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SBI का रेस्क्यू मिशन फेल, NCLT में जाएगा 19 पावर फर्मों का मामला

केएसके महानदी, प्रयागराज पावर और झाबुआ पावर सहित कम से कम 19 पावर प्रोजेक्ट्स का मामला अब इनसॉल्वेंसी कोर्ट में जाएगा[ संगीता मेहता | मुंबई ...

इकनॉमिक टाइम्स 7 Sep 2018, 9:00 am
केएसके महानदी, प्रयागराज पावर और झाबुआ पावर सहित कम से कम 19 पावर प्रोजेक्ट्स का मामला अब इनसॉल्वेंसी कोर्ट में जाएगा
नवभारतटाइम्स.कॉम sbis rescue mission fell nclt will go for 19 power firms case
SBI का रेस्क्यू मिशन फेल, NCLT में जाएगा 19 पावर फर्मों का मामला


[ संगीता मेहता | मुंबई ]

केएसके महानदी, प्रयागराज पावर और झाबुआ पावर सहित कम से कम 19 पावर प्रोजेक्ट्स का मामला अब इनसॉल्वेंसी कोर्ट में जाएगा। मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने बताया कि इनमें किसी भी बायर ने दिलचस्पी नहीं दिखाई, जिसके चलते स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बैंकरप्सी कोर्ट के बाहर इन कंपनियों के लिए रिजॉल्यूशन प्लान पेश नहीं कर सका।

इसके साथ चिन्हित किए गए लगभग सभी 34 पावर प्रोजेक्ट्स नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में जाएंगे। इनमें बैंकों के 1.8 लाख रुपये फंसे हुए हैं। यह घटनाक्रम इस लिहाज से आरबीआई की जीत की तरह है कि उसने किसी भी लचर रिजॉल्यूशन प्लान को मंजूरी नहीं देने की ठान ली थी।

एक सूत्र ने बताया, 'लेंडर्स लोन के एकमुश्त निपटारे या कंपनी को रिवाइव करने के लिए प्रमोटर को बदलने पर विचार कर रहे थे, लेकिन सभी लेंडर्स के सहमत न होने के कारण लीड बैंक के पास उन्हें बैंकरप्सी कोर्ट के पास ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।'

घाटे वाली पावर कंपनियों के भविष्य को लेकर उलझन एक कानूनी लड़ाई और इन कंपनियों के प्रमोटर्स के डिफॉल्ट करने के बावजूद सरकार को अपने पक्ष में लाने की कोशिश करने के साथ समाप्त हो गई। सरकार ने इस मामले से किनारा करते हुए RBI की सलाह के अनुसार बैंकरप्सी प्रोसेस शुरू करने की अनुमति दे दी थी।

लेंडर्स KSK महानदी के लिए अडानी पावर, कोस्टल एनरजन के लिए इडलवाइज ARC और SKS पावर के लिए एग्री ट्रेड रिसोर्सेज के साथ डील करने के काफी करीब थे। प्रयागराज पावर के लिए टाटा ग्रुप के समर्थन वाली रिसर्जेंट पावर और JSW एनर्जी के बीच टकराव दिखा था। सूत्रों ने बताया कि बहुत से मामलों में वैल्यू के लिहाज से केवल 40 से 60 पर्सेंट बॉरोअर्स से सहमति मिली थी।

सरकारी पावर जेनरेशन कंपनी NTPC ने एक भी प्रोजेक्ट के लिए बिड नहीं दी। हालांकि, SBI ने बिडिंग की एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने का आश्वासन दिया था। NTPC ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह केवल NCLT के रास्ते से बिड देगी।

RBI ने बैंकों से घाटे वाली कंपनियों के लोन की अगस्त के अंत से पहले रिस्ट्रक्चरिंग करने को कहा था, जिससे इन कंपनियों को बैंकरप्सी कोर्ट में जाने से बचाया जा सके। RBI ने इसके साथ ही यह भी कहा था कि इन कंपनियों के सभी लेंडर्स को डेट रिस्ट्रक्चरिंग प्लान के लिए सहमत होने के साथ ही उसे 180 दिनों के अंदर लागू भी करना होगा। एक भी लेंडर के असहमति जताने पर कंपनी को बैंकरप्सी कोर्ट में भेजा जाना था।

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