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ईश्वरचंद्र विद्यासागर की सफाई

अपने जीवन काल में बावन ग्रंथों की रचना करने वाले भारत के प्रसिद्ध समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर...

नवभारत टाइम्स 16 Sep 2016, 8:46 am
अपने जीवन काल में बावन ग्रंथों की रचना करने वाले भारत के प्रसिद्ध समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर स्वावलंबन व सादगी के जीवंत प्रतीक थे। एक बार विद्यासागर को इंग्लैंड में एक सभा की अध्यक्षता करनी थी। उनके बारे में यह मशहूर था कि उनका प्रत्येक कार्य घड़ी की सुई के साथ पूर्ण होता है। वे लोगों से भी यही अपेक्षा रखते थे कि वे अपना कार्य समय पर करें।
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ईश्वरचंद्र विद्यासागर की सफाई


विद्यासागर जी जब निश्चित समय पर सभा भवन पहुंचे तो देखा कि लोग बाहर घूम रहे हैं। जब उन्होंने इसका कारण पूछा तो उन्हें बताया गया कि सफाई कर्मचारियों के न आने के कारण अभी भवन की सफाई नहीं हुई है। यह सुनते ही विद्यासागर जी ने बिना एक भी क्षण गंवाए झाड़ू उठा ली और सफाई शुरू कर दी। उन्हें ऐसा करते देख बाकी लोगों ने भी सफाई शुरू कर दी। देखते ही देखते सभा भवन साफ हो गया और सारा फर्नीचर यथास्थान लगा दिया गया।

जब सभा आरंभ हुई तो ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने अपने संबोधन में कहा, ‘कोई व्यक्ति हो अथवा राष्ट्र, उसे स्वावलंबी होना चाहिए। अभी आप लोगों ने देखा कि एक-दो व्यक्तियों के न आने से हम सभी परेशान हो रहे थे। संभव है कि उन व्यक्तियों तक इस कार्य की सूचना न पहुंची हो या फिर किसी दिक्कत के कारण वे यहां न पहुंच सके हों। क्या ऐसी दशा में आज का कार्यक्रम स्थगित कर दिया जाता? यदि ऐसा होता तो कितने व्यक्तियों का आज का श्रम और समय व्यर्थ हो जाता।’

सार यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वावलंबी होना चाहिए और वक्त पड़ने पर किसी भी कार्य को करने में संकोच नहीं करना चाहिए। एक सामान्य व्यक्ति भी जीवन में उच्च आदर्शों को अपनाकर किस प्रकार महानता को प्राप्त करता है, विद्यासागर का जीवन हमें यही सिखाता है।

संकलन: विनोद कुमार यादव

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