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हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक खेती विदेशियों के लिए भी बनी सीख

शिमला 26 सितंबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक खेती केवल देशवासियों के लिए ही नहीं बल्कि विदेशियों के लिए भी सीख बनती जा रही है। फ्रांस के एवरॉन से आई 28 वर्षीय कैरोल डूरंड ने कहा कि अगर हमें प्राकृतिक तरीके से जीवनयापन करना है, तो गैर-रासायनिक खेती एक बढ़िया विकल्प है। डूरंड हिमाचल प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना (पीके3वाई) के तहत कम लागत वाली प्राकृतिक कृषि तकनीक की जानकारी लेने आई हैं। यह योजना पिछले तीन वर्षों से लगाई जा रही है। पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित सुभाष

भाषा 26 Sep 2021, 8:13 pm
शिमला 26 सितंबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक खेती केवल देशवासियों के लिए ही नहीं बल्कि विदेशियों के लिए भी सीख बनती जा रही है।

फ्रांस के एवरॉन से आई 28 वर्षीय कैरोल डूरंड ने कहा कि अगर हमें प्राकृतिक तरीके से जीवनयापन करना है, तो गैर-रासायनिक खेती एक बढ़िया विकल्प है।

डूरंड हिमाचल प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना (पीके3वाई) के तहत कम लागत वाली प्राकृतिक कृषि तकनीक की जानकारी लेने आई हैं। यह योजना पिछले तीन वर्षों से लगाई जा रही है।

पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित सुभाष पालेकर द्वारा तैयार की गई इस तकनीक को राज्य में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती (एसपीएनएफ) तकनीक का नाम दिया गया है।

राज्य के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई (एसपीआईयू), पीके3वाई द्वारा आयोजित प्रशिक्षण के बाद इस तकनीक को 1,33,056 किसानों ने आंशिक रूप से या पूरी तरह से अपनाया है। इसके तहत 7,609 हेक्टेयर पर खेती की जा रही है।

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