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कोरोना लॉकडाउनः ई कामर्स फिसड्डी, पड़ोस की दुकान पर मिल रहा है ज्यादा सामान

लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तु उपलब्ध कराने में ई-कॉमर्स ऐप फिसड्डी साबित हुए हैं। पड़ोस के दुकानदार के यहां ज्यादा सामान मिल रहा है और ग्राहक हाथोंहाथ सामान ले पा रहे हैं। इसका खुलासा लोकल सर्किल के एक सर्वे से हुआ है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 25 Mar 2020, 11:49 am

हाइलाइट्स

  • 35%से 79% उपभोक्ताओं को समय में पर जरूरी सामान की डिलिवरी नहीं मिल पा रही है
  • 17% से 32% उपभोक्ता रिटेल दुकानों में सामान खोजने में हो रही परेशानी
  • 48 घंटों के दौरान ई -कॉमर्स पर ऐप ग्राहकों का अनुभव, 14% ने कहा उनके ऑर्डर में देरी
  • लोकल सर्किल के मुताबिक, 17% ने कहा उनका ऑर्डर रद्द हुआ, 21% ने कहा कि जरूरी ऑर्डर हुए डिलिवर कान
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शिशिर चौरसिया, नई दिल्ली
कोरोनावायरस की वजह से हुए देशभर में हुए लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तु उपलब्ध कराने में ई-कॉमर्स ऐप फिसड्डी साबित हुए हैं। इनके यहां न सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता घट गई है बल्कि सामान की डिलिवरी भी समय पर नहीं हो रही है। इन ऐप्स की तुलना में पड़ोस के दुकानदार के यहां ज्यादा सामान मिल रहा है और ग्राहक हाथोंहाथ सामान ले पा रहे हैं। इसका खुलासा लोकल सर्किल के एक सर्वे से हुआ है।
यह सर्वे देश के 164 से भी ज्यादा जिलों में किया गया, जिसमें 16000 से भी ज्यादा प्रतिभागी शामिल हुए। लोकल सर्किल ने इस सर्वे को दो हिस्से में बांट कर किया। पहला बीते 20 से 22 मार्च के बीच जबकि दूसरा 23 से 24 मार्च के बीच। पहली अवधि के दौरान ई कामर्स ऐप पर 35 फीसदी ग्राहकों को आटा, चावल, दाल, नमक, चीनी जैसी आवश्यक वस्तुएं नहीं मिलीं जबकि पड़ोस के दुकानदार के मामले में यह 17 फीसदी था। दूसरी अवधि में ऐप पर जहां 79 फीसदी ग्राहकों को आवश्यक सामान नहीं मिला, वहीं पड़ोस की दुकान जाने पर महज 32 फीसदी ग्राहकों को ही निराश होना पड़ा। शेष ग्राहकों को सामान मिल गया।

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समय पर नहीं हो रही है डिलिवरी
सर्वे में निकलकर आया कि पिछले दो दिनों के दौरान ऐप ने महज 21 फीसदी ग्राहकों को ही समय पर आवश्यक सामानों की आपूर्ति की। 27 फीसदी ग्राहकों का कहना था कि उन्हें सामानों की डिलिवरी के लिए लंबा समय दिया गया। 21 फीसदी ग्राहकों को पूरा नहीं, बल्कि कुछ ही सामानों की डिलिवरी मिली जबकि 14 फीसदी को देर से डिलिवरी मिली। 17 फीसदी ग्राहकों का तो ऑडर कैंसल कर दिया गया।

पड़ोस की दुकान में है ज्यादा सामान

सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से 38 फीसदी प्रतिभागियों का कहना है कि पड़ोस की दुकान पर दैनिक उपयोग की सभी वस्तुएं आसानी से उपलब्ध हैं। 30 फीसदी लोगों का कहना था कि कुछ सामानों को छोड़ दिया जाए तो उन्हें सब सामान मिल गया। 12 फीसदी ग्राहकों को वहां कुछ ही सामान मिला जबकि 15 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें दुकान में अधिकतर सामान नहीं मिला। पांच फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें जरूरत का कोई भी सामान नहीं मिला।


ऐसा हो तो स्थिति सुधरे
लोकल सर्किल का कहना है कि सरकार को ई कॉमर्स प्लैटफार्मों और संगठित खुदरा विक्रेताओं को ऐसे निर्देश देने चाहिए कि वह सुपर स्टॉकिस्ट, वितरकों और सभी विक्रेताओं को इस समय अलग से कर्मचारी तैनात करे जो कि आवश्यकत वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करे। इससे ग्राहकों को भी आसानी होगी और उन्हें लॉकडाउन के दौरान जरूरी वस्तुओं के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

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