[ पीटीआई | नई दिल्ली ]
नोटबंदी का बैंकों की लोन और डिपॉजिट ग्रोथ पर काफी असर हुआ है। हालांकि, अक्टूबर-दिसंबर क्वॉर्टर में बैंकों की एसेट क्वॉलिटी पर इसका मिला-जुला इंपैक्ट दिखा। मूडीज इनवेस्टर सर्विस ने गुरुवार को यह बात कही।
उसने कहा है कि 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को अमान्य घोषित किए जाने के बाद इकनॉमिक ग्रोथ सुस्त पड़ी है, जिसका असर लोन बिजनेस पर भी दिख रहा है। मूडीज इनवेस्टर्स के मुताबिक, नोटबंदी के चलते अक्टूबर-दिसंबर क्वॉर्टर में कंपनियों और रिटेल सेगमेंट की तरफ से लोन की मांग कम हुई। उसकी रिपोर्ट में कहा गया है, 'नोटबंदी का लोन और डिपॉजिट बिजनेस पर काफी असर हुआ है, लेकिन एसेट क्वॉलिटी इससे बहुत अधिक प्रभावित नहीं हुई। वहीं, रिटेल पेमेंट सिस्टम्स को इससे फायदा हुआ है।' मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने कहा है कि बैंकों की कमेंटरी से इस साल जनवरी में बिजनेस में सुधार का संकेत मिल रहा है, लेकिन यह अभी भी नोटबंदी से पहले वाले लेवल पर नहीं पहुंचा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लोन ग्रोथ में सुस्ती की एक वजह यह भी हो सकती है कि अमान्य नोटों का इस्तेमाल लोन चुकाने के लिए बड़े पैमाने पर हुआ। दिसंबर क्वॉर्टर में बैंकों के डिपॉजिट में सालाना 13 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई, जबकि इससे पिछली तिमाही में यह 6 पर्सेंट रही थी। उसने कहा है कि कैश सप्लाई बढ़ने और पैसा निकालने की पाबंदी हटने से इसमें कमजोरी आएगी। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस के मुताबिक, कार्ड ट्रांजैक्शंस और मोबाइल वॉलेट जैसे रिटेल पेमेंट सिस्टम्स को इससे फायदा हुआ है। नोटबंदी के बाद ऐसे कामकाज करने वाली कंपनियों के बिजनेस में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन कैशलेस की तरफ इकनॉमी के शिफ्ट होने में समय लगेगा।
सरकार ने पिछले साल 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को अमान्य घोषित किया था, जिससे अचानक 86 पर्सेंट सर्कुलेशन वाले नोट किसी काम के नहीं रह गए थे। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने कहा है, 'बैंकों को काफी डिपॉजिट मिला है क्योंकि कस्टमर्स ने अमान्य नोटों को उनके पास जमा कराया है। हालांकि, हमारा मानना है कि बैंकों के डिपॉजिट में शॉर्ट टर्म में 1-2 पर्सेंट की ही बढ़ोतरी होगी क्योंकि भारतीय इकनॉमी में कैश का बड़ा रोल है।' नोटबंदी के चलते नवंबर और दिसंबर 2016 में इकनॉमिक एक्टिविटी प्रभावित हुई। कैश की कमी के चलते बिजनेस वॉल्यूम में गिरावट देखी गई थी। मूडीज के मुताबिक, 'हमारा मानना है कि जनवरी-मार्च 2017 क्वॉर्टर में बैंकों की एसेट क्वॉलिटी पर दबाव बढ़ सकता है। दरअसल, नोटबंदी के चलते दिसंबर क्वॉर्टर के दो महीनों में बैंकों को फायदा हुआ था। इसके बावजूद नोटबंदी से एसेट क्वॉलिटी पर पड़ने वाले असर को बैंक मैनेज कर सकते हैं।' 3 फरवरी 2017 तक सर्कुलेशन में कुल करेंसी 9.8 लाख करोड़ थी, जो नोटबंदी के पहले वाले लेवल का 58 पर्सेंट है।