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Adani Group News : अडानी ग्रुप की दो कंपनियों को डीआरआई केस में मिली ट्रिब्यूनल से राहत, जानिए क्या था मामला

Adani Group News : ट्रिब्यूनल ने यह भी पाया कि डीआरआई द्वारा की गई जांच 'अपूर्ण' थी। ट्रिब्यूनल ने कहा कि विभाग ने भारतीय बैंकों से प्राप्त दस्तावेज जमा किए, लेकिन वह विदेशी बैंकों को जांच में शामिल करने में विफल रहा। 15 मार्च 2014 को डीआरआई द्वारा एक सामान्य कारण बताओ नोटिस भेजा गया था।

Authored byRashmi Rajput | Edited byपवन जायसवाल | इकनॉमिकटाइम्स.कॉम 23 Jul 2022, 4:02 pm
नई दिल्ली : डीआरआई मामले (DRI case) में अडानी ग्रुप (Adani Group) की दो कंपनियों को ट्रिब्यूनल से राहत मिली है। सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय ट्रिब्यूनल (CESTAT) के फैसले से इन कंपनियों को राहत मिली है। ट्रिब्यूनल ने समूह से जुड़ी दो फर्मों के खिलाफ ओवर-इनवॉइसिंग आरोपों को रद्द करने वाले न्यायिक प्राधिकरण के आदेश को बरकरार रखा है। पिछले साल जुलाई में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) अडानी समूह से जुड़ी कुछ संस्थाओं की जांच कर रहा है। इसके बाद समूह ने मामले पर जल्द सुनवाई की मांग करते हुए सीईएसटीएटी से संपर्क किया। उसने कहा था कि मामले के बारे में स्वतंत्र निदेशकों, लेखा परीक्षकों, वित्तीय संस्थानों और उधारदाताओं से पूछताछ की गई।
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अडानी ग्रुप की दो कंपनियों को ट्रिब्यूनल से राहत


इन दस्तावेजों पर आधारित है मामला

ट्रिब्यूनल ने पाया कि विभाग का कथित अधिक मूल्यांकन से संबंधित मामला एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा की यूएई शाखाओं से प्राप्त कुछ दस्तावेजों पर आधारित है। हालांकि, भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं से विभाग को मिले दस्तावेज सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 138 सी (4) के तहत निर्धारित शर्तों के अनुसार प्रमाणित नहीं थे।

डीआरआई की जांच अपूर्ण

ट्रिब्यूनल ने यह भी पाया कि डीआरआई द्वारा की गई जांच 'अपूर्ण' थी। ट्रिब्यूनल ने कहा कि विभाग ने भारतीय बैंकों से प्राप्त दस्तावेज जमा किए, लेकिन वह विदेशी बैंकों को जांच में शामिल करने में विफल रहा। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा, "विभाग पर यह साबित करने का बोझ था कि रेंमिटेंस की कुल राशि केवल इन दो बैंकों के माध्यम से क्यों थी और किसी अन्य बैंक के माध्यम से नहीं थी। इसलिए, यह जांच अधूरी थी।"
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15 मार्च 2014 को डीआरआई ने भेजा था कारण बताओ नोटिस
15 मार्च 2014 को डीआरआई ने एक सामान्य कारण बताओ नोटिस भेजा था। इसमें आरोप लगाया गया था कि दुबई में स्थित एक इकाई ईआईएफ, अडानी पावर महाराष्ट्र लिमिटेड (APML) और अडानी पावर राजस्थान लिमिटेड (APRL) एक दूसरे से संबंधित संस्थाएं थीं। इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि ईआईएफ पर विनोद अडानी का स्वामित्व और नियंत्रण था, जो अडानी ग्रुप के एक प्रमोटर हैं। साथ ही वह अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड में एक शेयरधारक भी थे।
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Rashmi Rajput

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