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बदहाल कंपनियों पर फैसला लेने के लिए अपने प्रतिनिधि को नामित कर सकेंगे होमबायर्स

इन्सॉल्वंसी की कार्रवाई का सामना कर रही कंपनियों के डिपॉजिटर्स और होमबायर्स को एक नई सहूलियत दी गई है। अब वे कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) के समक्ष तीन इन्सॉल्वंसी प्रफेशनल्स के पैनल में से अपने प्रतिनिधि को नॉमिनेट ...

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 5 Jul 2018, 8:38 am
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम 1
प्रतीकात्मक तस्वीर

इन्सॉल्वंसी की कार्रवाई का सामना कर रही कंपनियों के डिपॉजिटर्स और होमबायर्स को एक नई सहूलियत दी गई है। अब वे कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) के समक्ष तीन इन्सॉल्वंसी प्रफेशनल्स के पैनल में से अपने प्रतिनिधि को नॉमिनेट कर सकेंगे। CoC ही वह संस्था है जो बदहाल कंपनियों की किस्मत का फैसला करती है। यह कदम इन्सॉल्वंसी ऐंड बैंकरप्ट्सी कोड (IBC) में संशोधन के बाद उठाया गया है। जेपी इन्फ्राटेक एवं आम्रपाली ग्रुप जैसी कुछ रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई को ध्यान में रखते हुए ये कदम उठाए गए हैं, जिससे घर खरीदारों के हितों का संरक्षण हो सके।

अब बदहाल हो चुकी कंपनियों पर फैसला लेने में कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स में घर खरीदारों का भी प्रतिनिधित्व होगा। इससे पहले आशंका जताई जा रही थी कि लेंडर्स (बैंक) जिनका अकेले प्रतिनिधित्व होता है, वे ऐसी डील कर लेंगे जिससे दूसरे हितधारकों की अनदेखी हो सकती है।

इन्सॉल्वंसी ऐंड बैंकरप्ट्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) के द्वारा नोटिफाइड किए गए नियमों के तहत क्रेडिटर्स की हर कैटिगरी (डिपॉजिटर्स, सिक्यॉरिटी होल्डर और होमबायर), जिसमें कम के कम 10 व्यक्ति या संस्थाएं हो सकती हैं, उन्हें CoC में अपना प्रतिनिधि नॉमिनेट करने का मौका मिलेगा।

हर कदम, तरीका, टाइमलाइन की होगी जानकारी
एक बयान में बताया गया है, 'इन्सॉल्वंसी प्रफेशनल (जो सबसे ज्यादा क्रेडिटर्स की पसंद होंगे) को संबंधित क्लास के क्रेडिटर्स के अधिकृत प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त किया जाएगा।' इसमें बताया गया है कि रेजॉलूशन प्लान्स के लिए अनुरोध (RFRP) में प्रक्रिया के हर कदम, तरीका, टाइमलाइन और रेजॉलूशन प्रफेशनल व आवेदक के बीच बातचीत के मकसद की जानकारी होगी।

बताना होगा, कैसे दूर होगी समस्या
बिडर्स द्वारा तैयार किए गए रेजॉलूशन प्लान में यह स्पष्ट करना होगा कि डिफॉल्ट होने के कारण को किस तरह से अड्रेस किया जा रहा है, क्या यह व्यावहारिक और संभव है, प्रभावी तौर पर लागू करने का प्रावधान क्या है और इसे लागू करने की आवेदक की क्षमता समेत कई दूसरी चीजें भी इसमें शामिल होंगी।

नए नियमों में हर ऐक्शन के लिए एक विस्तृत टाइमलाइन भी दी गई है, जिससे पूरी प्रक्रिया कानून के तहत दी गई 180 दिनों की डेडलाइन में पूरी की जा सके।

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