नई दिल्ली
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्नैक्स फूड कंपनी केलॉग्स भुजिया से कारोबार की शुरुआत करने वाली दिग्गज भारतीय फर्म हल्दीराम में निवेश करने की तैयारी में है। राजस्थान के बीकानेर से 1937 में एक दुकान से शुरू होने वाले हल्दीराम का कारोबार फिलहाल तीन अरब डॉलर का है। इसमें कोलकाता का बिजनस शामिल नहीं है।
कई तरह के पारिवारिक और कारोबारी विवादों के बाद भी हल्दीराम का कारोबार भुजिया से आगे बढ़ते हुए अन्य कई देसी स्नैक्स में भी फैला है। जानें, कैसे हल्दीराम ने कैसे तय किया भुजिया से लेकर अरबों डॉलर तक का सफर...
छोटी सी शुरुआत से लंबा सफर
दुनिया भर में फैले भारतीयों समेत देश भर में एक चर्चित ब्रैंड बने हल्दीराम के कारोबार की शुरुआत बीकानेर से 1937 में हुई थी। गंगा भीसेन अग्रवाल, जिन्हें उनकी मां दुलार में हल्दीराम कहती थीं, ने अपनी आंटी से भुजिया की रेसिपी सीखी थी। गंगा भीसेन ने बीकानेर के भुजिया बाजार में स्थित फैमिली के स्टॉल पर आंटी की ट्रिक का इस्तेमाल किया और भुजिया तैयार की।
स्वाद ने किया कमाल, बिजनस में मचाया धमाल
पारंपरिक भुजिया के मुकाबले यह थोड़ी पतली थी और स्वाद में बहुत चटपटी। फिर क्या था, मार्केट में यह भुजिया चल निकली। बीकानेर के डुंगर सिंह के नाम पर उन्होंने इसका 'डुंगर सेव' रखा। अपने नए ब्रैंड के साथ उन्होंने दादाजी के कारोबार से खुद को अलग किया और बिजनस की नई ऊंचाइयां हासिल कीं।
यूं हुई हल्दीराम साम्राज्य की शुरुआत
हल्दीराम ने अपने कारोबार की शुरुआत भी बेहद छोटे स्तर से की थी। वह एक शादी में शामिल होने के लिए कोलकाता गए थे। वहीं पर उनके दिमाग में यह आइडिया आया कि एक शॉप उन्हें यहां खोलनी चाहिए। बीकानेर भुजिया के कारोबार का यह पहला विस्तार था। उनकी दूसरी पीढ़ी इस बिजनस का बहुत विस्तार नहीं कर सकी, लेकिन उनके पोतों मनोहर लाल और शिव किशन ने कारोबार को बखूबी बढ़ाया। वे इस बिजनस को दिल्ली और नागपुर तक ले गए। दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित दुकान ने कारोबार में चार चांद लगाने का काम किया। इसके बाद तो यह ब्रैंड भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में फैलता चला गया।
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्नैक्स फूड कंपनी केलॉग्स भुजिया से कारोबार की शुरुआत करने वाली दिग्गज भारतीय फर्म हल्दीराम में निवेश करने की तैयारी में है। राजस्थान के बीकानेर से 1937 में एक दुकान से शुरू होने वाले हल्दीराम का कारोबार फिलहाल तीन अरब डॉलर का है। इसमें कोलकाता का बिजनस शामिल नहीं है।
कई तरह के पारिवारिक और कारोबारी विवादों के बाद भी हल्दीराम का कारोबार भुजिया से आगे बढ़ते हुए अन्य कई देसी स्नैक्स में भी फैला है। जानें, कैसे हल्दीराम ने कैसे तय किया भुजिया से लेकर अरबों डॉलर तक का सफर...
छोटी सी शुरुआत से लंबा सफर
दुनिया भर में फैले भारतीयों समेत देश भर में एक चर्चित ब्रैंड बने हल्दीराम के कारोबार की शुरुआत बीकानेर से 1937 में हुई थी। गंगा भीसेन अग्रवाल, जिन्हें उनकी मां दुलार में हल्दीराम कहती थीं, ने अपनी आंटी से भुजिया की रेसिपी सीखी थी। गंगा भीसेन ने बीकानेर के भुजिया बाजार में स्थित फैमिली के स्टॉल पर आंटी की ट्रिक का इस्तेमाल किया और भुजिया तैयार की।
स्वाद ने किया कमाल, बिजनस में मचाया धमाल
पारंपरिक भुजिया के मुकाबले यह थोड़ी पतली थी और स्वाद में बहुत चटपटी। फिर क्या था, मार्केट में यह भुजिया चल निकली। बीकानेर के डुंगर सिंह के नाम पर उन्होंने इसका 'डुंगर सेव' रखा। अपने नए ब्रैंड के साथ उन्होंने दादाजी के कारोबार से खुद को अलग किया और बिजनस की नई ऊंचाइयां हासिल कीं।
यूं हुई हल्दीराम साम्राज्य की शुरुआत
हल्दीराम ने अपने कारोबार की शुरुआत भी बेहद छोटे स्तर से की थी। वह एक शादी में शामिल होने के लिए कोलकाता गए थे। वहीं पर उनके दिमाग में यह आइडिया आया कि एक शॉप उन्हें यहां खोलनी चाहिए। बीकानेर भुजिया के कारोबार का यह पहला विस्तार था। उनकी दूसरी पीढ़ी इस बिजनस का बहुत विस्तार नहीं कर सकी, लेकिन उनके पोतों मनोहर लाल और शिव किशन ने कारोबार को बखूबी बढ़ाया। वे इस बिजनस को दिल्ली और नागपुर तक ले गए। दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित दुकान ने कारोबार में चार चांद लगाने का काम किया। इसके बाद तो यह ब्रैंड भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में फैलता चला गया।