60 साल से अधिक के लोगों पर सख्ती से लागू होंगे प्रतिबंध
जीवन बीमा से जुड़ी ये प्रतिबंध सीनियर सिटिजन यानी 60 साल से अधिक के लोगों पर सख्ती से लागू होंगे। अगर रिस्क कम भी होगा और परमानेंट ऑर्गन डैमेज पाया जाता है तो भी जीवन बीमा कंपनियां अधिक प्रीमियम चार्ज करने की तैयारी में हैं। कोरोना से ठीक होने वाले जिन लोगों ने विदेश यात्रा की होगी, उनके आवेदन को भारत में वापस आने के महीने भर बाद ही स्वीकार किया जाएगा।
3 महीने बाद भी रहे अनफिट तो चुकाना होगा अतिरिक्त प्रीमियम
कोरोना के मामलों को लेकर एक्चुरी नियुक्त किए गए बजाज अलाएंज लाइफ के अवधेश गुप्ता कहते हैं कि जिन आवेदकों की पहले से कोई मेडिकल हिस्ट्री है, उन्हें अलग तरीके से देखा जाएगा, जैसे को-मॉर्बिडिटी (जिन लोगों को एक साथ दो या दो से अधिक परेशानियां होती हैं) वाले लोग। ऐसे लोगों को पहले ही सब स्टैंडर्ड लाइफ की कैटेगरी में रखा गया है। कोरोना से ठीक होने के 3 महीने बाद भी जो लोग अनफिट हैं, उन्हें को-मॉर्बिडिटी वाले लोगों की तरह ही समझा जाएगा और उन्हें अतिरिक्त प्रीमियम चुकाना होगा।
इन लोगों में लंबे समय तक रह सकती हैं परेशानियां
कोरोना से ठीक होने वाले लाखों लोग जो अस्पताल में 4 हफ्तों या उससे अधिक के लिए भर्ती हुए थे, उनमें दिल, किडनी और फेफड़ों की जुड़ी समस्याएं लंबे समय तक रहने की आशंका है। आदित्य बिरला सन लाइफ इंश्योरेंस के चीफ एक्चुरियल ऑफिसर अनिल कुमार सिंह कहते हैं इन प्रतिबंधों को रीइंश्योरर्स के दिशा-निर्देश के अनुसार लगाया जा रहा है। हमारे पास रिस्क फैक्टर की गणना के लिए डेटा नहीं है, इसलिए हम अतिरिक्त प्रीमियम चार्ज कर रहे हैं।
ऐसे तय होगी जीवन बीमा की लागत
अनिल कुमार सिंह ने आगे बताया कि जीवन बीमा की लागत कितनी होगी, इसका फैसला 3 महीने के वेटिंग पीरियड के बाद होगा और वह भी इस बात पर निर्भर करेगा वायरस की वजह से उस शख्स के स्वास्थ्य पर कितना असर पड़ा है। कितना अतिरिक्त प्रीयमियम चुकाना होगा, इसका फैसला ये देखने के बाद होगा कि कोरोना का असर कितने ऑर्गन पर पड़ा है। अगर कोई बड़ी दिक्कत सामने नहीं आती है या फिर ये साफ हो जाता है कि कोरोना से ठीक होने वाले पर लंबे समय के लिए कोई बुरा असर नहीं दिख रहा है, तो उससे कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया जाएगा।