलन: सुभाष बुड़ावनवाला

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