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मानसून के बाद डेंगू, चिकनगुनिया का खतरा, ऐसे बढ़ायें फाइनेसिंयल इम्युनिटी

हर साल हम मानसून (Mansoon) का बेसब्री से इंतजार इसलिए करते हैं कि इससे भीषण गर्मी (Summer season) से राहत मिलती है। लेकिन मानसून के बाद मच्छरोंं की बढ़वार होती है और फिर बढ़ता है डेंगू, चिकनगुनिया, कालाजार, मलेरिया आदि का प्रकोप। वैसे भी, इस साल का मानसून बिल्कुल अलग किस्म का रहा है। कोरोना (Corona) जैसी महामारी को फैलने के लिए मानसून में ह्यूमिडिटी फैक्टर को थोड़ा सहायक माना जा रहा है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 8 Sep 2020, 10:22 am
बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस के रिटेल हेल्थ अंडरराइटिंग विभाग की प्रमुख डॉक्टर रश्मि नंदारगी का कहना है कि सिर्फ कोरोना ही नहीं, मानसून के दिनों में कई अन्य तरह की बीमारियां जैसे कि मलेरिया, डेंगू, लेप्टो, टाइफॉयड, जौंडिस आदि भी मुंह बाए खड़े रहते हैं जिससे लोगों में संक्रमण का खतरा अधिक हो जाता है। वह बता रही हैं कि इन बीमारियों के बीच भी फाइनेंसियल इम्युनिटी (Financial Immunity) कैसे बढ़ायें।
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मानसून के बाद डेंगू, चिकनगुनिया का खतरा, ऐसे बढ़ायें फाइनेसिंयल इम्युनिटी



बनायें आर्थिक सुरक्षा चक्र

एक डॉक्टर की हैसियत से इन सबसे बचने के लिए मेरी यही सलाह होती है कि लोग अपने स्वास्थ्य का ठीक से ख्याल करें और व्यायाम करने के साथ ही साथ अपने अंदर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ और विटामिन का सेवन करते रहें ताकि ऐसी बीमारियां हमें घेर ही न पाएं। परंतु एक फिनांसियल एडवाइजर के तौर पर मैं लोगों को यही सलाह देती हूं कि खुदा न खास्ता भविष्य में होने वाली ऐसी किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए अपने आपको आर्थिक रूप से एक सुरक्षा चक्र के दायरे में कर लें।

बजट का हिस्सा बनायें बीमा पॉलिसी

किसी भी सूरत में एक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी हमारी बजट योजनाओं का एक हिस्सा होना ही चाहिए। एक स्वास्थ्य बीमा किसी के अस्पताल में भर्ती होने से लेकर इलाज के खर्चों का ख्याल रखकर हेल्थ इमरजेंसी के दौरान उसका भुगतान करता है। इस समय बाजार में कई बीमा पॉलिसी उपलब्ध हैं। आप कौन सी बीमा पॉलिसी चुनें, इसे चुनने के लिए आप कुछ मानकों पर ध्यान दे सकते हैं।

व्यक्तिगत और परिवार के लिए सम्पूर्ण सुरक्षा

किसी भी इंफेक्शन क्लेम के मामले में, अस्पताल में भर्ती होने से पहले और डिस्चार्ज होने के बाद भी जांच, परामर्श, दवाएं आदि जैसे कई खर्च होते हैं। इन सभी खर्चों सहित इंफेक्शन के कारण अस्पताल में भर्ती होने का औसत खर्च 40,000 से 50,000 रुपये आ जाता है। वर्तमान महामारी की स्थिति में, हमने नोट किया है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले खर्च इसलिए बढ़ जाते हैं कि अब अधिक स्वच्छता (PPT Kit) तथा अन्य चीजें और ज्यादा जांच की आवश्यकता (investigation) होती है।

अतिरिक्त खर्च आप पर बोझ बनेगा

किसी भी बीमा कवर के बिना ऐसा कोई भी अतिरिक्त खर्च आर्थिक रूप से आपको मुश्किल स्थिति में ला देगा। जबकि, बुनियादी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां, बीमित व्यक्ति का अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के सभी खर्चों का ध्यान रखती हैं। ऐसी कई पॉलिसी इस समय उपलब्ध हैं। इसका चुनाव हमेशा यह ध्यान में रखकर करना होता है कि कौन सी पॉलिसी हमारी शारीरिक और आर्थिक आवश्यकताओं के मद्देनजर फिट बैठती है।

मेट्रो शहरों में इलाज महंगा है

किसी छोटे शहर या टियर वन और टियर टू शहर में रहने वाले लोगों को, मेट्रो शहर के मुकाबले इलाज में कम खर्च उठाना पड़ता है। इसलिए, किसी पॉलिसी की बीमित राशि (sum insured) जो इसकी कवरेज लिमिट दर्शाती है, को अनुमानित इमरजेंसी खर्च से थोड़ा अधिक चुना जाना चाहिए। एक मिडल क्लास के भारतीय परिवार के सभी सदस्यों के लिए कुल कवरेज 5 से 10 लाख रुपये के बीच कहीं भी हो सकता है।

रोग/इंफेक्शन विशेष कवर

हमारे आंतरिक आंकड़ों के ट्रेंड से हमने पिछले वर्ष मानसून से संबंधित बीमारियों में 82.3% की वृद्धि देखी थी। इसके अलावा, वायरल बुखार के मामले बढ़ रहे हैं। पिछले 2-3 वर्षों के दौरान इनमें कई गुना की वृद्धि हुई है, जबकि डेंगू के लिए क्लेम में लगभग दोगुना की वृद्धि देखी गई है। ये चौंका देने वाले आंकड़े हैं। स्वास्थ्य बीमा के अभाव का मतलब है कि ये सभी खर्च सीधे मरीज द्वारा उनकी बचत के माध्यम से या मदद के लिए दोस्तों या परिवार पर भरोसा करके खर्च किए जाते हैं।

ऐसी बीमारियों के लिए उपलब्ध है कवर

एक बार नाम मात्र प्रीमियम का भुगतान कर देने के बाद, कंपनियां बीमाकर्ता को कवरेज का भुगतान करती हैं जिसे उसने चुना है। बाजार में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, कालाजार, जापानी इंसेफेलाइटिस, फाइलेरिया और जीका जैसी तमाम वेक्टर जनित बीमारियों के लिए ऐसी बीमा पॉलिसियां उपलब्ध हैं। कोरोना महामारी को देखते हुए, कई बीमाकर्ता इस तरह के कोविड कवच के रूप में सस्ती कोरोना कवच जैसे कवर के साथ आए हैं।

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