नई दिल्ली
कुछ दिनों पहले नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट संसद में रखी गई थी, जिसके मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो 10 सालों में सबसे खराब रहा था। यह 98.44 रुपये पर पहुंच गया था। यानी 1-2 रुपये की कमाई करने के लिए रेलवे को 98.44 रुपये का खर्च करना पड़ा। CAG ने खुलासा किया कि प्ो विलेज पास के तौर पर रेलकर्मियों को दी जाने वाली रियायत से ही रेलवे को घाटा हो रहा है। रेलवे का घाटा कम करने के लिए CAG ने कई सुझाव दिए। आइए देखें ये सुझाव क्या हैं। CAG के सुझाव
1- तीन साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए टिकट अनिवार्य किया जाए
2- सांसदों और पूर्व सांसदों को मिलने वाली रियायत का 75 प्रतिशत खर्च संसदीय कार्य विभाग उठाए
3- प्रिविलेज पास पर टिकट की बुकिंग को पूरी तरह से फ्री करने के बजाय 50 प्रतिशत रियायत हो
पढ़ेंः क्यों हर 100 रुपये पर रेलवे ने कमाए 2 रुपये से भी कम?
6 यात्राओं पर 100% छूट
बता दें कि भारतीय रेल के रिजर्व टिकट किराए में दी जाने वाली सभी तरह की रियायतें कुल यात्री टिकट आय का सिर्फ 11.45% हैं। इन रियायतों का सबसे बड़ा हिस्सा (52.5%) तो रेलवे खुद अपने कर्मचारियों को प्रिविलेज पास देकर लुटा देता है। प्रिविलेज पास पर रेलकर्मियों और उनके परिजन को साल में एक से 6 यात्राओं तक शत प्रतिशत रियायत मिलती है। इससे ज्यादा बार यह सुविधा लेने पर किराए में 66.67 प्रतिशत रियायत मिलती है। वर्ष 2015-18 तक प्रिविलेज पास के कारण रेलवे को 2759.25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
53 तरह की रियायतें
एसी क्लास में प्रिविलेज पास का इस्तेमाल हर साल 5.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। भारतीय रेलवे 53 तरह की रियायतें देती हैं। औसतन एसी क्लास में प्रति यात्री 667 रुपये और नॉन-एसी क्लास में 157 रुपये की रियायत दी जाती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रीमियम ट्रेनों में सामान्य यात्रियों को कोई रियायत नहीं है, लेकिन रेलवे ने अपने कर्मचारियों को रियायत दे रखी है। प्रिविलेज पास का उपयोग रेलकर्मियों के अलावा अन्य लोग भी करते हैं, लेकिन इस सुविधा का लाथ उठानेवाले 62 प्रतिशत लोग रेलवे के कर्मचारी ही होते हैं। इनमें से 31 प्रतिशत रेलकर्मी एसी क्लास में बुकिंग कराते हैं।
कुछ दिनों पहले नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट संसद में रखी गई थी, जिसके मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो 10 सालों में सबसे खराब रहा था। यह 98.44 रुपये पर पहुंच गया था। यानी 1-2 रुपये की कमाई करने के लिए रेलवे को 98.44 रुपये का खर्च करना पड़ा। CAG ने खुलासा किया कि प्ो विलेज पास के तौर पर रेलकर्मियों को दी जाने वाली रियायत से ही रेलवे को घाटा हो रहा है। रेलवे का घाटा कम करने के लिए CAG ने कई सुझाव दिए। आइए देखें ये सुझाव क्या हैं।
1- तीन साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए टिकट अनिवार्य किया जाए
2- सांसदों और पूर्व सांसदों को मिलने वाली रियायत का 75 प्रतिशत खर्च संसदीय कार्य विभाग उठाए
3- प्रिविलेज पास पर टिकट की बुकिंग को पूरी तरह से फ्री करने के बजाय 50 प्रतिशत रियायत हो
पढ़ेंः क्यों हर 100 रुपये पर रेलवे ने कमाए 2 रुपये से भी कम?
6 यात्राओं पर 100% छूट
बता दें कि भारतीय रेल के रिजर्व टिकट किराए में दी जाने वाली सभी तरह की रियायतें कुल यात्री टिकट आय का सिर्फ 11.45% हैं। इन रियायतों का सबसे बड़ा हिस्सा (52.5%) तो रेलवे खुद अपने कर्मचारियों को प्रिविलेज पास देकर लुटा देता है। प्रिविलेज पास पर रेलकर्मियों और उनके परिजन को साल में एक से 6 यात्राओं तक शत प्रतिशत रियायत मिलती है। इससे ज्यादा बार यह सुविधा लेने पर किराए में 66.67 प्रतिशत रियायत मिलती है। वर्ष 2015-18 तक प्रिविलेज पास के कारण रेलवे को 2759.25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
53 तरह की रियायतें
एसी क्लास में प्रिविलेज पास का इस्तेमाल हर साल 5.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। भारतीय रेलवे 53 तरह की रियायतें देती हैं। औसतन एसी क्लास में प्रति यात्री 667 रुपये और नॉन-एसी क्लास में 157 रुपये की रियायत दी जाती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रीमियम ट्रेनों में सामान्य यात्रियों को कोई रियायत नहीं है, लेकिन रेलवे ने अपने कर्मचारियों को रियायत दे रखी है। प्रिविलेज पास का उपयोग रेलकर्मियों के अलावा अन्य लोग भी करते हैं, लेकिन इस सुविधा का लाथ उठानेवाले 62 प्रतिशत लोग रेलवे के कर्मचारी ही होते हैं। इनमें से 31 प्रतिशत रेलकर्मी एसी क्लास में बुकिंग कराते हैं।