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FPI की ट्रेडिंग आसान बनाने के लिए सेबी बदलेगा नियम

फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) के लिए ट्रेडिंग आसान बनाने के लिए इनको रेगुलेट करने वाले नियमों को नए सांचे में ढाला ...

इकनॉमिक टाइम्स 15 May 2018, 9:44 am
सुगाता घोष, मुंबई
नवभारतटाइम्स.कॉम sebi will change rules to make fpi trading easier
FPI की ट्रेडिंग आसान बनाने के लिए सेबी बदलेगा नियम

फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) के लिए ट्रेडिंग आसान बनाने के लिए इनको रेगुलेट करने वाले नियमों को नए सांचे में ढाला जाएगा। कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी ने इनके वास्ते रूल्स का नया ढांचा तैयार करने के लिए आरबीआई के एक फॉर्मर डिप्टी गवर्नर की अध्यक्षता में हाई प्रोफाइल टीम का गठन किया है। यह पुराने रूल्स के व्यापक ढांचे में बदलाव किए बिना नर्इ पॉलिसी बनाने के लिए उनके विवादास्पद और उलझाऊ पहलुओं की समीक्षा करेगी।

सेबी की कमेटी को कई चीजों की पड़ताल करनी होगी। जैसे यह फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स के लिए बने रूल्स की समीक्षा करेगी, जो अमेरिका जैसे देशों में रजिस्टर्ड हैं या फिर केमन आइलैंड जैसे टैक्स हेवेन में फंड की पूलिंग कर रहे हैं। कमेटी यह भी देखेगी कि क्या एफपीआई को फंड से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए ज्यादा समय दिया जाना चाहिए। इन्हें कम से कम 20 इनवेस्टर की जरूरत होती है। कमेटी यह भी पता करेगी कि क्या फंड्स के की पर्संस की पर्सनल डिटेल मांगी जानी चाहिए। इन्हें हाई रिस्क वाला माना जाता है। कमेटी का सबसे बड़ा काम समय-समय पर सेबी की तरफ से जारी सैकड़ों FAQ और असल रूल्स के बीच के फर्क को खत्म करना है।

एक सूत्र ने बताया, 'अगर कोई बड़ा फंड अमेरिकी लेबर डिपार्टमेंट या किसी दूसरी फेडरल अथॉरिटी के पास तो रजिस्टर्ड है, लेकिन उसने यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन के पास रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, तो सेबी के मौजूदा नियमों के तहत वह कैटेगरी III फंड मान जाएगा। अभी जैसे ही कोई एफपीआई कैटेगरी III लिस्ट में आता है, उस फंड के की पर्संस को अपने पासपोर्ट्स, फाइनेंशियल स्टेटमेंट और इनकॉरपोरेशन डॉक्युमेंट्स की कॉपी शेयर करने होते हैं। प्राइवेसी और डेटा चोरी होने के जोखिम को देखते हुए कई लोग ऐसा नहीं करना चाहते। ऐसे रूल्स अब एफपीआई पर भी लागू होंगे जो किसी स्टेट अथॉरिटी के पास रजिस्टर्ड होंगे।' दूसरे फंड्स (कैटेगरी I और II सहित) के ऑफिशियल्स या डायरेक्टर्स को सिर्फ सेल्फ डिक्लेयरेशन देना होता है।

एफपीआई को तीन कैटेगरी में बांटा जाता है। कैटेगरी I (CAT I) वाले FPI सॉवरेन फंड्स होते हैं। उनमें सरकार और मल्टीलैटरल एजेंसियों का पैसा लगा होता है। CAT II FPI रेगुलेटेड होते हैं और इनमें पेंशन फंड के अलावा इंश्योरेंस कंपनियों, बैंकों और म्यूचुअल फंडों जैसी ब्रॉड बेस्ड एंटिटीज का पैसा होता है। CAT III FPI अनरेगुलेटेड होते हैं, जिनमें कॉरपोरेट्स, इंडिविजुअल्स, फैमिली ऑफिस और ट्रस्टों के अलावा उदार नियमन व्यवस्था वाले हेज फंड्स का पैसा लगा होता है।

आरबीआई के फॉर्मर डिप्टी गवर्नर हारुन राशिद खान की अध्यक्षता में बनी नई कमेटी की पहली मीटिंग पिछले हफ्ते हुई थी। दूसरे सूत्र ने कहा, 'कमेटी का एजेंडा यूं तो नियमों को तार्किक बनाना है जिससे फॉरेन इनवेस्टर्स के लिए इंडिया में पैसा लगाना आसान हो जाए। हालांकि, उसे साफ बता दिया गया है कि सेबी एफआईआई के जरिए इनवेस्ट करने वाले या विदेशी फंडों के फंड मैनेजरों की तरह काम करने वाले एनआरआई पर लगाई पाबंदियों को नरम नहीं बनाएगा।'

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