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RIL, शेल और ONGC से सरकार ने $3 अरब का जुर्माना देने को कहा

सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज, शेल और ऑइल ऐंड नैचरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC) को कुल 3 अरब डॉलर (करीब 192 अरब रुपये) का जुर्माना चुकाने का नोटिस जारी किया है। सूत्रों ने बताया कि पन्ना मुक्ता ताप्ती (पीएमटी) ऑइल फील्ड्स पर विवाद के आर्बिट्रेशन में सरकार का पक्ष सही साबित हुआ है।

इकनॉमिक टाइम्स 18 Jul 2017, 8:08 am
संजीव चौधरी, नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम panna mukta taptiril shell ongc asked to pay 3 billion in penalty
RIL, शेल और ONGC से सरकार ने $3 अरब का जुर्माना देने को कहा


सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज, शेल और ऑइल ऐंड नैचरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC) को कुल 3 अरब डॉलर (करीब 192 अरब रुपये) का जुर्माना चुकाने का नोटिस जारी किया है। सूत्रों ने बताया कि पन्ना मुक्ता ताप्ती (पीएमटी) ऑइल फील्ड्स पर विवाद के आर्बिट्रेशन में सरकार का पक्ष सही साबित हुआ है। रिलायंस और शेल ने इस मामले में ब्रिटेन की एक अदालत में आर्बिट्रेशन की अपील की थी।

पेट्रोलियम मंत्रालयन ने पिछले महीने रिलायंस, शेल और ओएनजीसी को डिमांड नोटिस भेजा था। मुंबई तट स्थित पीएमटी फील्ड में दोनों प्राइवेट कंपनियों की 30-30 पर्सेंट हिस्सेदारी है। इसमें बाकी 40 पर्सेंट का पार्टिसिपेटिंग स्टेक सरकारी कंपनी ओएनजीसी के पास है। तीनों कंपनियों को फील्ड में अपनी हिस्सेदारी के हिसाब से पेनल्टी चुकानी होगी।

आर्बिट्रेशन कमिटी ने सरकार के इस पक्ष का समर्थन किया कि इन फील्ड्स से होने वाला प्रॉफिट का हिसाब 50 पर्सेंट के पुराने रेट के बजाय 33 पर्सेंट का टैक्स काटने के बाद लगाया जाना चाहिए। इससे पीएमटी फील्ड से होने वाले प्रॉफिट में सरकार की हिस्सेदारी अच्छी खासी बढ़ जाएगी।

ट्रायब्यूनल ने सरकार की यह दलील मान ली है कि मार्केटिंग मार्जिन को गैस के दाम में शामिल किया जाना चाहिए। ऐसा होने पर प्रॉफिट पेट्रोलियम के अलावा रॉयल्टी पेमेंट में सरकार की हिस्सेदारी बढ़ जाएगी। इस मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज, शेल और पेट्रोलियम मंत्रालय ने कुछ भी कहने से मना किया है।

पीएमटी फील्ड्स से प्रॉफिट पेट्रोलियम में सरकार की हिस्सेदारी और उससे मिलने वाली रॉयल्टी पर विवाद कई साल तक चला है। पिछले साल लंदन के आर्बिट्रेटर ट्राइब्यूनल ने सरकार की अहम आपत्तियों को सही मानते हुए फाइनल पार्शियल अवॉर्ड जारी किया था। आर्बिट्रेशन या मौजूदा अपील में ओएनजीसी पक्ष नहीं है। शेल पिछले साल पीएमटी फील्ड्स की ओरिजनल ऑपरेटर बीजी यानी ब्रिटिश गैस की हिस्सेदारी खरीदकर फील्ड ऑपरेटर बनी थी।

पेट्रोलियम मंत्रालय की यूनिट डायरेक्टॉरेट जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बंस (DGH) ने आर्बिट्रेशन के ऑर्डर के मुताबिक यह हिसाब लगाया कि तीनों कंपनियों पर सरकार की कितनी देनदारी बनती है। ऐसा करने के बाद उसने उनको पेमेंट के बारे में ऑर्डर जारी कर दिया।

रिलायंस और शेल की अपील पर ब्रिटेन की अदालत के आर्बिट्रेशन से तय होगा कि मामले का रुख क्या होगा। कई मामलों में सरकार से रिलायंस की कानूनी लड़ाई चल रही है जिनमें PMT आर्बिट्रेशन भी शामिल है। पिछले महीने ही रिलायंस और उसकी पार्टनर बीपी ने गैस के दाम पर सरकार के खिलाफ विवाद से जुड़ा आर्बिट्रेशन वापस ले लिया था।

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