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नोटबंदी को आर्थिक समानता की ओर बड़ा कदम मानते हैं नौकरीपेशा लोग

इन लोगों का मानना है कि काला धन समाज में आर्थिक असमानता का एक बड़ा कारण है और उसके खत्म होने से समाज में असमानता में कमी आएगी। लोगों का यह भी मानना है कि नोटबंदी के इस फैसले से भविष्य में महंगाई में कमी, सस्ते घर और कम टैक्स दर के रूप में सहूलियतें मिल सकती है।

इकनॉमिक टाइम्स 19 Nov 2016, 9:24 am
सैकत दास, मुंबई
नवभारतटाइम्स.कॉम demonetisation is a step towards equality says salaried class or comman man
नोटबंदी को आर्थिक समानता की ओर बड़ा कदम मानते हैं नौकरीपेशा लोग

सरकार के 500 और 1,000 रुपये के नोट बंद किए जाने के फैसले से काफी लोग परेशान हैं। यह परेशानी सिर्फ लोगों को ही नहीं है, बल्कि सरकार को भी उठानी पड़ रही है लेकिन ऐसा नहीं है कि सरकार के इस कदम से उसे सिर्फ आलोचनाओं का ही सामना करना पड़ रहा हो। ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं, जिन्हें लगता है कि नोटबंदी के इस फैसले से भविष्य में बड़ा फायदा भी होने जा रहा है। खासतौर पर नौकरीपेशा लोग, जो टैक्स देते हैं, उन्हें ऐसा लगता है कि नोटबंदी से समाज में आर्थिक समानता आएगी।

इन लोगों का मानना है कि काला धन समाज में आर्थिक असमानता का एक बड़ा कारण है और उसके खत्म होने से समाज में असमानता में कमी आएगी। लोगों का यह भी मानना है कि नोटबंदी के इस फैसले से भविष्य में महंगाई में कमी, सस्ते घर और कम टैक्स दर के रूप में सहूलियतें मिल सकती है।

मुंबई की 40 वर्षीया स्कूल टीचर शजाला बोर्डे (परिवर्तित नाम) ने कहा, 'खुद के पास पर्याप्त धन न होने पर भी, पहली बार मुझे खुशी का अहसास हो रहा है।' बोर्डे नोटबंदी पर काफी खुश हैं क्योंकि उनका कहना है कि उनके स्कूल मालिक के पास बड़ी मात्रा में काला धन है जिसे लेकर वह परेशान है।

आम आदमी के लिए क्या हैं काले धन के मायने?

इकनॉमिक टाइम्स ने देशभर में बड़ी संख्या में नौकरीपेशा लोगों से बात की। यह वर्ग काफी जागरूक है लेकिन तकनीकी परिभाषा पर इसकी समझ एक नहीं है। हालांकि, एक बड़े वर्ग का मानना है कि टैक्स अधिकारियों को जिस धन के बारे में जानकारी नहीं दी गई है, वह काला धन है। चाहे वह एक रुपया ही क्यों न हो। यह काला धन स्मगलिंग, भ्रष्टाचार या अन्य गैरकानूनी तरीकों से एकत्रित किया जा सकता है। ऐसा धन आतंकियों, जूलर्स, बिल्डर और नेताओं के पास ज्यादा पाया जाता है।
ज्यादातर लोग इस बात से सहमत हैं कि इस समानांतर अर्थव्यवस्था से देश की वास्तिवक आर्थिक तरक्की प्रभावित होती है। अधिकांश लोगों का मानना है कि नोटबंदी से इस काली अर्थव्यवस्था पर करारी चोट होगी। ऐसा माना जाता है कि काले धन की यह काली अर्थव्यवस्था हमारी कुल जीडीपी का 10 से 40 पर्सेंट तक हो सकती है।

एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करने वाले और हर महीने 2 लाख रुपये कमाने वाले आईटी इंजिनियर, यू नंदी नोटबंदी को सही मानते हैं और इससे होने वाली परेशानी को बुरा नहीं मानते। उन्होंने कहा, 'जब हम टैक्स देने वाले लोग अपने जीवनयापन में इतनी परेशानियां उठाते हैं, वहीं समाज के कुछ लोग आसानी से बिना टैक्स दिए धन इकट्ठा कर लेते हैं। और इस असमानता को झेला नहीं जा सकता।'

नंदी ने कहा कि उसे बहुत बुरा लगता था जब वह देखते थे कि चेन्नै के रामापुरम में सड़क किनारे चाय बेचने वाला महीने के लाखों रुपये कमाता है लेकिन एक रुपया भी टैक्स नहीं देता। मुंबई की एक कंपनी में काम करने वाले 49 वर्षीय मैनेजर एसके जैन ने कहा, 'पीएम के इस फैसले से मैं पहली बार अपने मेहनत की कमाई को महसूस कर पा रहा हूं।' नंदी प्रतिमाह लगभग 1.5 लाख रुपया कमाते हैं।

जैन और नंदी की तरह ही अधिकांश नौकरीपेशा लोगों का मानना है कि थोड़े दिन की परेशानी से आने वाले समय में काफी फायदा होगा। ऐसे लोगों का मानना है कि जल्द ही स्थितियां सुधर जाएंगी। हालांकि इन लोगों का यह भी मानना है कि दिसंबर महीने की शुरुआत में इन्हें भारी परेशानी उठानी पड़ सकती है क्योंकि हर महीने के खर्चे जैसे अखबार का बिल, मेड की तनख्वाह, स्कूल फीस आदि कैश में देने पड़ते हैं।

यह लोग तब भी नाराजगी जताते हैं जब कैश की कमी के कारण इनके कई जरूरी काम नहीं हो पाते हैं। मुंबई के धीरज नामदेव को भी एक बैंक मैनेजर से बहस करते हुए देखा गया था जबकि उन्हें अपने निजी काम के लिए धन की जरूरत थी लेकिन उन्हें वह नहीं मिल पाया। लेकिन उन्होंने कहा, 'मैं अपनी इन परेशानियों को अगले 30 दिन भी झेलने को तैयार हूं अगर इससे वह काला धन खत्म हो जाए जिससे पिछले 30 साल से देश को नुकसान हो रहा है।'

आर्थिक सलाहकार केवी कार्तिक का कहना है कि जो लोग अपनी आय का स्रोत नहीं बताते हैं, उन्हें निश्चिततौर पर तकलीफ उठानी होगी। इस कदम से काफी लोग टैक्स भरने के प्रति जागरूक भी होंगे। क्लीयर टैक्स के सीईओ अर्चित गुप्ता के मुताबिक, 'प्राइवेट ट्यूटर, जिम चलाने वाले, योगा टीचर, ब्यूटी पार्लर चलाने वाले और ऐसे ही अन्य लोग जो टैक्स नहीं भरते थे, वह अब अपनी आय को सफेद करने के लिए इनकम टैक्स फाइल करने की जानकारियां मांग रहे हैं।'

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