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Budget 2021-22: आम आदमी के लिए बजट में क्या हो सकता है खास!

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश करेंगी। उनका कहना है कि यह बजट ऐसा होगा जैसा देश ने पिछले 100 सालों में नहीं देखा होगा। जाहिर है कि कोरोना महामारी और इसके कारण आई आर्थिक सुस्ती से जूझ रहे आम आदमी को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं।

नवभारतटाइम्स.कॉम 23 Jan 2021, 5:20 pm
हालांकि वित्त मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी से बदहाल इकॉनमी को सहारा देने के लिए कई उपायों की घोषणा की है लेकिन इसके बाद भी सरकार आम आदमी को राहत देने के लिए बजट में कई कदम उठा सकती है। इनमें टैक्स और कोविड सेस शामिल है। इससे मिडल और लो इनकम ग्रुप को सहारा मिल सकता है और उनके खर्च करने की ताकत बढ़ सकती है। आइए जानते हैं कि वित्त मंत्री आम आदमी को सहारा देने के लिए 1 फरवरी को किन उपायों की घोषणा कर सकती हैं..
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Budget 2021-22: आम आदमी के लिए बजट में क्या हो सकता है खास!



पर्सनल टैक्स

आम आदमी के हाथ में इनकम बढ़ाने के लिए टैक्स एक्सपर्ट्स ने टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि इसे 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच किया जाना चाहिए। होस्टबुक्स लिमिटेड के फाउंडर एवं चेयरमैन कपिल राणा ने कहा कि इस सीमा को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जाना चाहिए। साथ ही मौजूदा टैक्स स्लैब्स में भी बदलाव किया जाना चाहिए। 10 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स 10 फीसदी होना चाहिए। 20 लाख रुपये तक इसे 20 फीसदी और उससे ऊपर की आय पर 30 फीसदी होना चाहिए।

खर्च और निवेश बढ़ाने के लिए उपाय

रेवेन्यू बढ़ाने के लिए सरकार प्रॉपर्टी या इक्विटीज की बिक्री पर कैपिटल टैक्स गेन बढ़ा सकती है। हालांकि इनमें कुछ ढील से निवेश और बचत को प्रोत्साहन मिल सकता है। राणा ने कहा कि सभी लॉन्स टर्म कैपिटल एसेट्स का होल्डिंग पीरियड 36 महीने से घटाकर 24 या 12 महीने किया जाना चाहिए। पूंजीगत लाभ की छूट की अनुमति उन मामलों में भी दी जानी चाहिए जहां एसेट्स उस स्थिति में खरीदी जाती है जहां क्लबिंग प्रावधान लागू होते हैं।

कोविड सेस

कोरोना संक्रमण से बचने के लिए 130 करोड़ लोगों पर वैक्सीन लगाने का खर्च 50,000 से 60,000 करोड़ रुपये तक आ सकता है। वित्त मंत्री को अतिरिक्त संसाधनों से यह राशि जुटाने के लिए उपाय करने होंगे। इस वित्त वर्ष के दौरान देश का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 7 फीसदी से अधिक रहने का अनुमान है। पिछले साल के बजट में इसके 3.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था। इसलिए संभव है कि सेस के रूप में टैक्सपेयर्स को ही इसका खर्च उठाना पड़ सकता है।

इम्पोर्ट ड्यूटीज

इम्पोर्ट ड्यूटीज के मुद्दे अर्थशास्त्रियों की राय बंटी हुई है। सरकार सस्ते आयात से लोकल इंडस्ट्री को बचाने के लिए आयात शुल्क लगाती है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इस बजट में कम से 50 आइटम्स पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाने पर विचार कर सकती है। इनमें स्मार्टफोन, इलेक्टॉनिक्स कंपोनेंट्स और अप्लायंसेज शामिल हैं। हालांकि ऐसे साल में जब लोगों का रोजगार और इनकम प्रभावित हुई है, इससे उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

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