नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने बकाया भुगतान की देरी पर सरकार और कंपनियों को फटकार लगाई है। एजीआर मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या सरकारी अफसर सुप्रीम कोर्ट से ऊपर हैं। टेलिकॉम कंपनियों के MDs को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी कर 17 मार्च को कोर्ट में तलब किया गया है। MDs को कोर्ट में पेश होकर यह बताने को कहा गया है कि उनकी कंपनियों ने अब तक एजीआर बकाया की रकम क्यों नहीं जमा कराई है। एयरटेल, वोडा आइडिया और टाटा टेलिसर्विसेज आदि पर 1.47 लाख करोड़ रुपये का बकाया है। वहीं कोर्ट ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम से भी कंपनियों को राहत पर सवाल उठाए। जस्टिस मिश्रा ने कहा, DoT ने यह नोटिफिकेशन कैसे जारी किया कि अभी भुगतान ना करने पर कंपनियों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे आदेश के बावजूद यह रकम जमा नहीं हुई, हम अचंभित हैं कि एक पैसा भी जमा नहीं कराया गया है।
पढ़ेंः 'सुप्रीम' फटकार के बाद, वोडा के शेयर बेहाल
जस्टिस अरुण मिश्रा ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, 'देश में क्या हो रहा है, यह बिल्कुल बकवास है, हमें जो कहना था हम कह चुके हैं।' जस्टिस मिश्रा ने कहा कि ये याचिकाएं दाखिल नहीं करनी चाहिए थीं, ये सब बकवास है, क्या सरकारी डेस्क अफसर सुप्रीम कोर्ट से बढ़कर है जिसने हमारे आदेश पर रोक लगा दी। इससे पहले कोर्ट ने 23 जनवरी तक बकाया जमा करने का आदेश जारी किया था।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2019 में सरकार द्वारा टेलिकॉम कंपनियों से उन्हें मिलने वाले ऐवरेज ग्रॉस रेवेन्यू(AGR) पर मांगे गए शुल्क को जायज ठहराया था। वोडाफोन आइडिया लि. (वीआईएल) पर 53,038 करेाड़ रुपये का बकाया है। इसमें 24,729 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम बकाया और 28,309 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क शामिल हैं। वहीं, एयरटेल पर 35586 करोड़ रुपये का।
क्या होता है एजीआर?
एजीआर का मतलब अजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू। टेलिकॉम कंपनियों को रेवेन्यू का कुछ हिस्सा सरकार को स्पेक्ट्रम फीस जिसे स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज (SUC) और लाइसेंस फीस के रूप में जमा करना होता है। टेलिकॉम कंपनियों का डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन्स (DoT) से लाइसेंस अग्रीमेंट होता है। अग्रीमेंट में ही एजीआर से जुड़े कंडीशन्स होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बकाया भुगतान की देरी पर सरकार और कंपनियों को फटकार लगाई है। एजीआर मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या सरकारी अफसर सुप्रीम कोर्ट से ऊपर हैं। टेलिकॉम कंपनियों के MDs को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी कर 17 मार्च को कोर्ट में तलब किया गया है। MDs को कोर्ट में पेश होकर यह बताने को कहा गया है कि उनकी कंपनियों ने अब तक एजीआर बकाया की रकम क्यों नहीं जमा कराई है। एयरटेल, वोडा आइडिया और टाटा टेलिसर्विसेज आदि पर 1.47 लाख करोड़ रुपये का बकाया है।
पढ़ेंः 'सुप्रीम' फटकार के बाद, वोडा के शेयर बेहाल
जस्टिस अरुण मिश्रा ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, 'देश में क्या हो रहा है, यह बिल्कुल बकवास है, हमें जो कहना था हम कह चुके हैं।' जस्टिस मिश्रा ने कहा कि ये याचिकाएं दाखिल नहीं करनी चाहिए थीं, ये सब बकवास है, क्या सरकारी डेस्क अफसर सुप्रीम कोर्ट से बढ़कर है जिसने हमारे आदेश पर रोक लगा दी। इससे पहले कोर्ट ने 23 जनवरी तक बकाया जमा करने का आदेश जारी किया था।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2019 में सरकार द्वारा टेलिकॉम कंपनियों से उन्हें मिलने वाले ऐवरेज ग्रॉस रेवेन्यू(AGR) पर मांगे गए शुल्क को जायज ठहराया था। वोडाफोन आइडिया लि. (वीआईएल) पर 53,038 करेाड़ रुपये का बकाया है। इसमें 24,729 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम बकाया और 28,309 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क शामिल हैं। वहीं, एयरटेल पर 35586 करोड़ रुपये का।
क्या होता है एजीआर?
एजीआर का मतलब अजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू। टेलिकॉम कंपनियों को रेवेन्यू का कुछ हिस्सा सरकार को स्पेक्ट्रम फीस जिसे स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज (SUC) और लाइसेंस फीस के रूप में जमा करना होता है। टेलिकॉम कंपनियों का डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन्स (DoT) से लाइसेंस अग्रीमेंट होता है। अग्रीमेंट में ही एजीआर से जुड़े कंडीशन्स होते हैं।