[ संजीव चौधरी | नई दिल्ली ]
अगर मौजूदा ट्रेंड जारी रहता है तो करेंट फाइनेंशियल ईयर में ऑयल कंजम्पशन ग्रोथ पिछले साल से 10.9 फीसदी अधिक रह सकती है। यह बात ऑयल मिनिस्ट्री की एक यूनिट ने कही है। पिछले साल अप्रैल-जून के दौरान पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स की खपत में 5.2 फीसदी की ग्रोथ के मुकाबले इस साल समान अवधि में पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स की खपत में 7.8 फीसदी की ग्रोथ ने पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) को इस भविष्यवाणी के लिए प्रेरित किया है। पीपीएसी ने मंथली रिव्यू में कहा है, 'आमतौर पर बाकी साल के मुकाबले अप्रैल-जून में परफॉर्मेंस कमजोर होता है। इस ट्रेंड को देखते हुए यह संभव है कि फाइनेंशियल ईयर 2016-17 के लिए पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स की कंजम्पशन ग्रोथ पिछले साल से ज्यादा रह सकती है।'
अप्रैल-जून 2016 के दौरान सबसे ज्यादा कंजम्पशन ग्रोथ पेट्रोल (10 फीसदी), लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (7.8%), फ्यूल ऑयल (22.9%), बिटुमेन (13.9 फीसदी) और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (12.1 फीसदी) में दर्ज की गई है। भारत में सबसे ज्यादा खपत वाले पेट्रोलियम प्रॉडक्ट डीजल की ग्रोथ 4.7 फीसदी रही। वहीं, कुकिंग गैस की तरफ रुझान होने और बिजली की अवलेबिलिटी बढ़ने से केरोसिन में 7.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। जून में डीजल की कंजमप्शन ग्रोथ 1.5 फीसदी रही, जो जुलाई 2015 के बाद से मासिक आधार पर सबसे सुस्त रफ्तार है। डोमेस्टिक प्राइसेज मौजूदा समय में इंटरनेशनल ट्रेंड्स को फॉलो करती हैं और पखवाड़े में इन्हें रिवाइज किया जाता है, जो कि डीलर्स को कीमतों में बदलाव की उम्मीद में ऑर्डर साइज घटाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
पीपीएसी का कहना है कि बिजली की ज्यादा उपलब्धता और अच्छे मॉनसून के कारण भी डीजल की खपत घटी है। ज्यादा बारिश होने का असर रोड ट्रांसपोर्ट पर पड़ता है। साथ ही खेतों में भी डीजल की खपत कम होती है। जून में पेट्रोल की सेल्स 4.4 फीसदी बढ़ी, जो कि 10 फीसदी की तिमाही ग्रोथ से कहीं कम थी। पीपीएसी का कहना है कि इसकी बड़ी वजह ऑफटेक में बदलाव रहा, क्योंकि बायर्स ने मई और जुलाई में लोअर प्राइसेज की उम्मीद की थी। पीपीएसी का कहना है कि डीजल के मुकाबले पेट्रोल की खपत में ग्रोथ की मुख्य वजह ग्राहकों की पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों को लेकर बढ़ती प्राथमिकता रही। इसके अलावा, पेट्रोल और डीजल के बीच का अंतर काफी कम हो गया है और पुराने डीजल वाहनों को हटाने के नीतिगत कदम ने भी जोर पकड़ा है।