हायरिंग फ्रॉड के तहत कुछ कैंडिडेट नौकरी पाने के लिए वीडियो मॉर्फिंग और ऑडियो प्रॉक्सी टूल का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। आईटी फर्म में जांच दल का हिस्सा रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "अब एक रिक्रूटर के लिए कैंडिडेट के साथ वीडियो इंटरव्यू के दौरान एक स्क्रीनशॉट लेना अनिवार्य है। हमने इंटरव्यू रिकॉर्ड करना भी शुरू कर दिया है।"
ज्यादातर आईटी जैसे उद्योगों में हो रहा ऐसा
ईवाई में फॉरेंसिंग एंड इंटीग्रिटी सर्विसेज के ग्लोबल मार्केट्स व इंडिया लीडर अरपिंदर सिंह का कहना है, "यह ज्यादातर आईटी जैसे उद्योगों में हो रहा है, जहां लोगों को बल्क में काम पर रखा जा रहा है।" उन्होंने कहा, "कोविड की वजह से नौकरी छोड़ने और वर्तमान रिमोट वर्क कल्चर के कारण यह समस्या काफी बढ़ गई है।" टेक और रिटेल सेक्टर में भर्तियों में तेजी देखी जा रही है और इन-पर्सन इंटरव्यू के लिए लगभग कोई समय नहीं होने के कारण रिक्तियों को भरने का समय कम है। सिंह ने कहा, "बहुत अराजकता है। कम योग्यता वाले लोगों को नौकरी मिल रही है, जो उन्हें नहीं मिलनी चाहिए।"
आइडेंटिटी वेरिफिकेशन ऐप की ली जा सकती है मदद
आइडेंटिटी वेरिफिकेशन कंपनी IDfy एक ऐसा ऐप पेश कर रही है, जो इंटरव्यू के समय कैंडिडेट के चेहरे को उनकी आईडी से मैच करेगा और फिर जॉइनिंग के समय फिर से मिलान करेगा। IDfy के सीईओ अशोक हरिहरन ने कहा, 'बड़े उद्यमों में बल्क में काम पर रखने वाले, लगभग हर एक एचआर मैनेजर चिंतित हैं। बड़े संगठनों में ऐसे फ्रॉड होने की संभावना और भी अधिक है।'
कोविड से पहले भी होते थे रेज्यूमे फ्रॉड और बैकग्राउंड वेरिफिकेशन घोटाले
कोविड से पहले भी रेज्यूमे फ्रॉड और बैकग्राउंड वेरिफिकेशन घोटाले होते थे, कोविड के आने के बाद इनका दायरा और बढ़ गया क्योंकि परिवार महामारी के दौरान फाइनेंस की कमी से जूझ रहे थे और घर से काम करना नया नॉर्म बन गया। लगभग दो वर्षों के बाद कॉरपोरेट्स द्वारा फिर से भर्ती शुरू करने के साथ, बॉट्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने का चलन बढ़ रहा है। विडंबना यह है कि धोखाधड़ी का पता लगाने वाली कंपनियों को भी खुद के यहां भर्ती करते समय इस चुनौती का सामना करना पड़ता है।