मुंबई
टाटा संस के चेयरमैन के पद से अचानक अपदस्थ किए गए साइरस मिस्त्री ने समूह के अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा के साथ किसी भी तरह के समझौते की संभावना से इनकार किया है। मिस्त्री ने मंगलवार को कहा कि वह समूह में गवर्नेंस के मुद्दे पर अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 103 अरब डॉलर के इस ग्रुप से वह अपने परिवार की 18.5 पर्सेंट हिस्सेदारी को भी वापस नहीं लेंगे। इसके साथ ही उनके परिवार के नियंत्रण वाली निवेश कंपनी ने टाटा संस के खिलाफ नैशनल कंपनीज लॉ ट्राइब्यूनल का दरवाजा भी खटखटाया है। मिस्त्री की कंपनी ओर से कंपनी कानून की धारा 241 के तहत टाटा संस के खिलाफ उत्पीड़न और कुप्रबंधन का मामला दायर किया गया है। न्यायाधिकरण इस अपील पर 22 दिसंबर को सुनवाई करेगा। मिस्त्री के इस फैसले के बाद टाटा संस ने भी नहीं झुकने का इशारा किया और कहा कि वह नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में सायरस मिस्त्री के आरोपों पर जवाब देगा। टाटा संस ने कहा कि सायरस मिस्त्री की याचिका से रतन टाटा के प्रति उनकी गहरी कटुता का पता चलता है।
मिस्त्री के कदम को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
साइरस मिस्त्री के ट्राइब्यूनल पहुंचने पर टाटा संस ने बयान जारी कर कहा कि हमें कंपनीज ऐक्ट की धारा 241 और 242 के तहत नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल का नोटिस मिला है। हम समझते हैं कि इस याचिका को साइरस मिस्त्री की इनवेस्टमेंट कंपनियों की ओर से दायर किया गया है। समूह ने कहा, 'हमने कॉर्पोरेट गवर्नेंस के उच्च मानकों का पालन किया है। मिस्त्री की ओर से यह याचिका दुर्भाग्यपूर्ण है। यह टाटा समूह और जमशेदजी टाटा के मूल्यों के प्रति उनकी गैरजवाबदेही को दर्शाता है।'
पढ़ें: टाटा की सभी कंपनियों से मिस्त्री का इस्तीफा
मिस्त्री ने लगाए ये आरोप
मिस्त्री ने कहा, 'मेरा जोर बेहतर गवर्नेंस को लेकर है। मैंने इसके लिए लड़ाई लड़ी है। हम यहां बीते 50 सालों से हैं, यह कोई 1 या 2 दिन की बात नहीं है।' इससे पहले सोमवार को मिस्त्री ने टाटा समूह की छह लिस्टेड कंपनियों के बोर्ड से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि वह इस लड़ाई को बड़े स्तर पर ले जाएंगे। उन्होंने टाटा समूह को अदालत में घसीटने की चुनौती दी थी। मिस्त्री ने कहा, 'यह बिजनस ग्रुप का झगड़ा नहीं है। यह ऐसी कोई चीज नहीं है, यदि ऐसा होता तो मैं अपनी पोजिशन नहीं छोड़ता। इसीलिए मैंने अपनी पोजिशन से खुद को हटा लिया है, क्योंकि मैं पावर और पद के लिए नहीं लड़ रहा हूं।'
हार के सवाल पर यह बोले मिस्त्री
यह पूछे जाने पर कि यदि कोर्ट में वह अपनी जंग हार जाते हैं तो क्या उनकी फैमिली इस बड़े समूह से अपनी हिस्सेदारी वापस ले लेगी, उन्होंने इस पर कहा कि इसका सवाल ही नहीं है। मिस्त्री परिवार की टाटा समूह में 18.4 पर्सेंट की हिस्सेदारी है, जो बीते 5 दशकों में किसी नॉन प्रमोटर ग्रुप इनवेस्टर में से सबसे अधिक है। मिस्त्री ने सोमवार को समूह की सभी 6 मुख्य कंपनियों से इस्तीफा देकर आश्चर्य में डाल दिया था, जबकि 24 दिसंबर को ही कुछ कंपनियों की ईजीएम होने वाली है, जिनमें उन्हें डायरेक्टरशिप से हटाने के लिए टाटा संस के प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है।
मिस्त्री ने कहा कि यह गवर्नेंस और सुधार से जुड़ा मामला है। यदि गवर्नेंस से जुड़े सुधार होते हैं तो मुझे फायदा होगा। इससे इनकार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा 48 वर्षीय मिस्त्री ने टाटा संस में ज्यादा बोर्ड पोजिशंस मांगे जाने की बात से भी इनकार कर दिया। वह बोर्ड में अब भी सबसे बड़े प्रतिनिधि रहने वाले हैं और उन्होंने इसे छोड़ने से साफ इनकार किया है। मिस्त्री ने कहा, 'मेरी नजर बोर्ड पोजिशंस पर नहीं है। मेरा ध्यान गुड गवर्नेंस पर है। हमें देखना होगा कि भविष्य में क्या होता है।' टाटा संस के 149 साल के इतिहास में साइरस मिस्त्री ऐसे पहले व्यक्ति थे, जो टाटा फैमिली से बाहर के होने के बाद भी समूह के चेयरमैन बने।
टाटा संस के चेयरमैन के पद से अचानक अपदस्थ किए गए साइरस मिस्त्री ने समूह के अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा के साथ किसी भी तरह के समझौते की संभावना से इनकार किया है। मिस्त्री ने मंगलवार को कहा कि वह समूह में गवर्नेंस के मुद्दे पर अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 103 अरब डॉलर के इस ग्रुप से वह अपने परिवार की 18.5 पर्सेंट हिस्सेदारी को भी वापस नहीं लेंगे। इसके साथ ही उनके परिवार के नियंत्रण वाली निवेश कंपनी ने टाटा संस के खिलाफ नैशनल कंपनीज लॉ ट्राइब्यूनल का दरवाजा भी खटखटाया है। मिस्त्री की कंपनी ओर से कंपनी कानून की धारा 241 के तहत टाटा संस के खिलाफ उत्पीड़न और कुप्रबंधन का मामला दायर किया गया है। न्यायाधिकरण इस अपील पर 22 दिसंबर को सुनवाई करेगा। मिस्त्री के इस फैसले के बाद टाटा संस ने भी नहीं झुकने का इशारा किया और कहा कि वह नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में सायरस मिस्त्री के आरोपों पर जवाब देगा। टाटा संस ने कहा कि सायरस मिस्त्री की याचिका से रतन टाटा के प्रति उनकी गहरी कटुता का पता चलता है।
मिस्त्री के कदम को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
साइरस मिस्त्री के ट्राइब्यूनल पहुंचने पर टाटा संस ने बयान जारी कर कहा कि हमें कंपनीज ऐक्ट की धारा 241 और 242 के तहत नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल का नोटिस मिला है। हम समझते हैं कि इस याचिका को साइरस मिस्त्री की इनवेस्टमेंट कंपनियों की ओर से दायर किया गया है। समूह ने कहा, 'हमने कॉर्पोरेट गवर्नेंस के उच्च मानकों का पालन किया है। मिस्त्री की ओर से यह याचिका दुर्भाग्यपूर्ण है। यह टाटा समूह और जमशेदजी टाटा के मूल्यों के प्रति उनकी गैरजवाबदेही को दर्शाता है।'
पढ़ें: टाटा की सभी कंपनियों से मिस्त्री का इस्तीफा
मिस्त्री ने लगाए ये आरोप
मिस्त्री ने कहा, 'मेरा जोर बेहतर गवर्नेंस को लेकर है। मैंने इसके लिए लड़ाई लड़ी है। हम यहां बीते 50 सालों से हैं, यह कोई 1 या 2 दिन की बात नहीं है।' इससे पहले सोमवार को मिस्त्री ने टाटा समूह की छह लिस्टेड कंपनियों के बोर्ड से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि वह इस लड़ाई को बड़े स्तर पर ले जाएंगे। उन्होंने टाटा समूह को अदालत में घसीटने की चुनौती दी थी। मिस्त्री ने कहा, 'यह बिजनस ग्रुप का झगड़ा नहीं है। यह ऐसी कोई चीज नहीं है, यदि ऐसा होता तो मैं अपनी पोजिशन नहीं छोड़ता। इसीलिए मैंने अपनी पोजिशन से खुद को हटा लिया है, क्योंकि मैं पावर और पद के लिए नहीं लड़ रहा हूं।'
हार के सवाल पर यह बोले मिस्त्री
यह पूछे जाने पर कि यदि कोर्ट में वह अपनी जंग हार जाते हैं तो क्या उनकी फैमिली इस बड़े समूह से अपनी हिस्सेदारी वापस ले लेगी, उन्होंने इस पर कहा कि इसका सवाल ही नहीं है। मिस्त्री परिवार की टाटा समूह में 18.4 पर्सेंट की हिस्सेदारी है, जो बीते 5 दशकों में किसी नॉन प्रमोटर ग्रुप इनवेस्टर में से सबसे अधिक है। मिस्त्री ने सोमवार को समूह की सभी 6 मुख्य कंपनियों से इस्तीफा देकर आश्चर्य में डाल दिया था, जबकि 24 दिसंबर को ही कुछ कंपनियों की ईजीएम होने वाली है, जिनमें उन्हें डायरेक्टरशिप से हटाने के लिए टाटा संस के प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है।
मिस्त्री ने कहा कि यह गवर्नेंस और सुधार से जुड़ा मामला है। यदि गवर्नेंस से जुड़े सुधार होते हैं तो मुझे फायदा होगा। इससे इनकार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा 48 वर्षीय मिस्त्री ने टाटा संस में ज्यादा बोर्ड पोजिशंस मांगे जाने की बात से भी इनकार कर दिया। वह बोर्ड में अब भी सबसे बड़े प्रतिनिधि रहने वाले हैं और उन्होंने इसे छोड़ने से साफ इनकार किया है। मिस्त्री ने कहा, 'मेरी नजर बोर्ड पोजिशंस पर नहीं है। मेरा ध्यान गुड गवर्नेंस पर है। हमें देखना होगा कि भविष्य में क्या होता है।' टाटा संस के 149 साल के इतिहास में साइरस मिस्त्री ऐसे पहले व्यक्ति थे, जो टाटा फैमिली से बाहर के होने के बाद भी समूह के चेयरमैन बने।