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IIP ग्रोथ 6 महीने में सबसे तेज, महंगाई दर बढ़ने के बावजूद रेट कट का चांस

आरबीआई ने पिछले हफ्ते लगातार तीसरी बार पॉलिसी रेट में 0.25 पर्सेंट की कटौती की थी और उसने पॉलिसी पर रुख को बदलकर ‘एकोमोडेटिव’ कर दिया था। इसका मतलब यह है कि वह आगे जीडीपी ग्रोथ बढ़ाने पर ध्यान देगा।

इकनॉमिक टाइम्स 13 Jun 2019, 9:04 am
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम investment3

देश का औद्योगिक उत्पादन अप्रैल में अप्रत्याशित रूप से 6 महीने के शिखर पर पहुंच गया। इसमें हुई 3.4 पर्सेंट की बढ़ोतरी से 5 जुलाई को बजट पेश करने की तैयारी में जुटी सरकार को राहत मिलेगी। हालांकि, मई में महंगाई दर भी उछलकर सात महीने में सबसे ऊपर पहुंच गई, लेकिन यह अभी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लक्ष्य से नीचे है। इसलिए ब्याज दरों में और कटौती होने की गुंजाइश बची हुई है।

स्टैटिस्टिक्स ऑफिस के बुधवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इसमें बताया गया कि देश का औद्योगिक उत्पादन अप्रैल में 3.4 पर्सेंट बढ़ा, जबकि इससे पिछले महीने में इसमें 0.4 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई थी। हालांकि, पिछले साल अप्रैल में इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन में 4.5 पर्सेंट का इजाफा हुआ था। मई में रिटेल इन्फ्लेशन 3.05 पर्सेंट पर पहुंच गई। अप्रैल की संशोधित महंगाई दर 2.99 पर्सेंट हो गई, जिसके पहले 2.92 पर्सेंट रहने का अनुमान लगाया गया था। महंगाई दर में बेशक बढ़ोतरी हुई है, लेकिन यह अभी भी रिजर्व बैंक के 4 पर्सेंट के लक्ष्य से कम है।

आरबीआई ने पिछले हफ्ते लगातार तीसरी बार पॉलिसी रेट में 0.25 पर्सेंट की कटौती की थी और उसने पॉलिसी पर रुख को बदलकर ‘एकोमोडेटिव’ कर दिया था। इसका मतलब यह है कि वह आगे जीडीपी ग्रोथ बढ़ाने पर ध्यान देगा। ऐसे में माना जा रहा है कि वह आगे चलकर कर्ज और सस्ता कर सकता है। वित्त वर्ष 2019 की जीडीपी ग्रोथ 6.8 पर्सेंट के साथ पांच साल के निचले स्तर पर पहुंच गई थी। इसलिए 5 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब पूर्ण बजट पेश करेंगी तो उनका ध्यान जीडीपी ग्रोथ को तेज करने पर होगा।

पिछले साल दिसंबर से खाने के सामानों की महंगाई दर बढ़ रही है, जो मई में 11 महीने में सबसे अधिक हो गई। सब्जियों और दाल की कीमतों में उछाल से इसमें तेजी आई है। मई में सब्जियों की महंगाई दर 5.5 पर्सेंट रही, जबकि दाल ने 29 महीनों के गैप के बाद इन्फ्लेशन देखी है। सरकार पहले ही दाल की कीमतों को कम करने के लिए बफर स्टॉक से बाजार में सप्लाई बढ़ाने का आदेश दे चुकी है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन आंकड़ों का बहुत मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए। आईडीएफसी बैंक के चीफ इकनॉमिस्ट इंद्रनील पान ने कहा, ‘इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन (आईआईपी) डेटा बेशक हमारे अनुमान से अच्छे रहे हैं, लेकिन एक महीने को ट्रेंड नहीं माना जा सकता। हम अर्थव्यवस्था का मिजाज भांपने के लिए जिन आंकड़ों को देखते हैं, उनमें से ज्यादातर खराब हैं।’

फूड, पेट्रोल-डीजल और बिजली, ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशंस को छोड़कर कोर इन्फ्लेशन मई में 4.37 पर्सेंट के साथ 23 महीने के निचले स्तर पर आ गई। इससे पता चलता है कि इकॉनमी कम डिमांड की चुनौती का सामना कर रही है। केयर रेटिंग्स के चीफ इकनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, ‘हमें आंकड़ों को सावधानी से देखने की जरूरत है। कंजम्पशन पर खर्च बढ़ना शुरू नहीं हुआ है क्योंकि गाड़ियों की बिक्री कमजोर बनी हुई है।’ मई में पैसेंजर वीइकल्स की बिक्री 21 पर्सेंट की गिरावट के साथ 18 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई थी।

इन परिस्थितियों में एक्सपर्ट्स आगे चलकर ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। इंडिया रेटिंग्स में प्रिंसिपल इकनॉमिस्ट सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, ‘हमें लगता है कि आरबीआई आर्थिक विकास दर को बढ़ाने वाली नीति पर आगे बढ़ेगा।’ यह बात सही है कि पॉलिसी दरों में कटौती का असर कुछ देर से होता है, लेकिन सिन्हा को लगता है कि वित्त वर्ष 2020 में अभी ब्याज दरों में और कटौती होने की गुंजाइश बनी हुई है। उन्होंने भी कहा कि इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन को लेकर स्थिति अच्छी नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि आईआईपी डेटा में जिस तरह से उतार-चढ़ाव हो रहा है, उसे देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि हम सस्टेनेबल इंडस्ट्रियल रिकवरी के करीब हैं।

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