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Union Budget 2022: 'दिल्ली में खेती करना इंडस्ट्रियल एरिया में मैन्युफैक्चरिंग करने जैसा...' बजट के ठीक पहले किसानों का छलका दर्द

केंद्रीय बजट 2022 को लेकर किसान भी टकटकी लगाए हुए है। इस बजट का असर देश के किसानों की दशा और दिशा को निर्भर भी करेगा। इसको लेकर के दिल्ली के किसान क्या सोचते हैं और उनकी इस समय क्या दशा है। जानिए सबकुछ...

नवभारत टाइम्स 1 Feb 2022, 6:40 am
राजेश पोद्दार, दिल्ली: इस बजट का असर देश के किसानों की दशा और दिशा को निर्भर भी करेगा। इसको लेकर के दिल्ली के किसान क्या सोचते हैं और उनकी इस समय क्या दशा है। इस पर हमने एक किसान से जानने की कोशिश की। दिल्ली के बवाना इलाके के दरियापुर कलां के रहने वाले किसान सत्यवान सहरावत अपनी पुश्तैनी किसानी पेशे से जुड़े हुए हैं। सामान्य जीवन यापन करने वाले सत्यवान बताते हैं कि यह बजट न सिर्फ देश के लिए, बल्कि दिल्ली के किसानों की भी दशा और दिशा को बदल सके, इसकी इच्छा दिल्ली के किसान रखते हैं।
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बजट से पहले किसानों की राय


वे कहते हैं, दिल्ली के किसानों की हालत पिछले कुछ सालों से बेहद खराब हैं। क्योंकि, दिल्ली के किसानों को किसानी का दर्जा नहीं दिया गया है, जिसकी वजह से दिल्ली में खेती करना और इंडस्ट्रियल एरिया में मैन्युफैक्चरिंग करने जैसा हो गया है। मतलब, जिस तरह दिल्ली में एक व्यापारी कमर्शियल एक्टिविटी के माध्यम से अपनी इनकम जनरेट करके अपने परिवार को चलाता है कुछ ऐसी ही स्थिति किसानों की भी हो चली है। दिल्ली में किसानों के पास खुद का ट्रैक्टर नहीं है, वह अपने खेतों में ट्यूबवेल नहीं लगा सकता है।

केंद्र सरकार की तरफ से चलाए गए फसल बीमा जैसी सुविधाएं दिल्ली के किसानों के पास नहीं हैं। दिल्ली में किसानों को बीज खाद और दूसरी चीजों पर अधिक रिहात नहीं मिलती। ऐसे में किसानों की इनकम अधिक मायने नहीं रखती है। हालांकि उनके परिवार की इनकम भी खेती पर ही निर्भर है। जो कि सामान्य रूप से हमेशा एक जैसी नहीं होती है। वो कहते हैं, इन खेती-बाड़ी से इनकम हमेशा सामान्य नहीं होती है, मेरे पास 5 एकड़ खुद की जमीन है और 10 से 12 एकड़ में किराए पर लेकर खेती करता हूं। ऐसे में करीब 4 से 5 लाख रुपये सालाना इनकम हो जाती है। मैं कहीं इनवेस्टमेंट नहीं करता हूं, मेरा इनवेस्टमेंट मेरा पशुधन है।

सत्यवान बताते हैं कि जब रुपये बसते हैं तो मैं उसे पशुओं को खरीदने पर लगाता हूं। सत्यवान सहरावत अपने इलाके में एक सशक्त और शिक्षित किसान हैं, जिसका फायदा उनको मिलता है। वह अपने जैविक खेती के माध्यम से अपने खेत पर ही ऑर्गेनिक फसलों की बिक्री भी कर लेते हैं, जिसकी वजह से इनकी अमूमन दूसरे किसानों से अच्छी है। परिवार में दो बेटी और एक बेटा है। बड़ी बेटी की शादी के बाद एक बेटा और बेटी की पढ़ाई पर खर्चा होता है। वो कहते हैं कि बच्चों की पढ़ाई पर करीब हर साल एक से डेढ़ लाख तक का खर्चा हो जाता है, क्योंकि दोनों बच्चों की हायर एजुकेशन जारी है। बेटी एमएससी कर रही है। आने वाले बजट में हम उम्मीद करते हैं कि सरकार महंगाई पर कंट्रोल करें, रसोई गैस और पेट्रोल के दाम में कटौती हो।

किसानों को डीजल पर सब्सिडी मिले और किसानों के उपकरण जो खरीदे जा रहे हैं उन पर लगने वाले टैक्स को कम किया जाए क्योंकि सरकार एक तरफ सब्सिडी तो देती है, लेकिन दूसरी तरफ 18 पर्सेंट तक जीएसटी भी किसानों से उपकरणों पर ले लेती है। सरकार को कृषि के बजट को बढ़ाना चाहिए, फसल बीमा योजना जैसी दूसरी योजनाओं पर काम होता रहे साथ ही फसल बीमा योजना में जो कुछ खामियों हैं उसे को दूर करें।

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