[ सलोनी शुक्ला | मुंबई ]
बैंकों की ओर से पिछले सात वर्षों में सबसे तेज रेट कट देखने को मिला है। हालांकि रिटेल बॉरोअर्स के मुकाबले बड़ी कंपनियों को इसका ज्यादा फायदा मिल सकता है। कंपनियां अपने कॉन्ट्रैक्ट्स पर तुरंत बातचीत कर सकती हैं और इस तरह वे 90 बेसिस प्वाइंट्स तक के रेट कट का जल्द फायदा उठा सकती हैं। वहीं 60 पर्सेंट से ज्यादा रिटेल बॉरोअर्स पहले के बेस-रेट सिस्टम में फंसे हुए हैं। एक्सपर्ट्स ने कहा कि इस सिस्टम में रेट में गिरावट 5-10 बेसिस प्वाइंट्स तक ही रही है।
कॉरपोरेट लोन मुख्य तौर पर मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स पर आधारित लेंडिंग रेट (MCLR) जुड़ा होता है, जो पिछले साल पहली अप्रैल को लागू हुआ था।
एंजेल ब्रोकिंग के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट सिद्धार्थ पुरोहित ने कहा, 'बैंक रेट कट का फायदा बड़ी कंपनियों को देंगे। उन्हें मनी मार्केट्स से पैसा मिलता रहा है। बड़ा खेल इंडस्ट्रियल सेक्टर में है।'
पीएम नरेंद्र मोदी ने गरीब और मध्य वर्ग के लोगों की फंडिंग संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए बैंकों को इशारा किया था। उसके बाद कई बैंकों ने ब्याज दरें कम की हैं। इस कदम से क्रेडिट ग्रोथ में रिवाइवल की भी उम्मीद है क्योंकि कंपनियां निवेश करने के लिए उधार लेती हैं।
प्रभुदास लीलाधर के सीईओ अजय बोडके ने कहा, 'बेहतर रेटिंग वाली कंपनियों के पास होलसेल मार्केट में जाने का विकल्प रहता है। वे बैंकों से बेहतर रेट पर बार्गेनिंग कर सकती हैं। लिहाजा कमजोर रेटिंग वाली कंपनियों के मुकाबले रेट कट का फायदा लेने के लिहाज से उनकी स्थिति अच्छी रहेगी।'
पिछले साल पहली अप्रैल से सभी लोन को एमसीएलआर से जोड़ दिया गया है। जिन कंपनियों ने उस तारीख से पहले से लोन लिया था, उनमें से ज्यादातर नए सिस्टम पर शिफ्ट कर गई हैं क्योंकि इन रेट्स की सालाना समीक्षा होती है। हालांकि कई होम बॉरोअर्स वहीं फंसे रहे क्योंकि स्विच करने पर उन्हें फीस देनी होती।
एसबीआई की चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा, 'अधिकांश कॉरपोरेट लोन पिछले क्वॉर्टर में रिन्यू हो गया था क्योंकि ऑडिटेड बैलेंस शीट सितंबर के बाद ही आती है। लिहाजा बड़ी शिफ्टिंग पिछले क्वॉर्टर के दौरान हुई और बाकी कॉरपोरेट बुक इस साल के अंत तक शिफ्ट हो जाएगी।' उन्होंने कहा, 'अभी कोई क्रेडिट ग्रोथ नहीं दिख रही है। हालांकि हमारा मानना है कि ताजा कदमों से क्रेडिट ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा।'
फ्लोटिंग रेट लोन का केवल 30-40 पर्सेट हिस्सा ही एमसीएलआर से लिंक्ड है। बाकी हिस्सा अब भी बेस रेट से जुड़ा हुआ है। एसबीआई की होम लोन बुक का करीब 15 पर्सेंट हिस्सा यानी 13,000 करोड़ रुपये का लोन बेस रेट से से जबकि 40 पर्सेंट हिस्सा नए सिस्टम से जुड़ा है।