नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) सरकार ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, आवास के लिए ऋण उपलब्ध कराने वाली कंपनियों और सूचीबद्ध कंपनियों के लिए डिबेंचर जारी करने को लेकर आरक्षित पूंजी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। इस कदम का लक्ष्य पूंजी जुटाने की लागत में कमी लाना है। कंपनी अधिनियम के अंतर्गत ऋण पत्र के जरिए धन जुटाने वाली कंपनियों को ऋण विमोन हेतु आरक्षित पूंजी कोष (डीआरआर) सृजन करना होता था। इस अनिवार्यता को अब समाप्त कर दिया गया है। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने सूचीबद्ध कंपनियों, एनबीएफसी और एचएफसी के लिए 25 प्रतिशत की डीआरआर की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। ये बदलाव सार्वजनिक के साथ-साथ निजी निर्गम में भी लागू होंगे। गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए डीआरआर अनिवार्यता को 25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने का फैसला किया गया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह निर्णय केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 के लिए की गई बजट घोषणाओं के साथ-साथ सरकार के 100 दिवसीय कार्य योजना के हिस्से के रूप में देश की कंपनियों को ‘कारोबार में और सुगमता’ प्रदान करने संबंधी सरकार के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। मंत्रालय ने इन बदलावों के लिए कंपनी (शेयर पूंजी एवं डिबेंचर) नियमों में संशोधन किये हैं।
सरकार ने एनबीएफसी, सूचीबद्ध कंपनियों के लिए डीआरआर अनिवार्यता को समाप्त किया
नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) सरकार ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, आवास के लिए ऋण उपलब्ध कराने वाली कंपनियों और सूचीबद्ध कंपनियों के लिए डिबेंचर जारी करने को लेकर आरक्षित पूंजी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। इस कदम का लक्ष्य पूंजी जुटाने की लागत में कमी लाना है। कंपनी अधिनियम के अंतर्गत ऋण पत्र के जरिए धन जुटाने वाली कंपनियों को ऋण विमोन हेतु आरक्षित पूंजी कोष (डीआरआर) सृजन करना होता था। इस अनिवार्यता को अब समाप्त कर दिया गया है। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने सूचीबद्ध कंपनियों, एनबीएफसी और एचएफसी के लिए 25 प्रतिशत की डीआरआर की अनिवार्यता को खत्म
भाषा 19 Aug 2019, 8:00 pm