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इस शिक्षक ने भारतीय बच्चों को बताए अधिकार और कर्तव्य, अंग्रेजों की कर दी बोलती बंद

तेजसिंह ने भारतीय बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। उनकी नियुक्ति एक स्कूल में हो गई। उनके पढ़ाने के तरीके से बच्चे बहुत खुश थे। धीरे-धीरे उनके पढ़ाने के तरीके की चर्चा हर ओर होने लगी। यह खबर अंग्रेजों तक भी पहुंच गई और कहा कि घर आकर बिल्कुल नहीं पढ़ा सकता।

Edited byपराग शर्मा | नवभारत टाइम्स 28 Sep 2022, 8:50 am
18वीं सदी में एक क्रांतिकारी हुए, पंडित तेजसिंह तिवारी। वह बचपन से ही हृष्ट-पुष्ट थे और उनके चेहरे पर एक अद्भुत तेज था। इसलिए उनका नाम पंडित तेजसिंह तिवारी रखा गया। अंग्रेजों के अत्याचार देखकर वह बहुत दुखी होते थे। जैसे-जैसे वह बड़े हुए, उन्होंने पाया कि अंग्रेज अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में भेजते हैं लेकिन भारतीयों के बच्चों की शिक्षा ही नहीं हो पा रही है। यह देखकर उन्होंने निर्णय किया कि वह स्वयं शिक्षा प्राप्त कर भारतीय बच्चों को पढ़ाएंगे, ताकि वे अपने अधिकारों और कर्तव्यों से परिचित हो सकें।
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इस भारतीय शिक्षक ने अंग्रेजों की कर दी बोलती बंद


तेजसिंह ने भारतीय बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। उनकी नियुक्ति एक स्कूल में हो गई। उनके पढ़ाने के तरीके से बच्चे बहुत खुश थे। धीरे-धीरे उनके पढ़ाने के तरीके की चर्चा हर ओर होने लगी। यह खबर अंग्रेजों तक भी पहुंच गई। एक दिन जब वह सुबह उठकर हाथ मुंह धो रहे थे, उसी समय एक अंग्रेज सिपाही इन्हें पकड़ कर अपने साहब के पास ले गया। अंग्रेज साहब इन्हें देखते ही बोला, ‘आइए पंडितजी, सुना है आप बच्चों को बहुत अच्छी तरह से पढ़ाते हैं। कृपया मेरे बच्चों को भी घर पर आकर पढ़ा दिया करिए।’ अंग्रेज की बात सुनकर पंडित तेजसिंह स्पष्ट बोले, ‘क्षमा कीजिए, मैं केवल पाठशाला में पढ़ाता हूं। यदि आपके बच्चे वहां आ जाएंगे तो मैं उन्हें पढ़ा सकता हूं, लेकिन घर आकर बिल्कुल नहीं पढ़ा सकता।’

तेजसिंह के मना करने पर अंग्रेज बोला, ‘मैं तुम्हें इसके लिए ढेर सारा रुपया दूंगा। तुम्हारी जिंदगी संवर जाएंगी।’ पंडित तेजसिंह मुस्करा कर बोले, ‘ऐसी जिंदगी आपको मुबारक। हमें तो रूखी-सूखी मिल जाए तब भी जिंदगी मजे में चलती है। बस आप अंग्रेज यहां से निकल जाएं तो सोने पर सुहागा हो जाए।’ पंडित तेजप्रताप सिंह की बात सुनकर अंग्रेज का खून खौल उठा। लेकिन वह शिक्षक पंडित तेजसिंह को कुछ नहीं बोल पाया। - संकलन : रेनू सैनी
लेखक के बारे में
पराग शर्मा
"पराग शर्मा धार्मिक विषयों और रेमेडियल ज्योतिष पर 7 साल से भी अधिक समय से काम कर रहे हैं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, अंक ज्योतिष, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर इन्होंने गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से यह प्रतिकूल ग्रह दशाओं और परेशानी में चल रहे लोगों को उचित सलाह देकर उन्हें संकट से निकलने में मदद करते हैं। खाली समय में राजनीतिक और धार्मिक विषयों पर अध्ययन और चिंतन करना पराग को बहुत पसंद है। शोर शराबे की बजाय एकांत में ध्यान करना भी पसंद है, इसलिए जब कभी भी पराग को खाली एकांत समय मिलता है, आत्मचिंतन करते हैं और कहानी एवं कविताएं लिखते हैं।"... और पढ़ें

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