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इनवेंटरी बेस्ड ईकॉमर्स में FDI नहीं: DIPP

डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (DIPP) ने इनवेंटरी बेस्ड ईकॉमर्स में फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट की गुंजाइश खारिज कर दी है। DIPP ने इस सेक्टर के लिए एक रेगुलेटर की व्यवस्था बनाने पर पर सहमति भी जताई।

इकनॉमिक टाइम्स 29 Aug 2018, 8:02 am
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम fdi in inventory based ecommerce dipp
इनवेंटरी बेस्ड ईकॉमर्स में FDI नहीं: DIPP

डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (DIPP) ने इनवेंटरी बेस्ड ईकॉमर्स में फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट की गुंजाइश खारिज कर दी है। DIPP ने इस सेक्टर के लिए एक रेगुलेटर की व्यवस्था बनाने पर पर सहमति भी जताई।

कॉमर्स डिपार्टमेंट ने हाल में अपनी ड्राफ्ट ईकॉमर्स पॉलिसी में इनवेंटरी बेस्ड ईकॉमर्स में 49 पर्सेंट तक एफडीआई की इजाजत देने की बात की थी, बशर्ते ऐसे ईकॉमर्स वेंचर में बहुमत हिस्सेदारी भारतीय हाथों में हो, उस पर भारतीय का कंट्रोल हो और वह वेंचर शत-प्रतिशत भारत में बने सामान ही बेचे।

DIPP के सेक्रेटरी रमेश अभिषेक ने मंगलवार को कहा, 'इस पर कोई सहमति नहीं बनी है। यह नहीं होने जा रहा है। ऐसा कोई इरादा नहीं है।' वह ईकॉमर्स पॉलिसी पर स्वदेशी जागरण मंच के एक गोलमेज सम्मेलन में बोल रहे थे। ईकॉमर्स पॉलिसी की घोषणा जुलाई के अंत में की गई थी। यह मंच आरएसएस का सहयोगी है। उसने वॉलमार्ट के फ्लिपकार्ट को खरीदने को 'मल्टी-ब्रांड रिटेल ट्रेड में बैकडोर एंट्री' करार दिया था। इस मंच ने फ्लिपकार्ट पर भी 'ईकॉमर्स के जरिए अवैध रूप से मल्टी-ब्रांड रिटेल ट्रेड' करने का आरोप लगाया था।

भारत सीधे कस्टमर्स को सामान बेचने वाली ईकॉमर्स कंपनियों में विदेशी निवेश की इजाजत नहीं देता है। विदेशी निवेश की इजाजत उन्हीं मार्केटप्लेसेज में है, जो सेलर्स को बायर्स से कनेक्ट करती हैं। भारत मल्टी-ब्रांड रिटेल में भी विदेशी निवेश की इजाजत नहीं देता।

ईटी ने रिपोर्ट दी थी कि कई मंत्रालयों ने पॉलिसी तैयार करने और इसके कुछ प्रावधान बनाने में कॉमर्स डिपार्टमेंट के रोल पर सवाल उठाया है। खासतौर से इनवेंटरी बेस्ड ईकॉमर्स में एफडीआई की इजाजत वाले प्रस्ताव पर सवाल थे।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस पॉलिसी पर दो हफ्ता पहले चर्चा का आयोजन किया था। सूत्रों ने बताया कि पॉलिसी का संशोधित रूप जल्द आ सकता है, जिसमें एफडीआई वाला क्लॉज नहीं होगा।

अभिषेक ने कहा, 'रेगुलर रिटेल सेक्टर में जब एफडीआई की इजाजत देने की कोई योजना नहीं है। उसी तरह ईकॉमर्स स्पेस में प्रॉडक्ट्स की बिक्री के लिए एफडीआई की इजाजत देने की भी कोई योजना नहीं है।' उन्होंने कहा, 'हमें पता है कि मेड इन इंडिया प्रॉडक्ट्स में एफडीआई की इजाजत देना रिटेल सेक्टर में एफडीआई की अनुमति देने के बराबर होगा।' उन्होंने माना कि ईकॉमर्स पॉलिसी पर मतभेद हैं।

DIPP को इस मसले पर कई शिकायतें मिली हैं। उसने उन्हें एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट को फॉरवर्ड कर दिया है। अभिषेक ने कहा कि उन्होंने ई-रिटेलर्स के खिलाफ प्रेस नोट 3 से जुड़ी शिकायतों पर फाइनेंस सेक्रेटरी के साथ चर्चा की है। प्रेस नोट 3 एफडीआई फंडिंग पाने वाले ईकॉमर्स वेंचर्स को इस बात की इजाजत नहीं देता कि वे सीधे कंज्यूमर्स को प्रॉडक्ट्स बेचें।

एसजेएम के को-कन्वेनर अश्विनी महाजन ने कहा, 'सरकार के प्रेस नोट 3 की घोषणा करने के बावजूद प्रमुख ईकॉमर्स प्लेयर्स ने भारत में लाखों डॉलर झोंकने का रास्ता निकाल लिया है।'

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