नीरज चौहान, नई दिल्ली
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने रविवार को दावा किया कि चंदा कोचर से जुड़े आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी मामले की जांच करने वाले और 22 जनवरी को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने वाले पुलिस अधीक्षक सुधांशु धर मिश्रा और अन्य लोगों के खिलाफ इस मामले में छापेमारी से जुड़ी जानकारी संदिग्ध तौर पर लीक करने की जांच चल रही है। सीबीआई के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
छापेमारी से जुड़ी जानकारी संदिग्ध तौर पर लीक करने के मामले की 'खुफिया जांच' के बाद पुलिस अधीक्षक सुधांशु धर मिश्रा को बैंक सिक्यॉरिटीज ऐंड फ्रॉड सेल (BS&FC) दिल्ली यूनिट से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। वह दिसंबर 2017 से लेकर अब तक चंदा कोचर मामले की जांच कर रहे थे। 22 जनवरी को चंदा कोचर मामले की एफआईआर दर्ज करने के एक दिन बाद उनका तबादला सामने आया है।
यह भी पढ़ेंः ICICI केस: चंदा-दीपक कोचर, वीएन धूत के खिलाफ FIR पर दस्तखत करने वाले CBI ऑफिसर का तबादला
उल्लेखनीय है कि CBI की बैंकिंग ऐंड सिक्यॉरिटीज फ्रॉड सेल के SP सुधांशु धर मिश्रा को रांची ट्रांसफर कर दिया गया है। उन्हें झारखंड की राजधानी स्थित CBI की आर्थिक अपराध शाखा में भेजा गया है। सीबीआई को संदेह है कि आईसीआईसीआई बैंक से संबंधित छापों के मामले में जानकारी लीक की गई है। इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने वाले अधिकारी की भूमिका जांच के दायरे में है। सीबीआई का कहना है कि विवेचनात्मक जांच के बाद अधिकारी को स्थानांतरित किया गया।
दिलचस्प बात यह है कि 22 जनवरी को जिस दिन चंदा कोचर के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया, उसी दिन BS&FC के संयुक्त निदेशक प्रवीण सिन्हा को हटाकर उनकी जगह वी. मुरुगेशन को नया संयुक्त निदेशक बनाया गया। नागेश्वर राव के दोबारा सीबीआई के अंतरिम निदेशक बनने के एक दिन बाद यानी 11 जनवरी को सिन्हा ने खुद को इस यूनिट का सुपरवाइजरी ऑफिसर बनाया था। सीबीआई ने नए एसपी मोहित गुप्ता के सुपरविजन में 24 जनवरी को छापेमारी की थी, जिन्होंने मिश्रा और मुरुगेशन की जगह ली थी।
सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया, 'आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी सीबीआई के पास बेहद अहम मामलों में से एक है। एक समीक्षा की गई थी, जिस दौरान हमने पाया कि इस मामले की जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है और इसे अनावश्यक रूप से लंबित रखा गया है।'
उन्होंने कहा, 'साथ ही, 22 जनवरी को एफआईआर दर्ज होने के बाद इस बात का शक था कि सुनियोजित रूप से छापेमारी से जुड़ी सूचनाएं लीक की गई थीं। इस मामले में अलग से एक जांच की गई और एसपी सुधांशु धर की भूमिका शक के दायरे में आ गई, जिसके कारण उनका तबादला रांची किया गया।'
मिश्रा सीबीआई के अधिकारी नहीं, बल्कि भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी हैं। आईसीआईसीआई मामले की जांच में सुस्ती बरतने और छापेमारी से संबंधित जानकारी लीक करने को लेकर मिश्रा और अन्य के खिलाफ सीबीआई जांच कर रही है।
चंदा कोचर जैसे हाईफाई मामलों में एफआईआर दर्ज करने का फैसला कई स्तरों पर लिया जाता है, जिनमें एसपी, डीआईजी, संयुक्त निदेशक, अतिरिक्त निदेशक तथा निदेशक शामिल होते हैं। सीबीआई ने हालांकि इस बात का जवाब नहीं दिया कि जब मिश्रा ने लगभग 13 महीनों तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं कि फिर बड़े अधिकारी क्यों चुप रहे।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने रविवार को दावा किया कि चंदा कोचर से जुड़े आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी मामले की जांच करने वाले और 22 जनवरी को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने वाले पुलिस अधीक्षक सुधांशु धर मिश्रा और अन्य लोगों के खिलाफ इस मामले में छापेमारी से जुड़ी जानकारी संदिग्ध तौर पर लीक करने की जांच चल रही है। सीबीआई के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
छापेमारी से जुड़ी जानकारी संदिग्ध तौर पर लीक करने के मामले की 'खुफिया जांच' के बाद पुलिस अधीक्षक सुधांशु धर मिश्रा को बैंक सिक्यॉरिटीज ऐंड फ्रॉड सेल (BS&FC) दिल्ली यूनिट से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। वह दिसंबर 2017 से लेकर अब तक चंदा कोचर मामले की जांच कर रहे थे। 22 जनवरी को चंदा कोचर मामले की एफआईआर दर्ज करने के एक दिन बाद उनका तबादला सामने आया है।
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उल्लेखनीय है कि CBI की बैंकिंग ऐंड सिक्यॉरिटीज फ्रॉड सेल के SP सुधांशु धर मिश्रा को रांची ट्रांसफर कर दिया गया है। उन्हें झारखंड की राजधानी स्थित CBI की आर्थिक अपराध शाखा में भेजा गया है। सीबीआई को संदेह है कि आईसीआईसीआई बैंक से संबंधित छापों के मामले में जानकारी लीक की गई है। इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने वाले अधिकारी की भूमिका जांच के दायरे में है। सीबीआई का कहना है कि विवेचनात्मक जांच के बाद अधिकारी को स्थानांतरित किया गया।
दिलचस्प बात यह है कि 22 जनवरी को जिस दिन चंदा कोचर के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया, उसी दिन BS&FC के संयुक्त निदेशक प्रवीण सिन्हा को हटाकर उनकी जगह वी. मुरुगेशन को नया संयुक्त निदेशक बनाया गया। नागेश्वर राव के दोबारा सीबीआई के अंतरिम निदेशक बनने के एक दिन बाद यानी 11 जनवरी को सिन्हा ने खुद को इस यूनिट का सुपरवाइजरी ऑफिसर बनाया था। सीबीआई ने नए एसपी मोहित गुप्ता के सुपरविजन में 24 जनवरी को छापेमारी की थी, जिन्होंने मिश्रा और मुरुगेशन की जगह ली थी।
सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया, 'आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी सीबीआई के पास बेहद अहम मामलों में से एक है। एक समीक्षा की गई थी, जिस दौरान हमने पाया कि इस मामले की जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है और इसे अनावश्यक रूप से लंबित रखा गया है।'
उन्होंने कहा, 'साथ ही, 22 जनवरी को एफआईआर दर्ज होने के बाद इस बात का शक था कि सुनियोजित रूप से छापेमारी से जुड़ी सूचनाएं लीक की गई थीं। इस मामले में अलग से एक जांच की गई और एसपी सुधांशु धर की भूमिका शक के दायरे में आ गई, जिसके कारण उनका तबादला रांची किया गया।'
मिश्रा सीबीआई के अधिकारी नहीं, बल्कि भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी हैं। आईसीआईसीआई मामले की जांच में सुस्ती बरतने और छापेमारी से संबंधित जानकारी लीक करने को लेकर मिश्रा और अन्य के खिलाफ सीबीआई जांच कर रही है।
चंदा कोचर जैसे हाईफाई मामलों में एफआईआर दर्ज करने का फैसला कई स्तरों पर लिया जाता है, जिनमें एसपी, डीआईजी, संयुक्त निदेशक, अतिरिक्त निदेशक तथा निदेशक शामिल होते हैं। सीबीआई ने हालांकि इस बात का जवाब नहीं दिया कि जब मिश्रा ने लगभग 13 महीनों तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं कि फिर बड़े अधिकारी क्यों चुप रहे।