निधि शर्मा, नई दिल्ली
गांव गोद लेने की प्रधानमंत्री मोदी की 'आदर्श ग्राम योजना' योजना में सांसदों की दिलचस्पी खत्म होने के बाद सरकार अब इसे बढ़ावा देने के लिए कॉर्पोरेट फंडिंग की तलाश कर रही है। ग्रामीण विकास मंत्रालय इस सिलसिले में 10 रीजनल कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) कॉन्क्लेव का आयोजन करेगी। मोदी की इस पहल को सफल बनाने के मकसद से शुरू किए गए कॉन्क्लेव की शुरुआत मुंबई से होगी।
रीजनल कॉन्क्लेव से सांसदों और जिला प्रशासन को उन कॉर्पोरेट खिलाड़ियों से जुड़ने में मदद मिलेगी, जो गांव में निवेश करना चाहते हैं। सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत हर सांसद को एक गांव गोद लेने के लिए कहा गया है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों में 340 ऐसे प्रॉजेक्ट्स की पहचान की है, जिन्हें फंडिंग की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को इस स्कीम को लॉन्च किया था। उन्होंने सांसदों से एक गांव गोद लेकर उसे मॉडल गांव में बदलने का अनुरोध किया था।
इस स्कीम के तहत साल 2019 तक तीन चरणों में कुल 2,200 गांवों को मॉडल गांव बनाने की बात है। पहले चरण में सांसदों ने 695 गांवों को गोद लिया। हालांकि, सांसद इस मामले में फंड की कमी की शिकायत करने लगे, लिहाजा इस स्कीम की चमक फीकी पड़ने लगी। दूसरे चरण में सिर्फ 51 सांसदों ने गांव को गोद लिया। सांसदों को 31 जनवरी तक गांवों को गोद लेना था, लेकिन लोकसभा के सिर्फ 43 और राज्यसभा के 8 सांसदों ने गांव गोद लेने का काम किया।
सीएसआर की फंडिंग वाले प्रॉजेक्ट्स पर ग्रामीण विकास मंत्रालय कड़ी निगरानी रख रहा है। एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया, 'हमें पता है कि हर सीएसआर प्रस्ताव को कंपनी बोर्ड की मंजूरी की जरूरत होती है। इसके लिए बाकायदा प्रक्रिया की जरूरत है, जिसमें डिपार्टमेंट हेड की तरफ से प्रेजेंटेशन भी शामिल है। लिहाजा, हमने अब सीएसआर कॉन्क्लेव में बेस्ट प्रस्तावों को पेश करने का फैसला किया है।'
मुंबई के कॉन्क्लेव के बाद सरकार लखनऊ, गुजरात, चंडीगढ़ और अन्य रीजनल सेंटरों में इसी तरह के कॉन्फ्रेंस का आयोजन करेगी। एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया, 'कई ऐसे प्रॉजेक्ट्स हैं, जिसके लिए फंडिंग की जरूरत है, लेकिन वास्तव में उनका किसी सरकारी स्कीम के तहत कवर नहीं है। यहीं पर कॉर्पोरेट सेक्टर मददगार साबित हो सकता है।
लिहाजा, हमने प्रॉजेक्ट्स की पहचान की है और कॉर्पोरेट खिलाड़ियों के लिए प्रस्ताव तैयार किया है।' विपक्षी सांसद इस स्कीम की आलोचना कर रहे हैं और उनका कहना है कि सांसद आदर्श ग्राम योजना के लिए कोई फंड आवंटित नहीं किया गया है। कांग्रेस के सीनियर नेता अहमद पटेल ने हाल में पीएम से इस स्कीम को खत्म करने की मांग की थी।
गांव गोद लेने की प्रधानमंत्री मोदी की 'आदर्श ग्राम योजना' योजना में सांसदों की दिलचस्पी खत्म होने के बाद सरकार अब इसे बढ़ावा देने के लिए कॉर्पोरेट फंडिंग की तलाश कर रही है। ग्रामीण विकास मंत्रालय इस सिलसिले में 10 रीजनल कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) कॉन्क्लेव का आयोजन करेगी। मोदी की इस पहल को सफल बनाने के मकसद से शुरू किए गए कॉन्क्लेव की शुरुआत मुंबई से होगी।
रीजनल कॉन्क्लेव से सांसदों और जिला प्रशासन को उन कॉर्पोरेट खिलाड़ियों से जुड़ने में मदद मिलेगी, जो गांव में निवेश करना चाहते हैं। सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत हर सांसद को एक गांव गोद लेने के लिए कहा गया है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों में 340 ऐसे प्रॉजेक्ट्स की पहचान की है, जिन्हें फंडिंग की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को इस स्कीम को लॉन्च किया था। उन्होंने सांसदों से एक गांव गोद लेकर उसे मॉडल गांव में बदलने का अनुरोध किया था।
इस स्कीम के तहत साल 2019 तक तीन चरणों में कुल 2,200 गांवों को मॉडल गांव बनाने की बात है। पहले चरण में सांसदों ने 695 गांवों को गोद लिया। हालांकि, सांसद इस मामले में फंड की कमी की शिकायत करने लगे, लिहाजा इस स्कीम की चमक फीकी पड़ने लगी। दूसरे चरण में सिर्फ 51 सांसदों ने गांव को गोद लिया। सांसदों को 31 जनवरी तक गांवों को गोद लेना था, लेकिन लोकसभा के सिर्फ 43 और राज्यसभा के 8 सांसदों ने गांव गोद लेने का काम किया।
सीएसआर की फंडिंग वाले प्रॉजेक्ट्स पर ग्रामीण विकास मंत्रालय कड़ी निगरानी रख रहा है। एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया, 'हमें पता है कि हर सीएसआर प्रस्ताव को कंपनी बोर्ड की मंजूरी की जरूरत होती है। इसके लिए बाकायदा प्रक्रिया की जरूरत है, जिसमें डिपार्टमेंट हेड की तरफ से प्रेजेंटेशन भी शामिल है। लिहाजा, हमने अब सीएसआर कॉन्क्लेव में बेस्ट प्रस्तावों को पेश करने का फैसला किया है।'
मुंबई के कॉन्क्लेव के बाद सरकार लखनऊ, गुजरात, चंडीगढ़ और अन्य रीजनल सेंटरों में इसी तरह के कॉन्फ्रेंस का आयोजन करेगी। एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया, 'कई ऐसे प्रॉजेक्ट्स हैं, जिसके लिए फंडिंग की जरूरत है, लेकिन वास्तव में उनका किसी सरकारी स्कीम के तहत कवर नहीं है। यहीं पर कॉर्पोरेट सेक्टर मददगार साबित हो सकता है।
लिहाजा, हमने प्रॉजेक्ट्स की पहचान की है और कॉर्पोरेट खिलाड़ियों के लिए प्रस्ताव तैयार किया है।' विपक्षी सांसद इस स्कीम की आलोचना कर रहे हैं और उनका कहना है कि सांसद आदर्श ग्राम योजना के लिए कोई फंड आवंटित नहीं किया गया है। कांग्रेस के सीनियर नेता अहमद पटेल ने हाल में पीएम से इस स्कीम को खत्म करने की मांग की थी।