सिंगापुर
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं में सुधार के लिए जीएसटी लागू करने के साथ-साथ जमीन और श्रम क्षेत्र में सुधार जरूरी है। आईएमएफ ने इस साल भारत की आर्थिक वृद्धि दर के 7.5 प्रतिशत रहने के अपने पहले के अनुमान को बनाए रखा है और उसका कहना है कि वृद्धि को मुख्यत: निजी उपभोग से मदद मिलेगी, लेकिन निर्यात कारोबार की कमजोरी और कर्ज विस्तार में नरमी का वृद्धि पर असर होगा।
मुद्रा कोष के एशिया एवं प्रशांत विभाग में क्षेत्रीय अध्ययन प्रभाग के प्रमुख रानिल मनोहर सालगादो ने कहा, 'भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावना अनुकूल है। बुनियादी सुधारों के न होने पर भी चालू वित्त वर्ष में देश की वृद्धि 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।' सालगादो ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि की संभावनाएं अच्छी हैं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे बुनियादी सुधारों को प्राथमिकता दिए जाने की जरूरत है।
पढ़ें: 2016 में भी तेजी से लुढ़केगी चीन-जापान की इकॉनमी
गौरतलब है कि जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक संसद में अटका है। उन्होंने कहा, 'बावजूद इसके, जीएसटी को प्राथमिकता देने की जरूरत है क्योंकि इससे एकल बाजार का विकास होगा, देश के अंदर वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाह सहज होगा तथा जीडीपी वद्धि को और बल मिलेगा।' उन्होंने बिजली, भूमि अधिग्रहण, श्रम और कारोबार के नियम आसान बनाने जैसे क्षेत्रों में सुधार को भी आर्थिक वृद्धि से महत्वपूर्ण बताया। सालगादो ने कहा कि भारत सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों से देश में 'एफडीआई गति पकड़ रहा है।'
2015 में कुल एफडीआई बढकर 44 अरब डॉलर रहा जो जीडपी के 2.1 प्रतिशत के बराबर है। इससे पिछले साल एफडीआई 34 अरब डॉलर था। उन्होंने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एफडीआई आकर्षित करने और मेक इन इंडिया को सफल बनाने के लिए 'कारोबार के लिए और अनुकूल वातावरण जरूरी है।' आईएमएफ की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम के भावों में गिरावट और वास्तविक आय ऊंची होने से भारत में निजी क्षेत्र में उपभोग को बढ़ावा मिलेगा। रिपोर्ट में देश के नीति-निर्माताओं से बुनियादी सुधारों को लागू करने में तत्परता दिखाने की जरूरत पर बल दिया गया है।
मुद्राकोष की एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र की आर्थिक संभावनाओं के बारे में ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्यात कमजोर रहने और लोन बिजनस की वृद्धि धीमी रहने का भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। इसके अनुसार कंपनी जगत और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय स्थिति की कमजोरियों से लोन बिजनस धीमा रहेगा। मुद्रा कोष की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को तेल की कीमतों में गिरावट से 'लाभ' हुआ है और 'यह विश्व की सबसे तीव्र गति से वृद्धि कर रही अर्थव्यवस्था बना हुआ है और इस साल तथा अगले साल इसकी वृद्धि 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।'
रिपोर्ट के अनुसार एशिया और प्रशांत क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि इस साल और अगले साल 5.3 प्रतिशत रहने की संभावना है। यह उसकी क्षेत्र के लिए पहले घोषित 5.4 प्रतिशत वृद्धि से कम है। उसने कहा कि इस क्षेत्र में चीन और जापान की अर्थव्यवस्थाओं के सामने चुनौतियां बनी रहेंगी। इसमें चीन की वृद्धि दर इस साल 6.5 प्रतिशत और अगले साल 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। वर्ष 2015 में चीन की वृद्धि 6.9 प्रतिशत थी। जापान की वृद्धि इस साल भी 0.5 प्रतिशत रहने की संभावना है जबकि अगले साल यह अर्थव्यवस्था 0.1 प्रतिशत गिर सकती है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं में सुधार के लिए जीएसटी लागू करने के साथ-साथ जमीन और श्रम क्षेत्र में सुधार जरूरी है। आईएमएफ ने इस साल भारत की आर्थिक वृद्धि दर के 7.5 प्रतिशत रहने के अपने पहले के अनुमान को बनाए रखा है और उसका कहना है कि वृद्धि को मुख्यत: निजी उपभोग से मदद मिलेगी, लेकिन निर्यात कारोबार की कमजोरी और कर्ज विस्तार में नरमी का वृद्धि पर असर होगा।
मुद्रा कोष के एशिया एवं प्रशांत विभाग में क्षेत्रीय अध्ययन प्रभाग के प्रमुख रानिल मनोहर सालगादो ने कहा, 'भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावना अनुकूल है। बुनियादी सुधारों के न होने पर भी चालू वित्त वर्ष में देश की वृद्धि 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।' सालगादो ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि की संभावनाएं अच्छी हैं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे बुनियादी सुधारों को प्राथमिकता दिए जाने की जरूरत है।
पढ़ें: 2016 में भी तेजी से लुढ़केगी चीन-जापान की इकॉनमी
गौरतलब है कि जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक संसद में अटका है। उन्होंने कहा, 'बावजूद इसके, जीएसटी को प्राथमिकता देने की जरूरत है क्योंकि इससे एकल बाजार का विकास होगा, देश के अंदर वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाह सहज होगा तथा जीडीपी वद्धि को और बल मिलेगा।' उन्होंने बिजली, भूमि अधिग्रहण, श्रम और कारोबार के नियम आसान बनाने जैसे क्षेत्रों में सुधार को भी आर्थिक वृद्धि से महत्वपूर्ण बताया। सालगादो ने कहा कि भारत सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों से देश में 'एफडीआई गति पकड़ रहा है।'
2015 में कुल एफडीआई बढकर 44 अरब डॉलर रहा जो जीडपी के 2.1 प्रतिशत के बराबर है। इससे पिछले साल एफडीआई 34 अरब डॉलर था। उन्होंने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एफडीआई आकर्षित करने और मेक इन इंडिया को सफल बनाने के लिए 'कारोबार के लिए और अनुकूल वातावरण जरूरी है।' आईएमएफ की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम के भावों में गिरावट और वास्तविक आय ऊंची होने से भारत में निजी क्षेत्र में उपभोग को बढ़ावा मिलेगा। रिपोर्ट में देश के नीति-निर्माताओं से बुनियादी सुधारों को लागू करने में तत्परता दिखाने की जरूरत पर बल दिया गया है।
मुद्राकोष की एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र की आर्थिक संभावनाओं के बारे में ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्यात कमजोर रहने और लोन बिजनस की वृद्धि धीमी रहने का भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। इसके अनुसार कंपनी जगत और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय स्थिति की कमजोरियों से लोन बिजनस धीमा रहेगा। मुद्रा कोष की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को तेल की कीमतों में गिरावट से 'लाभ' हुआ है और 'यह विश्व की सबसे तीव्र गति से वृद्धि कर रही अर्थव्यवस्था बना हुआ है और इस साल तथा अगले साल इसकी वृद्धि 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।'
रिपोर्ट के अनुसार एशिया और प्रशांत क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि इस साल और अगले साल 5.3 प्रतिशत रहने की संभावना है। यह उसकी क्षेत्र के लिए पहले घोषित 5.4 प्रतिशत वृद्धि से कम है। उसने कहा कि इस क्षेत्र में चीन और जापान की अर्थव्यवस्थाओं के सामने चुनौतियां बनी रहेंगी। इसमें चीन की वृद्धि दर इस साल 6.5 प्रतिशत और अगले साल 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। वर्ष 2015 में चीन की वृद्धि 6.9 प्रतिशत थी। जापान की वृद्धि इस साल भी 0.5 प्रतिशत रहने की संभावना है जबकि अगले साल यह अर्थव्यवस्था 0.1 प्रतिशत गिर सकती है।