दर्पण के इन वास्तु नियमों को अनदेखा न करें
दर्पण से निकलने वाली ऊर्जा अच्छी भी होती है और खराब भी। वास्तुशास्त्र के अनुसार दर्पण से एक प्रकार की ऊर्जा बाहर निकलती है। इसलिए कभी भी दर्पण खरीदना हो या फिर घर में लगाना हो तो वास्तु के नियमों को कतई अवॉयड न करें। ध्यान रखें कि इनका ध्यान रखेंगे तो लाभ भी होता है लेकिन नजरअंदाज करना आपको भारी भी पड़ सकता है। तो आइए वास्तु एक्सपर्ट सचिन मेहरा से जानते हैं कि दर्पण से संबंधित ये जरूरी बातें कौन सी हैं?
इस समय तो कतई न खरीदें दर्पण
वास्तु के अनुसार, जब भी दर्पण खरीदें तो ध्यान रखें कि उसका फ्रेम चमकता हुआ न हो। साथ ही उसका रंग भी गहरा न हो। दर्पण लेते समय देख लें कि उसमें आपका सही रूप दिख रहा हो। साथ ही ध्यान रखें कि सूर्यास्त के बाद दर्पण कभी भी न खरीदें। वास्तु के अनुसार दर्पण हमेशा दिन में लेना चाहिए।
शीशे के फ्रेम का रंग चुनें ऐसा
वास्तुशास्त्र के अनुसार, बहुत अधिक गहरे रंगों के फ्रेम के बीच बना शीशा भी लेने से बचें। बल्कि ऐसा फ्रेम चुनें जो हल्के और सौम्य रंगों से बना हो। आप व्हाइट, क्रीम, आसमानी, हल्के नीले, हल्के हरे, ब्राउन आदि रंगों का शीशे के फ्रेम के लिये चुनाव कर सकते हैं। वहीं दपर्ण में यदि किसी तरह का क्रैक हो या कोई दाग हो तो उसे भी कतई न लें।
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दर्पण इस जगह तो हरगिज न लगाएं
वास्तुशास्त्र के अनुसार, दीवार पर दर्पण लगाते समय ध्यान रखें कि वह न एकदम नीचे हो और न ही अधिक ऊपर क्योंकि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों को सिर दर्द की समस्या हो सकती है। साथ ही दर्पण कभी बेडरूम में नहीं लगाना चाहिए। खास कर जिस कमरे में पति-पत्नी रहते हों। यदि लगा है तो उसे ढक कर रखना चाहिए।
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वास्तु में कहते हैं कि कमरे में यहां भी न लगाएं
वास्तुशास्त्र के अनुसार, कभी भी कमरे में दरवाजे के अंदर की ओर दर्पण नहीं लगाना चाहिए। इसके अलावा दर्पण कभी खिड़की या दरवाजे की ओर फेस करता हुआ भी नहीं लगाना चाहिए। वहीं कमरे के दीवारों पर आमने-सामने दर्पण लगाने से बचें, क्योंकि इससे घर के सदस्यों में बेचैनी और उलझन की समस्या बढ़ेगी।