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2019 तक सभी गरीब ग्रामीण परिवारों को आसान शर्तों पर कर्ज मुहैया कराने की योजना

सरकार एक माइक्रो-क्रेडिट प्रोग्राम बना रही है ताकि ग्रामीण इलाकों के परिवारों को गरीबी से बाहर निकलने में मदद दी ...

इकनॉमिक टाइम्स 20 Apr 2017, 10:08 am

रुचिका चित्रवंशी, नई दिल्ली

नवभारतटाइम्स.कॉम plans to provide loans to poor rural families on easy terms
2019 तक सभी गरीब ग्रामीण परिवारों को आसान शर्तों पर कर्ज मुहैया कराने की योजना

केंद्र की मोदी सरकार एक माइक्रो-क्रेडिट प्रोग्राम बना रही है ताकि ग्रामीण इलाकों के परिवारों को गरीबी से बाहर निकलने में मदद दी जा सके। प्रस्ताव यह है कि अगले तीन से पांच वर्षों में प्रति परिवार एक लाख रुपये तक कर्ज दिया जाए और इसके बदले कोई चीज गिरवी न रखवाई जाए। साथ ही इस कर्ज पर लगनेवाले ब्याज में सरकारी की ओर से सब्सिडी दी जाए। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव अमरजीत सिन्हा ने कहा, 'हमने कर्ज लेने की प्रक्रिया सरल कर दी है। हम हर परिवार की आजीविका के साधनों के ब्योरे जुटा रहे हैं ताकि उसके मुताबिक कर्ज दिया जा सके।'

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सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना में करीब 8.5 करोड़ गरीब परिवारों को चिन्हित किया गया है। साल 2019 तक इन परिवारों को इस योजना से जोड़ा लिया जाएगा। दरअसल, सरकार बैंक लिंकेज डबल करना चाहती है ताकि हर साल 60,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया जा सके। इससे 2019 तक वंचित ग्रामीण परिवारों के लिए आजीविका का इंतजाम किया जाना है।

लक्ष्य यह है कि इन परिवारों की निर्भरता स्थानीय तौर पर कर्ज देने वालों और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों पर से घटाई जाए क्योंकि ये बहुत ज्यादा ब्याज दर पर कर्ज देते हैं जबकि बैंक अमूमन 11% इंट्रेस्ट लेते हैं। नए प्रस्ताव के तहत सबवेंशन के कारण बॉरोअर पर ब्याज का बोझ काफी कम होगा।

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ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कृषि एवं पशुपालन मंत्रालय के साथ एक मेमोरंडम पर दस्तखत किया ताकि ऐसे परिवारों को पोल्ट्री फार्म लगाने और बकरी पालन आदि कार्यों के लिए कर्ज दिया जा सके। ग्रामीण विकास मंत्रालय 4 प्रतिशत तक इंट्रेस्ट रेट सबवेंशन मुहैया कराएगा ताकि इन परिवारों को लोन 7 प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज मिल सके। देश के 250 पिछड़े जिलों में परिवारों को कर्ज वक्त पर चुकाने पर ब्याज में 3% की अतिरिक्त छूट मिलेगी और इस तरह उनके मामले में प्रभावी ब्याज दर 4% रह जाएगी।

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सिन्हा ने कहा, 'हम लोन मुहैया कराकर आजीविका के कई मौके बनाना चाहते हैं। इससे परिवारों को अपने संसाधनों और कौशल का उपयोग करने में मदद मिलेगी।' उदाहरण के लिए, सरकार ने कई राज्यों में नैशनल डेयरी डिवेलपमेंट बोर्ड के साथ मिलकर डेयरी संबंधी गतिविधियों को बढ़ाने का कदम उठाया है ताकि मार्केट तक बेहतर पहुंच मुहैया कराई जाए और उत्पादक समूहों को कंपनियों के करीब लाया जए।

लोन मुहैया कराने के मामले में मिनिस्ट्री ग्रामीण इलाकों में कर्ज देने के विभिन्न राज्यों के मॉडल्स का अध्ययन कर रही है। तमिलनाडु में पंचायत लेवल फेडरेशन और तेलंगाना में स्त्री निधि कोऑपरेटिव स्वयं सहायता समूहों को कर्ज देते हैं। 2015-16 में स्वंय सहायता समूहों की ओर से जुटाए गए कर्ज का अंकड़ा 40% बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये हो गया था। इन समूहों का गठन 2011 में किया गया था और तबसे इन्होंने लगभग 70,000 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाय है। इस पैसे से ग्रामीण इलाकों में खेती-बाड़ी से इतर दूसरे कार्यों में रोजगार के मौके बनाए जाते हैं।

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