ऐपशहर

डिजिटल फॉर्मैट में देखी जा सकेंगी साझी विरासत की कड़ियां

देश के अनमोल अभिलेखों और दूसरे दस्तावेजों को सहेजने वाला भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) डिजिटल तौर-तरीके अपनाने की तैयारी कर रहा है। 125 साल पुराने अभिलेखागार की योजना टेक्नॉलजी कंपनियों की मदद से दस्तावेजों के विशाल जखीरे को डिजिटल स्वरूप देने की है...

इकनॉमिक टाइम्स 15 Aug 2017, 8:47 am
सुरभि अग्रवाल, नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम mko
सांकेतिक तस्वीर

देश के अनमोल अभिलेखों और दूसरे दस्तावेजों को सहेजने वाला भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) डिजिटल तौर-तरीके अपनाने की तैयारी कर रहा है। 125 साल पुराने अभिलेखागार की योजना टेक्नॉलजी कंपनियों की मदद से दस्तावेजों के विशाल जखीरे को डिजिटल स्वरूप देने की है। ये दस्तावेज राष्ट्रीय राजधानी में अंग्रेजों के जमाने की एक इमारत में रखे हुए हैं।

इस अभिलेखागार की स्थापना ब्रिटिश शासन में हुई थी। यहां सदियों पुराने बौद्ध ग्रंथों से लेकर ईस्ट इंडिया कंपनी के आधिकारिक दस्तावेज और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन के आखिरी वर्षों से जुड़े वह दस्तावेज भी हैं, जिन्हें हाल में सार्वजनिक किया गया था।आईटी इंडस्ट्री की संस्था नैस्कॉम से हाल में एक मुलाकात में अभिलेखागार के महानिदेशक राघवेंद्र सिंह और उनकी टीम ने प्रस्ताव रखा था कि आईटी कंपनियां राष्ट्रीय दस्तावेजों के एक हिस्से को डिजिटल स्वरूप देने के लिए आगे आएं और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत काम करें। इस प्रस्ताव को सरकार एक पायलट प्रोग्राम के जरिए जांचेगी।

सिंह ने कहा, 'दस्तावेजों को डिजिटल करने का ही आइडिया नहीं है। विचार ऐसी व्यवस्था बनाने का है कि किसी विषय पर दूसरे मंत्रालयों या राज्यों के अभिलेखागारों के लिंक भी मुहैया कराए जाएं ताकि शोध में आसानी हो।' अभी 90% से ज्यादा दस्तावेज मूल रूप से कागज पर हैं। ऐसे में उन्हें नुकसान पहुंचने का डर बना रहता है। वहीं शोध सामग्री के लिए आने वाले लोगों को किसी भी सामग्री के लिए अभिलेखागार में खुद आना पड़ता है और उनके अनुरोध पर दस्तावेज निकालने की प्रक्रिया में कुछ हफ्तों से महीनों तक का समय लग जाता है।

नैस्कॉम फाउंडेशन के सीईओ श्रीकांत सिन्हा ने कहा कि नैस्कॉम राष्ट्रीय महत्व के इतने बड़े काम को बेहतरीन ढंग से अंजाम देने के तरीकों पर विचार कर रहा है।
एक तरीका यह सोचा जा रहा है कि इस काम को नैस्कॉम फाउंडेशन के इंडियन पब्लिक लाइब्रेरीज मूवमेंट का हिस्सा बना दिया जाए, जिसमें बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन मदद दे रहा है। अभिलेखागार के उप महानिदेशक संजय गर्ग ने कहा, 'उन लोगों को कोई मुश्किल नहीं होगी क्योंकि उनमें ऐसी क्षमता है। ब्रिटिश लाइब्रेरी के एक पुस्तक अपनाओ अभियान की तर्ज पर हम आईटी कंपनियों के लिए एक सीरीज अपनाओ अभियान शुरू कर सकते हैं।'

गर्ग ने चौथी सदी के बौद्ध अभिलेखों का हवाला दिया, जिन्हें डिजिटल स्वरूप में पुस्तक में बदला जा चुका है। इन अभिलेखों को गिलगिट पांडुलिपि कहा जाता है। गर्ग ने कहा, 'वे मूल से बेहतर और साफ हैं। ऐसा कई सॉफ्टवेयर्स के उपयोग से हुआ।' अभिलेखागार पहले से एक थर्ड पार्टी एजेंसी के जरिए डिजिटाइजेशन कर रहा है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड आईटी मिनिस्ट्री सपोर्ट दे रही है। अब तक 40 लाख पेपर्स को डिजिटल किया जा चुका है।

अगला लेख

Businessकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग