ऐपशहर

अमेरिकी बाजार में धूम मचाएगी भारत की देसी वायग्रा, यह है वजह

2020 में अमेरिका में वायग्रा के भारतीय वर्जन की भरमार देखने को मिल सकती है। इसकी वजह यह है कि इस आइकॉनिक नीली गोली पर अब फाइजर का पेटेंट खत्म हो गया है, जो दुनिया भर में वायग्रा की बिक्री करती रहती है।

इकनॉमिकटाइम्स.कॉम 7 Aug 2018, 6:18 pm
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम viagra

भारत की दवा कंपनियों के लिए अमेरिका में कारोबार के लिहाज से अच्छी खबर है क्योंकि अब वे वहां वायग्रा की बिक्री कर सकेंगी। 2020 में अमेरिका में वायग्रा के भारतीय वर्जन की भरमार देखने को मिल सकती है। इसकी वजह यह है कि इस आइकॉनिक नीली गोली पर अब फाइजर का पेटेंट खत्म हो गया है, जो दुनिया भर में वायग्रा की बिक्री करती रहती है। फाइजर का पेटेंट खत्म होने से अमेरिका के फायदेमंद बाजार के दरवाजे भारतीय कंपनियों के लिए खुल सकते हैं।

दुनिया भर की 15 कंपनियों को अमेरिका के फूड ऐंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने वायग्रा के फॉर्म्युलेशन सिल्डेनाफिल सिट्रेट का उत्पादन करने की मंजूरी दी है। 'द प्रिंट' की रिपोर्ट के मुताबिक इन 15 कंपनियों में से 7 फर्म भारत की हैं- रूबीकॉन रिसर्च, हेटेरो ड्रग्स, मैक्लियॉड्स फार्मा, डॉ. रेड्डी, ऑरोबिंदो फार्मा, टॉरंट फार्मास्युटिकल्स और अजंता फार्मा।

दवाओं की कीमत के चलते अमेरिका बाजार में भारतीय कंपनियां बढ़त हासिल कर सकती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में इस दवा की कीमत 65 डॉलर यानी करीब 4,400 रुपये है। फाइजर ने खुद इस दवा के जेनेरिक वर्जन को 2017 में लगभग आधी कीमत में लॉन्च किया था। इसके बाद भी भारतीय कंपनियों की ओर से दी जा रही दवा इससे काफी सस्ती है। भारतीय कंपनियां वायग्रा के देसी वर्जन को 32 रुपये तक की कीमत में बेच रही हैं। ऐसे में भारतीय कंपनियों को पूरी उम्मीद है कि वायग्रा का उनका देसी वर्जन अमेरिका में खासा बिकेगा।

अगला लेख

Businessकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग