नई दिल्ली
कोरोना के दूसरी लहर (2nd Wave of Corona) के विकराल रूप धारण करने से होटल, खानपान एवं होस्पिटेलिटी इंडस्ट्री (Hotel, Restaurant and Hospitality Industry) संकट में है। पिछले साल जब देश भर में लॉकडाउन (Lockdown) लगा था, तब इस उद्योग को 1.30 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इस साल फिर स्थिति बिगड़ गई है। अब इस इंडस्ट्री ने केंद्र सरकार (Central Government) से शीघ्र हस्तक्षेप की मांग की है। ऐसा नहीं होने पर लाखों लोगों की नौकरी (Job of Millions) पर खतरा उत्पन्न हो जाएगा। प्रधानमंत्री को भेजा पत्र
देश में होटल और रेस्टोरेंट उद्योग के शीर्ष संगठन फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FHRAI) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को एक पत्र लिखा है। इसमें हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री (Hospitality Industry) की बिगड़ती स्थिति से बचाने के लिए तत्काल वित्तीय उपाय करने का अनुरोध किया गया है।
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लोन मोरेटोरियम का मिले लाभ
एफएचआरएआई के उपाध्यक्ष गुरबख्शीश सिंह कोहली के मुताबिक यह उद्योग बीते साल मार्च से ही संघर्ष कर रहा है। अभी आर्थिक स्थिति और गंभीर हो गई है। इस समय लिए गए लोन पर ब्याज और मूल धन का भुगतान न सिर्फ कठिन है बल्कि असंभव है। इसलिए इस सेक्टर को लोन मोरेटोरियम की जरूरत है। यदि सरकार ने यह सुविधा नहीं दी तो यह सेक्टर पूरी तरह से चरमरा जाएगा।
60 हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण
एफएचआरएआई ने कहा है कि देश भर में होटल और रेस्टोरेंट बंद हो रहे हैं। इसी के साथ इस सेक्टर का एनपीए भी बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारतीय होटल उद्योग का कुल राजस्व 1.82 लाख करोड़ रुपये रहा था। संगठन के अनुमानों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 में उद्योग के राजस्व का लगभग 75 फीसदी हिस्सा प्रभावित हुआ। मतलब कि इस क्षेत्र का 1.30 लाख करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्रभावित हुआ है। इस समय हॉस्पिटैलिटी उद्योग पर बकाया कुल ऋण 60,000 करोड़ रुपये से अधिक है।
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30 फीसदी होटल सदा के लिए हो गए बंद
एफएचआरएआई के सचिव प्रदीप शेट्टी ने कहा कि घाटे के कारण, देश में 30 फीसदी होटल और रेस्टोरेंट स्थायी रूप से बंद हो गए हैं। पिछले साल के लॉकडाउन के बाद लगभग 20 फीसदी रोस्टोरेंट भी पहले की तरह नहीं खुल पाए हैं। उनमें से 50 फीसदी घाटे में चल रहे हैं। उनका डेली सेल प्री कोविड पीरियड के स्तर के 30 फीसदी तक भी नहीं पहुंचा है। इससे सभी होटलों और रेस्टोरेंट के पास इस समय पूंजी की कमी हो गई है। इस क्षेत्र में करीब नौ करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। यदि सरकार ने समय पर ध्यान नहीं दिया तो लाखों लोगों की नौकरी दांव पर लग जाएगी।
कोरोना के दूसरी लहर (2nd Wave of Corona) के विकराल रूप धारण करने से होटल, खानपान एवं होस्पिटेलिटी इंडस्ट्री (Hotel, Restaurant and Hospitality Industry) संकट में है। पिछले साल जब देश भर में लॉकडाउन (Lockdown) लगा था, तब इस उद्योग को 1.30 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इस साल फिर स्थिति बिगड़ गई है। अब इस इंडस्ट्री ने केंद्र सरकार (Central Government) से शीघ्र हस्तक्षेप की मांग की है। ऐसा नहीं होने पर लाखों लोगों की नौकरी (Job of Millions) पर खतरा उत्पन्न हो जाएगा।
देश में होटल और रेस्टोरेंट उद्योग के शीर्ष संगठन फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FHRAI) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को एक पत्र लिखा है। इसमें हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री (Hospitality Industry) की बिगड़ती स्थिति से बचाने के लिए तत्काल वित्तीय उपाय करने का अनुरोध किया गया है।
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लोन मोरेटोरियम का मिले लाभ
एफएचआरएआई के उपाध्यक्ष गुरबख्शीश सिंह कोहली के मुताबिक यह उद्योग बीते साल मार्च से ही संघर्ष कर रहा है। अभी आर्थिक स्थिति और गंभीर हो गई है। इस समय लिए गए लोन पर ब्याज और मूल धन का भुगतान न सिर्फ कठिन है बल्कि असंभव है। इसलिए इस सेक्टर को लोन मोरेटोरियम की जरूरत है। यदि सरकार ने यह सुविधा नहीं दी तो यह सेक्टर पूरी तरह से चरमरा जाएगा।
60 हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण
एफएचआरएआई ने कहा है कि देश भर में होटल और रेस्टोरेंट बंद हो रहे हैं। इसी के साथ इस सेक्टर का एनपीए भी बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारतीय होटल उद्योग का कुल राजस्व 1.82 लाख करोड़ रुपये रहा था। संगठन के अनुमानों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 में उद्योग के राजस्व का लगभग 75 फीसदी हिस्सा प्रभावित हुआ। मतलब कि इस क्षेत्र का 1.30 लाख करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्रभावित हुआ है। इस समय हॉस्पिटैलिटी उद्योग पर बकाया कुल ऋण 60,000 करोड़ रुपये से अधिक है।
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30 फीसदी होटल सदा के लिए हो गए बंद
एफएचआरएआई के सचिव प्रदीप शेट्टी ने कहा कि घाटे के कारण, देश में 30 फीसदी होटल और रेस्टोरेंट स्थायी रूप से बंद हो गए हैं। पिछले साल के लॉकडाउन के बाद लगभग 20 फीसदी रोस्टोरेंट भी पहले की तरह नहीं खुल पाए हैं। उनमें से 50 फीसदी घाटे में चल रहे हैं। उनका डेली सेल प्री कोविड पीरियड के स्तर के 30 फीसदी तक भी नहीं पहुंचा है। इससे सभी होटलों और रेस्टोरेंट के पास इस समय पूंजी की कमी हो गई है। इस क्षेत्र में करीब नौ करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। यदि सरकार ने समय पर ध्यान नहीं दिया तो लाखों लोगों की नौकरी दांव पर लग जाएगी।