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आर्सेलरमित्तल, न्यूमेटल की पात्रता पर फैसला उच्चतम न्यायालय को करना है: सीओसी

नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) कर्ज बोझ तले दबी एस्सार स्टील के अधिग्रहण के लिये बोली लगाने वाली प्रमुख इस्पात कंपनी आर्सेलर मित्तल और रूस के वीटीबी बैंक द्वारा प्रवर्तित न्यूमेटल में से कौन बोली लगाने को पात्र है और इनके पीछे कौन लोग हैं इससे अब उच्चतम न्यायालय को ही परदा उठाना है। रिणदाताओं की समिति ने मंगलवार को यह कहा। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन तथा न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ के समक्ष सीओसी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यन ने कहा कि कॉरपोरेट आवरण हटाने की अवधारणा की व्यापक व्याख्या की जानी चाहिये। यह सुनिश्चित

भाषा 25 Sep 2018, 8:25 pm
नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) कर्ज बोझ तले दबी एस्सार स्टील के अधिग्रहण के लिये बोली लगाने वाली प्रमुख इस्पात कंपनी आर्सेलर मित्तल और रूस के वीटीबी बैंक द्वारा प्रवर्तित न्यूमेटल में से कौन बोली लगाने को पात्र है और इनके पीछे कौन लोग हैं इससे अब उच्चतम न्यायालय को ही परदा उठाना है। रिणदाताओं की समिति ने मंगलवार को यह कहा। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन तथा न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ के समक्ष सीओसी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यन ने कहा कि कॉरपोरेट आवरण हटाने की अवधारणा की व्यापक व्याख्या की जानी चाहिये। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि कर्ज बोझ से दबी कंपनियों से ‘जुड़े व्यक्ति’ या ‘‘उसके सामंजस्य में काम करने वाले व्यक्ति’’ वह कंपनी के लिए बोली नहीं लगा सकें। सुब्रमण्यन ने आर्सेलरमित्तल और न्यूमेटल के संदर्भ में सीओसी की स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि आपको कर्ज चुकाना होगा और गैर निष्पादित आस्तियों पर काम करना होगा, अन्यथा दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता का कोई उद्देश्य हासिल नहीं हो पायेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या आर्सेलरमित्तल की केएसएस पेट्रॉन में नियंत्रण हिस्सेदारी है, सीओसी के अधिवक्ता ने कहा कि उसके पास 32 प्रतिशत हिस्सेदारी है और 25 प्रतिशत से अधिक की किसी भी हिस्सेदारी को विचारणीय माना जाएगा। ऐसे में कानून के तहत ऐसा शेयरधारक फैसले को प्रभावित कर सकता है। ऐसा कहा जा रहा है कि आर्सेलर मित्तल की केएसएस पेट्रोंन और उत्तर गाल्वा में क्रमश 32 और 29 प्रतिशत हिस्सेदारी थी और कंपनी ने एस्सार स्टील के लिये समाधान योजना सौंपने से पहले इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी। न्यूमेटल के मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि एस्सार स्टील के लिये बोली लगाने से एक सप्ताह पहले मारीशस में इस कंपनी का गठन किया गया। अधिवक्ता ने 21 फरवरी के संदेश के बारे में कहा कि इसमें कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति को लेकर जिसकी कंपनी में शेयरधारिता है, आपत्ति है तो कंपनी को इन्हें हस्तांतरित करने की अनुमति दी जानी चाहिये ताकि वह बोली लगाने के लिये पात्र बनी रहे। सुब्रमण्यन ने कहा, इसे आईबीसी कानून की धारा 29ए के संदर्भ में देखा जाना चाहिये। यह धारा अयोग्यता मानदंडों के बारे में है। उन्होंने कहा कि कानून बिल्कुल स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति जिसका कर्ज चुकाने में असफल रही कंपनी से किसी भी तरह का जुड़ाव है। या किसी भी दूसरी एनपीए रही कंपनी से कनेक्शन है वह बोली नहीं लगा सकता है।

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