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वित्तीय पैकेज से NPA सेटलमेंट में मिलेगी मदद: एसबीआई चीफ

एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा है कि हाल में जिस रीकैपिटलाइजेशन (रीकैप) बॉन्ड का ऐलान किया गया है, उससे बैंकों को एनपीए के सेटलमेंट में मदद मिलेगी...

इकनॉमिक टाइम्स 27 Oct 2017, 9:27 am
सलोनी शुक्ला, मुंबईएसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा है कि हाल में जिस रीकैपिटलाइजेशन (रीकैप) बॉन्ड का ऐलान किया गया है, उससे बैंकों को एनपीए के सेटलमेंट में मदद मिलेगी। बैंक सेटलमेंट के लिए कम पेमेंट को तैयार होंगे, जिससे नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) में चल रहे बैंकरप्सी के मामले तेजी से सुलझाए जा सकेंगे।सरकार के 2.11 लाख करोड़ रुपये के फंडिंग प्रोग्राम के ऐलान के बाद कुमार ने ईटी को दिए इंटरव्यू में बताया, ‘एसेट क्लासिफिकेशन के आधार पर काफी प्रविजनिंग पहले ही हो चुकी है। इसलिए हेयरकट (यानी लोन पर लॉस) इस बात पर निर्भर करेगा कि कंपनी पर कितना कर्ज है और उसकी एंटरप्राइज वैल्यू कितनी है।’ उन्होंने कहा कि दिसंबर-जनवरी तक ये मामले सेटल होने लगेंगे। कुमार ने कहा कि ऐसी कई एसेट्स में बायर्स ने दिलचस्पी दिखाई है और जल्द ही उनके लिए बोली लगने लगेगी।सरकार ने पब्लिक सेक्टर के बैंकों को 2.11 लाख करोड़ रुपये देने की घोषणा की है, जिसका लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। इनमें से 1.35 लाख करोड़ रुपये बॉन्ड के जरिये, 76000 करोड़ रुपये बजटरी सपॉर्ट और डिसइन्वेस्टमेंट के जरिये आएंगे। इससे बैंक स्ट्रेस्ड एसेट्स पर लॉस बर्दाश्त कर पाएंगे। माना जा रहा है कि बैंकिंग सेक्टर में 10 लाख करोड़ के स्ट्रेस्ड एसेट्स हैं। सरकारी बैंकों की फंडिंग के बाद लोन ग्रोथ भी बढ़ने की उम्मीद की जा रही है, जिससे अर्थव्यवस्था को सपॉर्ट मिलेगा। कुमार ने कहा, ‘कंपनियों की बैलेंस शीट पर जो लॉस है, वह बैंकों की बैलेंस शीट में दिख रहा है। इसे मसले को सुलझाने के लिए बोल्ड स्टेप की जरूरत थी और सरकार ने ऐसा ही किया है।’
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सांकेतिक तस्वीर


बैंकों के फंडिंग प्रोग्राम के चलते पिछले कुछ दिनों में सरकारी बैंकों के शेयर में जबरदस्त तेजी आई है। कुछ बैंकों के शेयर तो एक दिन में 50 पर्सेंट तक चढ़े थे। इससे शेयरहोल्डर्स की वेल्थ में 1 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है और बेंचमार्क इंडेक्स नए लाइफ टाइम हाई लेवल पर पहुंच गए हैं। कुमार ने कहा कि वित्त मंत्रालय परफॉर्मेंस के आधार पर अपने बैंकों की फंडिंग कर सकता है, ताकि इस पैसे का सही इस्तेमाल हो सके। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि एक एमओयू साइन होगा, जिसमें बैंकों को आगे के बिजनस प्लान की जानकारी सरकार को देनी पड़ सकती है। उन्हें बताना होगा कि वे रिस्क को कैसे मैनेज करने जा रहे हैं और कॉर्पोरेट गवर्नेंस में सुधार के लिए उनके पास क्या प्लान है।’ सरकार बैंकों के लिए रिटर्न ऑन इक्विटी और रिटर्न ऑन एसेट्स के लक्ष्य तय कर सकती है।

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