ललित गर्ग
एक बार एक संत ने बहुत सुंदर बगीचा लगाया। उसमें तरह-तरह के पेड़-पौधे लगाए। एक दिन संत को किसी काम से बाहर जाना पड़ा। लेकिन जब वह लौटे तो देखा कि सारे पेड़-पौधे मुरझाए हुए हैं। संत चिंतित हो गए और एक-एक कर उन सबसे इस हालत की वजह पूछी। एक वृक्ष ने कहा, मैं मर रहा हूं क्योंकि मुझे ईश्वर ने देवदार जितना ऊंचा नहीं बनाया।
संत ने देवदार की ओर देखा तो उसके भी कंधे झुके हुए थे। वह इसलिए मुरझा गया था कि वह अंगूर के पेड़ की तरह फल नहीं पैदा कर सकता था। अंगूर की बेल इसलिए मरी जा रही थी क्योंकि वह गुलाब की तरह सुगंधित फूल नहीं दे रही थी। गुलाब भी कांटों के बीच होने की शिकायत कर रहा था।
संत थोड़ा आगे बढ़े तो उन्हें एक ऐसा पेड़ नजर आया जो पूरा खिला और ताजगी से भरा था। संत ने उससे पूछा, बड़े कमाल की बात है, मैं पूरे बगीचे में घूमा हूं। तुम केवल एकमात्र संतुष्ट और शांत मिले जबकि बाकी अन्य कई मायने में तुमसे अधिक मजबूत हैं और बड़े पेड़-पौधे हैं, फिर भी वे मुरझाए हुए हैं।
वह पौधा बोला, ये सब अपनी खूबियां नहीं पहचानते। ये नहीं जानते कि वे भी अपने आप में बहुत विशेष हैं। ये केवल दूसरों की खूबियों से ईर्ष्या करते हैं, इसलिए दुखी हैं जबकि मैं जानता हूं कि मेरे मालिक ने मुझे लगाया है तो उसके पीछे कुछ न कुछ उसका उद्देश्य होगा। वह चाहता होगा कि मैं इस बगीचे की समृद्धि का हिस्सा बनूं। इसलिए मैं खुश हूं। मैं जानता हूं, मेरा यहां होना औचित्यहीन नहीं है। मैं किसी और की तरह बनने की अपेक्षा खुद की क्षमताओं पर अधिक भरोसा करता हूं, यही मेरी प्रसन्नता का राज है।’
अपनी समझ को बढ़ाना जरूरी है, इसी से जीवन में खुशियां आ सकती हैं। फ्रांसीसी दार्शनिक रेने देकार्त का मार्मिक कथन है कि एक अच्छा दिमाग भर होना काफी नहीं है। अहम बात यह है कि हमें इसका बेहतर इस्तेमाल करना भी आता हो।
खुशी हमें कभी उपहार में नहीं मिल सकती। इसके लिए हमें पर्याप्त प्रयत्न करना पड़ता है। हमें अपनी सोच को सकारात्मक बनाना होता है। वास्तव में सुख हमारे प्रयत्नों का बाई प्रॉडक्ट है। सुख पाना मानव का स्वभाव है, जब आप दूसरों को सुख देते हैं तो निश्चित रूप से आपको भी सुख और संतोष मिलने लगता है।
सत्य है कि जैसा बोओगे, वैसा ही काटोगे। यदि आप सपने ही नहीं देखेंगे तो उन्हें साकार कैसे करेंगे। खुद को भरोसा दिलाएं कि आपके पास वह सब हो सकता है, जो आप चाहते हैं तो आखिरकार आपके पास वह सब होगा, जो आप चाहते हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप कुछ नया करने की और नई उड़ान भरने की तैयारी करें।
एक बार एक संत ने बहुत सुंदर बगीचा लगाया। उसमें तरह-तरह के पेड़-पौधे लगाए। एक दिन संत को किसी काम से बाहर जाना पड़ा। लेकिन जब वह लौटे तो देखा कि सारे पेड़-पौधे मुरझाए हुए हैं। संत चिंतित हो गए और एक-एक कर उन सबसे इस हालत की वजह पूछी। एक वृक्ष ने कहा, मैं मर रहा हूं क्योंकि मुझे ईश्वर ने देवदार जितना ऊंचा नहीं बनाया।
संत ने देवदार की ओर देखा तो उसके भी कंधे झुके हुए थे। वह इसलिए मुरझा गया था कि वह अंगूर के पेड़ की तरह फल नहीं पैदा कर सकता था। अंगूर की बेल इसलिए मरी जा रही थी क्योंकि वह गुलाब की तरह सुगंधित फूल नहीं दे रही थी। गुलाब भी कांटों के बीच होने की शिकायत कर रहा था।
संत थोड़ा आगे बढ़े तो उन्हें एक ऐसा पेड़ नजर आया जो पूरा खिला और ताजगी से भरा था। संत ने उससे पूछा, बड़े कमाल की बात है, मैं पूरे बगीचे में घूमा हूं। तुम केवल एकमात्र संतुष्ट और शांत मिले जबकि बाकी अन्य कई मायने में तुमसे अधिक मजबूत हैं और बड़े पेड़-पौधे हैं, फिर भी वे मुरझाए हुए हैं।
वह पौधा बोला, ये सब अपनी खूबियां नहीं पहचानते। ये नहीं जानते कि वे भी अपने आप में बहुत विशेष हैं। ये केवल दूसरों की खूबियों से ईर्ष्या करते हैं, इसलिए दुखी हैं जबकि मैं जानता हूं कि मेरे मालिक ने मुझे लगाया है तो उसके पीछे कुछ न कुछ उसका उद्देश्य होगा। वह चाहता होगा कि मैं इस बगीचे की समृद्धि का हिस्सा बनूं। इसलिए मैं खुश हूं। मैं जानता हूं, मेरा यहां होना औचित्यहीन नहीं है। मैं किसी और की तरह बनने की अपेक्षा खुद की क्षमताओं पर अधिक भरोसा करता हूं, यही मेरी प्रसन्नता का राज है।’
अपनी समझ को बढ़ाना जरूरी है, इसी से जीवन में खुशियां आ सकती हैं। फ्रांसीसी दार्शनिक रेने देकार्त का मार्मिक कथन है कि एक अच्छा दिमाग भर होना काफी नहीं है। अहम बात यह है कि हमें इसका बेहतर इस्तेमाल करना भी आता हो।
खुशी हमें कभी उपहार में नहीं मिल सकती। इसके लिए हमें पर्याप्त प्रयत्न करना पड़ता है। हमें अपनी सोच को सकारात्मक बनाना होता है। वास्तव में सुख हमारे प्रयत्नों का बाई प्रॉडक्ट है। सुख पाना मानव का स्वभाव है, जब आप दूसरों को सुख देते हैं तो निश्चित रूप से आपको भी सुख और संतोष मिलने लगता है।
सत्य है कि जैसा बोओगे, वैसा ही काटोगे। यदि आप सपने ही नहीं देखेंगे तो उन्हें साकार कैसे करेंगे। खुद को भरोसा दिलाएं कि आपके पास वह सब हो सकता है, जो आप चाहते हैं तो आखिरकार आपके पास वह सब होगा, जो आप चाहते हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप कुछ नया करने की और नई उड़ान भरने की तैयारी करें।