[ संगीता मेहता | मुंबई ]
बैंक लोन रिकवरी के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। अगले हफ्ते ज्वाइंट लेंडर्स फोरम (जेएलएफ) की कम से कम 6 मीटिंग्स बुलाई गई हैं, जिसमें एस्सार स्टील, भूषण स्टील, आलोक इंडस्ट्रीज, मोनेट इस्पात, ज्योति स्ट्रक्चर्स और इलेक्ट्रोस्टील जैसी कंपनियों को दिए गए 2 लाख करोड़ के लोन के मामले निपटाने पर चर्चा होगी। यह जानकारी मामले से वाकिफ कम से कम तीन सूत्रों ने दी है।
इसमें एसबीआई लीड रोल में है। इससे पहले रिजर्व बैंक ने 12 बड़े डिफॉल्टर्स के मामले में बैंकरप्सी कानून के तहत एक्शन लेने का बैंकों को निर्देश दिया था, जिनका कुल बैड लोन में 25 पर्सेंट योगदान है। एसबीआई के एक बैंकर ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'बैंकों में बैड लोन के मामलों को सुलझाने पर आम सहमति है।' कई साल के बाद बैड लोन की रिकवरी ने रफ्तार पकड़ी है। हाल ही में सरकार ने आरबीआई की ताकत बढ़ाई थी, जिससे वह बैंकों को बैंकरप्सी कोड के तहत बड़े डिफॉल्टर्स के मामले निपटाने का निर्देश दे सके। इस कानून में मामले को निपटाने की समयसीमा तय की गई है। अब तक बैंक लॉस की वजह से इससे कतरा रहे थे, लेकिन इस हफ्ते आरबीआई के आदेश के बाद वे इस मामले में पहल करने को मजबूर हो गए हैं। एक अन्य बैंकर ने कहा, 'एसबीआई ने 6 लोन एकाउंट्स के लिए जेएलएफ की मीटिंग बुलाई है और सभी मेंबर्स से इसके लिए डेट कंफर्म करने को कहा है।' ये 6 एकाउंट्स एस्सार स्टील, भूषण स्टील, इलेक्ट्रोस्टील, आलोक इंडस्ट्रीज, मोनेट इस्पात और ज्योति स्ट्रक्चर्स के हो सकते हैं। बैंकरप्सी कोड के तहत किन कंपनियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा, इसकी जानकारी ना तो आरबीआई और ना ही बैंकों ने दी है। इस कानून के तहत एक बार जब केस नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) में स्वीकार कर लिया जाएगा, तो बैंकों को समाधान के लिए 180-270 दिनों का समय मिलेगा। इस दौरान अगर वे इसका समाधान नहीं निकाल पाते हैं तो कंपनी की संपत्ति बेचकर लोन रिकवरी की कोशिश की जाएगी। मार्च 2017 तक बैंकों का ग्रॉस बैड लोन 7 लाख करोड़ रुपये के करीब था। अगर इसमें रिस्ट्रक्चर्ड लोन को मिला दिया जाए, जिन्हें स्ट्रेस्ड एसेट्स कैटेगरी में रखा गया है तो कुल रकम 12 लाख करोड़ रुपये हो सकती है। यह अनुमान प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले एनालिस्टों ने लगाया है। जेएलएफ मीटिंग के पहले राउंड में बैंक लोन मामलों को निपटाने की रणनीति बनाएंगे। दूसरे राउंड में वे कंपनियों से मिलेंगे, जिसमें उन्हें उस रणनीति से सहमत होने के लिए कहा जाएगा।