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JSW एनर्जी ने जेपी पावर का बीना पावर प्लांट खरीदने का प्रस्ताव वापस लिया

​सज्जन जिंदल की जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने जयप्रकाश पावर वेंचर्स के 500 मेगावॉट के बीना पावर प्लांट को खरीदने का प्रस्ताव वापस ले लिया है।...

इकनॉमिक टाइम्स 2 Jan 2018, 8:13 am
ईटी ब्यूरो,मुंबई
नवभारतटाइम्स.कॉम jsw energy refuses to buy jp power bina power plant
JSW एनर्जी ने जेपी पावर का बीना पावर प्लांट खरीदने का प्रस्ताव वापस लिया

सज्जन जिंदल की जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने जयप्रकाश पावर वेंचर्स के 500 मेगावॉट के बीना पावर प्लांट को खरीदने का प्रस्ताव वापस ले लिया है। बैंकों की तरफ से इस डील की मंजूरी के इंतजार में कई महीने लग जाने पर उसने यह फैसला किया है। जेएसडब्ल्यू ने 2015 में बीना प्लांट को खरीदने का ऐलान किया था। माना जा रहा था कि इस प्लांट का सौदा 2,700 करोड़ रुपये में हो सकता है। हालांकि, प्रोजेक्ट के लिए कर्ज देने वाले बैंकों ने इस सौदे के लिए जरूरी अप्रूवल्स नहीं दिए। इकनॉमिक टाइम्स ने जुलाई में जेएसडब्ल्यू एनर्जी के सीईओ प्रशांत जैन के हवाले से खबर दी थी कि यह सौदा टूट सकता है।

जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने सोमवार को स्टॉक एक्सचेंजों को बताया, 'लॉन्ग स्टॉप डेट गुजरने के बाद बीना प्रोजेक्ट को खरीदने का प्रस्ताव खत्म हो गया है।' मई में जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने कहा था कि इस डील के लिए लॉन्ग स्टॉप डेट यानी सौदा पूरा करने की तारीख 31 मई 2017 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2017 कर दी गई है।

जयप्रकाश पावर के प्लांट्स को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें पावर परचेज एग्रीमेंट में होने वाली देरी, राज्यों की डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों की तरफ से कम बिजली खरीदे जाने और मर्चेंट पावर रेट्स में गिरावट आने जैसी बातें शामिल हैं। भारी कर्ज और कम कैश फ्लो की वजह से कंपनी समय पर कर्ज की किस्त नहीं चुका पा रही है। इसलिए कंपनी के बैंकरों ने स्ट्रैटेजिक डेट रिस्ट्रक्चरिंग (एसडीआर) ऑप्शन का इस्तेमाल किया था और उसके तुरंत बाद बीना पावर प्लांट को बेचने का फैसला लिया था।

पिछले साल फरवरी में जयप्रकाश पावर वेंचर्स को डेट रिस्ट्रक्चरिंग के लिए शेयरहोल्डर्स की मंजूरी मिल गई थी। इसके बाद कंपनी ने बैंकों को 305.80 करोड़ शेयर डेट रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम के तहत अलॉट किए थे। इसका मकसद कंपनी का कर्ज घटाकर 3,058 करोड़ रुपये तक लाना था। इस अलॉटमेंट के बाद वित्तीय संस्थानों की कंपनी में 51 पर्सेंट हिस्सेदारी हो गई थी। इस वजह से बीना पावर प्लांट का कंट्रोल भी उनके हाथ में आ गया था।

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